सिंचाई और खाद देने के बाद भी अगर गेहूं नहीं बढ़ रहा | तो बस ये काम कर लो
किसान साथियो सिंचाई के बाद गेहूं की फसल का पीला पड़ना एक आम समस्या है। अक्सर किसानों की थोड़ी सी लापरवाही के कारण ही गेहूं के पौधे पीले पड़ जाते हैं और उनकी बढ़वार प्रभावित होती है। इससे उपज पर भी बुरा असर पड़ता है। लेकिन किसान कुछ आसान उपायों को अपनाकर इस समस्या से निपट सकते हैं और अपनी फसल को स्वस्थ बना सकते हैं। गेहूं की फसल में पीलापन आना एक आम समस्या है। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि अधिक सिंचाई, पोषक तत्वों की कमी या मिट्टी की संरचना में खराबी। जब हम गेहूं की फसल को जरूरत से ज्यादा पानी देते हैं या फिर मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो पौधे पीले पड़ने लगते हैं। इसके अलावा, मिट्टी की संरचना में खराबी भी पौधों को पोषक तत्वों को सोखने में बाधा डालती है, जिससे पीलापन आ जाता है। यह पीलापन न केवल पौधे की वृद्धि को रोकता है बल्कि फसल के उत्पादन को भी कम करता है।
गेहूं की फसल में कई बार पौधे बौने रह जाते हैं, फुटाव कम होता है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। ये लक्षण आमतौर पर कुछ खास कारणों से दिखाई देते हैं। अगर पौधों की जड़ें ठीक से विकसित नहीं हो पा रही हैं, तो पौधे पोषक तत्वों को पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर पाते हैं जिससे वे बौने रह जाते हैं। इसके अलावा, अगर मिट्टी में ज्यादा नमी है तो जड़ों को सांस लेने के लिए पर्याप्त हवा नहीं मिल पाती है, जिससे पौधे दम घुटने लगते हैं और पीले पड़ जाते हैं। साथ ही, अगर फसल को उचित मात्रा में फास्फेटिक उर्वरक नहीं मिल रहा है तो भी पौधों का विकास रुक सकता है और वे पीले पड़ सकते हैं। फास्फेटिक उर्वरक पौधों की जड़ों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।
फसलों में फास्फेटिक उर्वरकों की कमी को दूर करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। किसान 19:19:19 एनपीके उर्वरक को 120-130 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं। यह घोल एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त होगा। इसके अलावा, 250 मिलीलीटर नैनो डीएपी का छिड़काव भी इस समस्या का समाधान कर सकता है। नैनो डीएपी पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित किया जाता है और फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त, 250 मिलीलीटर ह्यूमिक एसिड को 120-130 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से गेहूं के पौधे हरे-भरे हो जाएंगे और फसल का विकास तेजी से होगा। ह्यूमिक एसिड मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
गेहूं की फसल में पीलापन और कम फुटाव जैसी समस्याएं अक्सर पोषक तत्वों की कमी या खेत में पराली जलाने जैसी प्रथाओं के कारण होती हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, एक एकड़ भूमि पर 100-125 ग्राम चिलेटेड जिंक को 120 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना फायदेमंद होता है। यदि चिलेटेड जिंक उपलब्ध न हो तो 700 ग्राम जिंक सल्फेट को बालू या यूरिया के साथ मिलाकर खेत में बिखेर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, 100-125 ग्राम चिलेटेड फेरस को भी 120 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। ये सभी उपाय गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की पूर्ति करके पीलापन और कम फुटाव जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
गेहूं की फसल में फुटाव बढ़ाने के लिए किसान 100-125 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट को 120 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं। यह घोल एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त होगा। इसके अतिरिक्त, 1 किलो यूरिया को भी 120 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फुटाव में और वृद्धि हो सकती है। मैग्नीशियम सल्फेट पौधों को हरा-भरा बनाता है और पीलापन दूर करता है। इस तरह, यह उपचार गेहूं की फसल के विकास के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।