ऐसे करें असली और नकली DAP की पहचान | सबसे आसान तरीका
किसान साथियों डीएपी, जो कि फॉस्फ़ोरस और नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है,डीएपी खाद का उपयोग किसान फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए करते हैं,लेकिन नकली खाद में ये तत्व सही मात्रा में नहीं होते हैं, जिससे फसल का विकास रुक जाता है। अभी हाल में कई मामलों में ऐसी खबरे सामने आई है कि मार्किट में नकली खाद बेची जा रही है| दोस्तों यदि खाद में मिलावट होती है या उसमें जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है, जो फसल की जड़ों, पत्तियों, और फूलों के विकास को प्रभावित करती है। इसके कारण फसल की वृद्धि धीमी हो जाती है, पौधे कमजोर हो जाते हैं, और फलस्वरूप उत्पादन कम हो जाता है। इतना ही नहीं, नकली खाद के कारण मिट्टी की संरचना और उसकी उर्वरता भी प्रभावित हो सकती है, जिससे भविष्य की फसलों पर भी असर पड़ सकता है। कुछ फसलों में, नकली खाद के दुष्प्रभाव के कारण पौधे सूखने लगते हैं, पत्तियां पीली हो जाती हैं, और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे फसल में कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।
किसान साथियों नकली डीएपी खाद के प्रचलन के कारण किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए। असली डीएपी खाद की पहचान के लिए किसान कुछ आसान तरीकों का पालन कर सकते हैं।
सबसे पहले, किसान को अपने नजदीकी सहकारी समिति या कृषि विभाग द्वारा अधिकृत विक्रेताओं से ही खाद खरीदनी चाहिए, क्योंकि ये विक्रेता विभाग द्वारा सत्यापित होते हैं।
असली डीएपी की पहचान के लिए, आप डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर चूने के साथ मिलाएं। अगर उसमें से तेज बदबू आती है, जो सूंघना मुश्किल हो जाए, तो वह डीएपी असली है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो वह नकली हो सकता है।
दूसरा तरीका यह है कि असली डीएपी के दाने भूरे और काले रंग के होते हैं और यह दानेदार होती है। अगर इसे नाखून से तोड़ने पर यह आसानी से नहीं टूटती है, तो वह असली है। अगर यह आसानी से टूट जाए, तो यह नकली खाद हो सकती है।
इसके अलावा, अगर असली डीएपी के कुछ दानों को गर्म किया जाए, तो वे फूलने लगते हैं।
नकली खाद से बचने के लिए यह परीक्षण उपयोगी हो सकता है। सहकारी सोसाइटियों और अधिकृत विक्रेताओं द्वारा वितरित खाद की कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर जांच की जाती है, इसलिए किसान इन विक्रेताओं से ही खाद खरीदने की कोशिश करें। अगर किसी निजी विक्रेता से खरीदना पड़ता है, तो किसान को विक्रेता के प्रमाण पत्र और कृषि विभाग द्वारा उसकी वैधता की जांच करनी चाहिए। इन सावधानियों से किसान नकली डीएपी से बच सकते हैं और अपनी फसल की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं।
आज कल कई गांवों में निजी विक्रेता किसानों को खाद बेचते हैं, लेकिन इनमें से कुछ विक्रेता नकली खाद बेचते हैं नकली खाद के उपयोग से न केवल फसल को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते, बल्कि इसके कारण फसल पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। कृषि विभाग की एएओ (कृषि विस्तार अधिकारी) ने बताया कि नकली खाद का उपयोग करने से किसान को फसल में डीएपी का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है, जिससे पैदावार और गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
किसानों के लिए नकली खाद का उपयोग आर्थिक नुकसान का कारण भी बन सकता है। एक ओर, उन्हें फसल उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ता है, और दूसरी ओर, उन्हें फिर से खाद और कीटनाशकों पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। इसके अलावा, नकली खाद के दुष्प्रभावों से बचने के लिए किसान को मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के उपाय भी करने पड़ते हैं, जिनमें समय और धन दोनों की आवश्यकता होती है। ऐसे में नकली खाद से बचने के लिए यह आवश्यक है कि किसान सहकारी समितियों या अधिकृत विक्रेताओं से ही खाद खरीदें और खाद खरीदते समय उसकी गुणवत्ता की जांच अवश्य करें।
कृषि विभाग समय-समय पर सहकारी सोसाइटियों और अधिकृत विक्रेताओं द्वारा वितरित खाद की जांच और सत्यापन करता है। इसके बावजूद, निजी विक्रेताओं से खाद खरीदते समय किसान को सतर्क रहना चाहिए और खाद की पैकेजिंग, ब्रांड, और प्रमाण पत्र की जांच करनी चाहिए। नकली खाद के प्रचलन को देखते हुए, किसान को कृषि अधिकारियों से मार्गदर्शन लेना चाहिए और अगर कोई विक्रेता संदिग्ध लगता है तो उसकी शिकायत तुरंत विभाग को करनी चाहिए। इस तरह की सावधानियों से किसान अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं और अपनी मेहनत का सही फल प्राप्त कर सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।