चने के एक पेड़ से मिली आधा किलो चना की उपज | जाने कौन सी है यह अमीर बनाने वाली किस्म
किसान साथियों भारत में कृषि क्षेत्र निरंतर परिवर्तनशील रहा है, और समय-समय पर नई वैज्ञानिक तकनीकों तथा उन्नत बीजों की खोज ने किसानों की उत्पादकता और आमदनी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चना, जो कि भारतीय कृषि प्रणाली में एक प्रमुख दलहनी फसल के रूप में स्थापित है, वर्षों से पारंपरिक पद्धतियों पर निर्भर रहा है। हालांकि, समय के साथ, जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और रोगजनक समस्याओं ने इसकी उत्पादकता को प्रभावित किया। इसी चुनौती का सामना करने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) दिल्ली ने एक नई चना प्रजाति 'पूसा मानव' विकसित की है, जो न केवल रोग प्रतिरोधी है बल्कि पारंपरिक चने की तुलना में अधिक उत्पादन देने में सक्षम है।
क्या है पूसा मानव चना
पूसा मानव चने की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अत्यधिक शाखायुक्त संरचना है। इस प्रजाति के एक पौधे में ही 20 से 25 डालियाँ होती हैं, जिससे पौधा घना और मजबूत बनता है। इसके अतिरिक्त, इस चने के एक पौधे में 350 से 400 फलियाँ विकसित होती हैं, जिनमें से प्रत्येक में उच्च गुणवत्ता वाला बीज पाया जाता है। औसतन, एक पौधा लगभग 400 ग्राम बीज उत्पन्न करता है, जो सामान्य चना किस्मों की तुलना में दोगुना अधिक होता है। इसकी जड़ें गहराई तक जाती हैं, जिससे पौधा 2.5 से 3 फीट तक ऊँचा खड़ा रह सकता है और सूखा सहने की इसकी क्षमता बढ़ जाती है। इस किस्म की एक और प्रमुख विशेषता यह है कि इसे बोने के बाद बीज उपचार की आवश्यकता नहीं होती |
एक समय था जब बुंदेलखंड को चने की खेती का प्रमुख केंद्र माना जाता था। यहाँ से देशभर में उच्च गुणवत्ता वाले चने की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन बदलते समय और कृषि संबंधी चुनौतियों के कारण इस क्षेत्र में चने की खेती का रकबा काफी कम हो गया। सतत फसल चक्र, जलवायु परिवर्तन और भूमि की उर्वरता में गिरावट ने किसानों को अन्य फसलों की ओर मोड़ दिया। हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों और सरकार के निरंतर प्रयासों से, चने की खेती को फिर से लोकप्रिय बनाया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित पूसा मानव चना किसानों के लिए एक नया अवसर लेकर आया है, जिससे वे अपनी पारंपरिक खेती को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
कितनी है पूसा मानव चना की उत्पादन क्षमता
पूसा मानव चना की उपज क्षमता पारंपरिक किस्मों की तुलना में कई गुना अधिक है। वैज्ञानिक परीक्षणों के अनुसार, इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 से 40 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खेती करते हैं, क्योंकि इसकी गहरी जड़ें मिट्टी से अधिक नमी सोखने में सक्षम होती हैं। 2022 में इस किस्म को पहली बार व्यावसायिक रूप से पेश किया गया था, और इसके प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण किसानों के बीच इसकी भारी मांग देखी गई। इस उच्च उपज क्षमता वाले चने की कीमत भी बाजार में तेजी से बढ़ी, और कुछ स्थानों पर इसकी अधिकतम कीमत 26,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई। किसान इस बीज को छोटी-छोटी मात्राओं में खरीदकर इसे स्वयं उगाने और बढ़ाने लगे, जिससे इसकी उपलब्धता धीरे-धीरे बढ़ रही है।
कृषि वैज्ञानिकों की राय और परीक्षणों के निष्कर्ष
सागर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी.के. प्यासी के अनुसार, पूसा मानव चने की यह उन्नत किस्म बुंदेलखंड के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। उनका कहना है कि इस प्रजाति का प्रदर्शन जलवायु अनुकूलता के आधार पर भी उत्कृष्ट रहा है। केंद्र में इस चने की फसल पर किए गए परीक्षणों में इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, सूखा सहनशीलता और उच्च उपज क्षमता साबित हो चुकी है। डॉ. प्यासी के अनुसार, पूसा मानव चने की इस विशेषता ने किसानों को एक बार फिर चने की खेती की ओर आकर्षित किया है। स्थानीय किसानों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे भविष्य में चने की खेती को एक नया जीवन मिल सकता है।
भविष्य मे सरकार की क्या योजना
चने की इस उन्नत किस्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार और कृषि संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं। सरकार किसानों को पूसा मानव चने के बीज आसानी से उपलब्ध कराने के लिए योजनाएँ बना रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। इसके अतिरिक्त, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इस नई किस्म की खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में जहाँ चने की खेती का ऐतिहासिक महत्व रहा है, वहाँ इस किस्म के माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की संभावनाएँ अत्यधिक हैं। इस बीज की उन्नत विशेषताओं और सरकार की सहयोगी नीतियों से आने वाले वर्षों में चने की खेती एक बार फिर अपनी पुरानी बुलंदियों तक पहुँच सकती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।