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आपके टमाटर की फसल को कर सकता है बर्बाद फल छेदक रोग, जानिए इसके लक्षण और समाधान

आपके टमाटर की फसल को कर सकता है बर्बाद फल छेदक रोग, जानिए इसके लक्षण और समाधान
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किसान भाइयों, टमाटर एक ऐसी फसल है जिसकी मांग मंडियों में पूरे साल बनी रहती है। जो किसान भाई टमाटर की खेती करते हैं, वह प्रति एकड़ के हिसाब से काफी अधिक मुनाफा कमाते हैं। टमाटर की खेती आज के समय में किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी है, लेकिन कुछ किसान भाइयों को टमाटर की खेती के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती, जिसके कारण उन्हें टमाटर की फसल से जितना मुनाफा मिलना चाहिए, वह उतना उत्पादन फसल से नहीं ले पाते। टमाटर की खेती में किसान भाइयों को जितना लाभ प्राप्त होता है, उतनी ही टमाटर की खेती में परेशानियां भी होती हैं। अंकुरित होने से लेकर फल आने तक टमाटर की खेती में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। टमाटर की फसल में कई प्रकार के रोगों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इनमें से सबसे प्रमुख समस्या है फल छेदक कीट, जो फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है। टमाटर की फसल में इस रोग से बचने के लिए सही समय पर इसका इलाज करना बहुत ही जरूरी है। किसान भाई प्रथम चरण में ही सप्रे का प्रयोग करके फल छेदक कीट की समस्या को काफी हद तक खत्म कर सकते हैं। अगर मंडी में किसानों को टमाटर का अच्छा भाव मिल रहा हो और टमाटर बीमारियों के कारण खराब होना शुरू हो जाए, तो किसानों का काफी अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए इस रोग का सही समय पर सही इलाज करके हम अपनी फसल में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं और अपनी फसल के उत्पादन को अधिक से अधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम इस रोग के लक्षण, नियंत्रण और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आइए फल छेदक के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।

फल छेदक रोग के लक्षण

किसान भाइयों, जब हमारी टमाटर की फसल में फल आना शुरू हो जाता है, तो टमाटर के फल पर छोटे-छोटे छेद दिखाई देने लगते हैं। यह समस्या फल छेदक कीट के कारण होती है। ये कीट फसल के शुरुआती विकास चरण में ही हमला कर सकते हैं, जिससे फल विकृत और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। फल छेदक कीट की समस्या तब गंभीर हो जाती है जब इसका समय पर सही उपचार न किया जाए। कीट के विभिन्न चरणों में हमें प्रभावी नियंत्रण के उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है। फल छेदक कीट के चार प्रमुख चरण होते हैं। प्रथम चरण में मादा कीट टमाटर के पौधों पर अंडे देती है, फिर दूसरे चरण में अंडों से लार्वा निकलता है, जो फलों को खाना शुरू कर देता है, जिससे आपकी फसल में काफी नुकसान हो सकता है। उसके बाद लार्वा अपने आप को कोष में बंद कर लेता है। कोष अवस्था के बाद लार्वा वयस्क कीट में परिवर्तित हो जाता है, जो फिर से अंडे देता है, और यह चक्र इसी प्रकार चलता रहता है।

नियंत्रण

1. अंडों का नियंत्रण:
किसान भाइयों, टमाटर की फसल में पौधों पर पतंगे द्वारा अंडे देने से पहले ही कीट नियंत्रण स्प्रे का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। अमावस्या के समय, जब कीट सबसे सक्रिय होते हैं, तब स्प्रे का उपयोग लार्वा के अंडों को नष्ट कर सकता है। इसके लिए एसिफेट, ओबेरा, और इमामेक्टिन बेंजोएट जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. इल्ली (लार्वा) का नियंत्रण:
दोस्तों, जब फसल पर लार्वा दिखाई देने लगे, तो शुरुआती अवस्था में मार्शल, डेलीगेट, या कोरोजन जैसे कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। ये कीटनाशक इल्ली को प्रभावी ढंग से मारते हैं और फसल को नुकसान से बचाते हैं, जिससे आपकी पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

3. वयस्क पतंगे का नियंत्रण:
किसान भाइयों, पतंगों को नियंत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही कीट अंडे देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके लिए थायमसम, एसिडाम रोपिट, और कटप हाइड्रोक्लोराइड जैसे कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है, जो इन कीटों को नष्ट करने में बहुत ही मददगार होते हैं।

किसान भाइयों, अगर आपकी फसल पर फल छेदक कीट से भारी नुकसान हो चुका है, तो आपको तुरंत एक प्रभावी स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए। सवा फ्लक्सोमाइट एक ऐसा कीटनाशक है, जो केवल एक स्प्रे में ही इस समस्या का समाधान कर सकता है। इसके प्रयोग के लिए आप 16 मिलीलीटर प्रति 20 लीटर पानी के साथ इसे मिलाकर शाम के समय स्प्रे करें, जिससे अगले दिन आपको मरी हुई इल्ली दिखाई देगी और आपकी फसल होने वाले भारी नुकसान से बच जाएगी। फल छेदक की समस्या के साथ ही टमाटर की फसल पर फंगस का भी खतरा होता है। फंगस के समाधान के लिए आप सिनवा जैसे फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं। यह फंगीसाइड टमाटर, मिर्च, और बैंगन जैसी अन्य सब्जियों पर भी कारगर है।

टमाटर की फसल में फल छेदक कीट से बचाव के लिए समय पर उचित उपाय करना जरूरी है। इस रोग के लक्षणों की पहचान करके शुरुआती अवस्था में स्प्रे का उपयोग करने से कीट की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। किसानों को यह समझने की जरूरत है कि टमाटर के भाव ऊँचे होते समय अगर फसल खराब हो जाए, तो काफी आर्थिक नुकसान होता है। अतः, सही समय पर उचित उपचार करके हम अपनी फसल को बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।