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अगर सरसों में फंगस की समस्या है तो घबराएं नहीं, करें इस स्प्रे का उपयोग।

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अगर सरसों में फंगस की समस्या है तो घबराएं नहीं, करें इस स्प्रे का उपयोग।

किसान भाइयों, नमस्कार, आज इस रिपोर्ट में हम सरसों की खेती से संबंधित कुछ विषयों पर चर्चा करेंगे। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सरसों की खेती में कई समस्याएं आती हैं, और एक किसान के लिए ये समस्याएं कई बार चिंता का कारण बन जाती हैं। लेकिन अगर हम सही जानकारी और उपायों को समझकर खेती करें, तो हम इन समस्याओं को बहुत हद तक कम कर सकते हैं। सरसों की खेती के दौरान कई प्रकार के रोग और कीट से फसल प्रभावित होते हैं, इस पर विचार करना बेहद जरूरी है। यदि सही समय पर इनका समाधान न किया जाए, तो उपज में भारी कमी आ सकती है। आज हम आपको सरसों की फसल में फंगस से संबंधित जानकारी देने की कोशिश करेंगे। हम आपके साथ फंगस से होने वाली समस्याएं, दानों की संख्या बढ़ाने के तरीके, और तेल की मात्रा में वृद्धि के उपायों पर चर्चा करेंगे। तो आइए, जानते हैं कि सरसों की फसल में फंगस की समस्या कितनी नुकसानदायक है और इसका समाधान हम किस प्रकार कर सकते हैं। इन बातों पर जानने के लिए, चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

फंगस से होने वाली समस्याएं

किसान साथियों, सरसों की फसल में एक मुख्य समस्या फंगस (fungus) से जुड़ी होती है। खासकर फूलों के अंदर घंडू नामक फंगस का संक्रमण होता है, जो फसल के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। यह फंगस से होने वाली समस्या, फूलों की संख्या और आकार को प्रभावित करती है, जिससे फसल की पैदावार कम हो जाती है। साथ ही, यह फंगस सरसों के दानों की गुणवत्ता को भी घटित कर सकती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए आपको नियमित रूप से फंगस रोधक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। बाजार में कई प्रकार के फंगसाइड्स उपलब्ध हैं, जो इस समस्या से निपटने में मदद करते हैं। इसके अलावा, खेत की स्वच्छता पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि गंदगी और नमी फंगस के प्रसार को बढ़ाती है। इसके अलावा यदि आपको सरसों की फसल में फंगस जनित रोगों के लक्षण दिखाई दे, तो 400 से 500 ग्राम मैंकोजेब (एम 45) को 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर, प्रति एकड़ के हिसाब से 15 दिन के अंतराल पर कम से कम दो बार छिड़काव करें। यदि फसल में झुलसा या काला धब्बा रोग होने के लक्षण दिखाई देने पर, मैंकोजेब (2.5 प्रतिशत) या आइप्रोडियॉन (रोवरोल) 0.25 प्रतिशत के घोल का छिड़काव, बुआई के 45 और 75 दिनों बाद दो बार करें। फसल में छाछया रोग होने पर, घुलनशील गंधक की 2 किलोग्राम मात्रा या कार्बोन्डिजिम दवा की आधा किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके अलावा मृदा में पड़े कवक जनकों को नष्ट करने के लिए, 2 से 5 साल का फसल चक्र अपनाएं।

दानों की संख्या बढ़ाने के उपाय

किसान भाइयों, जब हम सरसों की फसल की बात करते हैं, तो दानों की संख्या और आकार का सीधा संबंध पैदावार से होता है। किसान भाइयों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल होता है कि दानों की संख्या को किस प्रकार बढ़ाया जाए। इस संदर्भ में आपको पौधों की टिलरिंग (tillering) पर ध्यान देना चाहिए। टिलरिंग यानी पौधों की शाखाओं का फैलाव। जब सरसों के पौधे अच्छी तरह से फैलते हैं, तो फूलों और दानों की संख्या बढ़ती है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व है पौधे की सही देखभाल और पोषण। पौधों को उपयुक्त मात्रा में खाद और पानी देने से यह प्रक्रिया बेहतर होती है। इसके अलावा, पौधों को जड़ से लेकर पत्तियों तक सही पोषक तत्वों की आपूर्ति करना भी जरूरी है। सरसों की फसल में बोरोन और नाइट्रोजन की खाद डालें। सरसों के फूल आने और दाने बनने के समय, बोरेक्स 1.0 प्रतिशत और यूरिया 1.0 प्रतिशत को मिलाकर छिड़काव करें। या फिर सरसों में यूरिया और जिंक का इस्तेमाल करें। पहली सिंचाई के समय, 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया और आधा किलो जिंक का घोल बनाकर सरसों पर छिड़काव करें। इसके साथ ही किसान भाई सरसों के पौधों को पतली लकड़ी से मुख्य तने की ऊपर से तुड़ाई कर दें। इससे शाखाओं की संख्या बढ़ती है और उपज में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होती है।

तेल की मात्रा बढ़ाने के उपाय

किसान भाइयों के लिए सरसों की फसल में तेल की मात्रा (oil content) भी एक अहम बात होती है, क्योंकि यह सरसों की फसल का मुख्य उत्पाद है। अगर आपकी सरसों में तेल की मात्रा अधिक होगी तो गुणवत्ता के आधार पर आपको फसल का काफी बढ़िया दाम मिलेगा। तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सबसे आवश्यक उर्वरक सल्फर होता है लेकिन सल्फर के साथ अन्य उर्वरकों का सही अनुपात होना बहुत जरूरी है। खासकर पोटाश (potash), सल्फर (sulfur) और मैग्नीशियम (magnesium) का सही उपयोग फसल की गुणवत्ता और तेल की मात्रा में वृद्धि कर सकता है। पोटाश का प्रयोग फूलों की संख्या और दानों के वजन को बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही, सल्फर तेल की गुणवत्ता को बेहतर करता है और दानों की चमक को बढ़ाता है। वहीं, मैग्नीशियम फोटोसिंथेसिस (photosynthesis) प्रक्रिया को बेहतर करता है, जिससे पौधों की वृद्धि तेजी से होती है और तेल की मात्रा में भी बढ़ोतरी होती है। सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सल्फ़र का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है। सिंचाई के बाद, सरसों की फसल में प्रति एकड़ 4 किलो सल्फ़र का छिड़काव करें। इससे न केवल आपकी फसल में तेल की मात्रा बढ़ेगी बल्कि सरसों के दानों में भी चमक आएगी।

फोलियर स्प्रे

किसान साथियों, फोलियर स्प्रे (foliar spray) एक प्रभावी तरीका है, जिससे आप पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति सीधे पत्तियों के माध्यम से कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में, पत्तियों पर उर्वरक या खाद का छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधे जल्दी पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। जब आपकी सरसों की फसल 35 से 45 दिनों की हो जाती है, तो आपको फोलियर स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें आपको पोटाश, सल्फर और मैग्नीशियम का मिश्रण बनाकर पौधों की पत्तियों पर छिड़काव करना होगा। इससे पौधों में स्वस्थ वृद्धि होगी, और पैदावार भी बेहतर होगी। इसके अलावा सरसों में फोलियर स्प्रे करने के लिए, कात्यायनी MAL-50 (मैलाथियान 50% EC) का इस्तेमाल किया जा सकता है। या फिर आप एक एकड़ में 250-300 मिलीलीटर MAL-50 का फोलियर स्प्रे करें। सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए, 500 पीपीएम थायोयूरिया (5.0 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) या 100 पीपीएम थायोग्लाइकोलिक एसिड (1.0 मि. ली. प्रति 10 लीटर पानी) का घोल बनाकर दो बार छिड़काव करें। पहला छिड़काव बुआई के लगभग 40 दिनों बाद और दूसरा छिड़काव उसके 20 दिनों बाद करें।

मधुमक्खी पालन का फायदा

किसान साथियों, सरसों की फसल में मधुमक्खी (bees) का पालन करने से फूलों का सही तरीके से परागण (pollination) होता है। मधुमक्खियाँ फूलों से पराग लेते हुए फसल की गुणवत्ता को बेहतर करती हैं, जिससे दानों की संख्या बढ़ती है और फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। अगर आपके खेतों में मधुमक्खी पालन किया जाता है, तो यह फसल के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इसलिए, यदि आप स्वयं मधुमक्खी पालन करना चाहते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद है, क्योंकि एक तो जहां आपकी फसल में बढ़ोतरी होगी वहीं दूसरी ओर मधुमक्खी पालन से आपको अतिरिक्त आय का साधन भी प्राप्त होगा।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।