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घर पर ही यूरिया और DAP से सस्ती खाद बनाने का फार्मूला | कम खर्च में बम्पर उत्पादन की गारंटी

घर पर ही यूरिया और DAP से सस्ती खाद बनाने का फार्मूला | कम खर्च में बम्पर उत्पादन की गारंटी
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किसान साथियो जयादातर किसान अब जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। वे समझ चुके हैं कि रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है और पैदवार को भी कम करता है। यूरिया और डीएपी जैसी रासायनिक खादें न केवल महंगी हैं बल्कि इनके दीर्घकालिक उपयोग से मिट्टी और फसल दोनों प्रभावित होते हैं। ऐसे में किसान जीवामृत जैसी जैविक खाद का विकल्प चुन रहे हैं। जीवामृत बनाने की प्रक्रिया सरल है और इसे घर पर ही तैयार किया जा सकता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है, फसल की पैदावार में सुधार करता है और किसानों के खर्च को कम करता है। जीवामृत का उपयोग करके किसान न केवल अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित कर सकते हैं। आइये जानते है की यह किस फसल में डाल सकते है और इससे बनाने की क्या प्रक्रिया है

क्या काम करता है जीवामृत
साथियो उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के किसान राजेश मोहन काला ने बताया कि जीवामृत एक तरह से खाद का ही काम करता है। जब जीवामृत को खेत में डाला जाता है तो यह खेत में मौजूद केंचुओं और लाभकारी बैक्टीरिया के लिए भोजन का काम करता है। ये बैक्टीरिया फिर जीवामृत को तोड़कर फसलों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाते हैं। इस प्रक्रिया से फसल की पैदावार बढ़ती है और मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार होता है। जिससे किसानो को अधिक मुनाफा मिलता है

कैसे बनाये इस खाद को
जीवमृत एक जैविक खाद है जिसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको 200 लीटर के एक ड्रम की आवश्यकता होगी। इस ड्रम में 180 लीटर पानी भरें। फिर इसमें दो किलो बेसन, दो किलो गोबर, दो किलो गुड़ और पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की लगभग 500 ग्राम मिट्टी डालें। इस मिश्रण को घड़ी की सुई की दिशा में अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद इस ड्रम को छायादार जगह पर पांच दिन के लिए रख दें। पांच दिन बाद आपका जीवमृत तैयार हो जाएगा। फिर आप इसको खेत में डाल सकते है जिससे आके खेत की मिट्टी को भी कोई नुकसान नहीं होगा और फसल की पैदावार भी बढ़ेगी

इन फसलों में प्रयोग कर सकते है इस जीवमृत का
राजेश मोहन काला ने बताया कि इस खाद को तैयार करने के बाद इसे पांच दिन तक रखना होता है। इसके बाद इस मिश्रण को एक हजार लीटर पानी में मिलाया जाता है। इस घोल को एक एकड़ खेत में डाला जा सकता है। इस घोल को सीधे पौधों की जड़ों में डाला जा सकता है या फिर सिंचाई के पानी में मिलाकर खेत में डाला जा सकता है। यह जीवामृत गेहूं, धान, जौ, चना, मटर, सरसों, गोभी जैसी सब्जियों और सभी प्रकार के फलदार पेड़ों के लिए उपयोगी है। इसके इस्तेमाल से फसलों और पेड़ों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।