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दवा डालने के बाद भी गेहूं में बलूरी, मंडूसी खत्म नहीं हो रही तो बस ये काम कर लेना

दवा डालने के बाद भी गेहूं में बलूरी, मंडूसी खत्म नहीं हो रही तो बस ये काम कर लेना
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 किसान भाईयों, यदि आपने भी गेहूं की खेती कर रखी है तो आपको यह जानना जरूरी है कि फसल से बढ़िया उत्पादन लेने के लिए आपको फसल की सही तरीके से देखभाल करना आवश्यक है, क्योंकि फसल की सही देखभाल ही अंत में उसके उत्पादन का कारण बनती है। आपको अपनी फसल  को सुरक्षित रखने के लिए सभी समस्याओं से बचा कर रखना जरूरी है ,लेकिन फिर भी पहली सिंचाई के बाद गेहूं की फसल में खरपतवारों का उगना किसानों के लिए एक आम और गंभीर समस्या है। खरपतवार गेहूं के पौधों से पोषक तत्व छीनकर उनकी वृद्धि पर बुरा असर डालते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि समय रहते खरपतवार का प्रबंधन किया जाए ताकि यह न केवल फसल की गुणवत्ता को बनाए रखे, बल्कि उत्पादन में भी कोई कमी न आएं। पहली सिंचाई के बाद, गेहूं की फसल में खरपतवार तेजी से उगने लगते हैं। इन खरपतवारों का मुख्य काम गेहूं के पौधों से पोषक तत्वों को छीनना होता है। वे गेहूं के पौधों के लिए आवश्यक खाद और पानी पर अपना कब्जा कर लेते हैं। इससे न केवल पौधों की वृद्धि रुक जाती है, बल्कि पौधों में रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है। अगर इन खरपतवारों का समय रहते प्रबंधन न किया जाए तो वे पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं और उत्पादन में भारी गिरावट ला सकते हैं। खरपतवारों का प्रभाव गेहूं की फसल पर बहुत बड़ा होता है। यह न केवल फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है बल्कि खेतों में उगने वाले अनचाहे पौधे मुख्य फसल के पौधों से पोषक तत्व छीनकर उनकी क्षमता को कम कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए समय पर खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग बहुत आवश्यक है, जिससे गेहूं की फसल को बढ़ने के लिए सभी पोषक तत्व मिल सकें और उत्पादन में वृद्धि हो सके। गेहूं की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए आप कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं और कौन सी दवाई का कितनी मात्रा में उपयोग करें इन सब बातों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।

दवाओं का उपयोग कब और कैसे करें?

किसान साथियों कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की फसल में खरपतवार नाशक दवाओं का सही समय पर छिड़काव करना बेहद महत्वपूर्ण है। बुवाई के 35 से 40 दिन बाद इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस समय तक खरपतवार फैलने लगते हैं। इससे पहले यदि आप दवाओं का उपयोग करेंगे, तो पौधों पर दवाओं का असर ठीक से नहीं होगा और यदि आप देर कर देंगे, तो खरपतवार गेहूं की फसल के लिए और भी अधिक नुकसानदायक हो सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए दवाओं का साफ मौसम में छिड़काव करना बेहतर होता है। खरपतवार नाशक दवाओं का प्रभाव तब अच्छे से दिखता है जब मौसम साफ हो और धूप तेज हो। जब ओस सूख जाए, उसके बाद ही छिड़काव करें। सुबह के समय, ओस के कारण दवाओं का प्रभाव कमजोर हो सकता है, इसलिए खरपतवार नाशक का छिड़काव दोपहर बाद या शाम को करना बेहतर होता है।

160 ग्राम दवा का उपयोग कैसे करें?

किसान साथियों अगर आपकी गेहूं की फसल में गुल्ली डंडा जैसी खरपतवार उग रही हैं, तो आप Clodinafop Propargyl 15% WP जैसे खरपतवार नाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह विशेष रूप से गुल्ली डंडा जैसी सकरी पत्तियों वाले खरपतवारों के लिए उपयुक्त है। इस दवा का उपयोग करने के लिए, 160 ग्राम Clodinafop Propargyl 15% WP को 120 लीटर पानी में घोलकर पूरे खेत में छिड़काव करें। यह घोल केवल गुल्ली डंडा को खत्म करने के लिए प्रभावी रहेगा, और इसके इस्तेमाल से आपके गेहूं के खेत से यह खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। कई बार ऐसा होता है कि खेत में केवल एक ही प्रकार का खरपतवार जैसे गुल्ली डंडा उगता है। ऐसे में, आपको विशेष रूप से गुल्ली डंडा की समस्या को हल करने के लिए Clodinafop Propargyl 15% WP का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इस दवा के उपयोग से गुल्ली डंडा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा, और फसल को बेहतर पोषक तत्व मिलेंगे। गेहूं की फसल में Clodinafop Propargyl का छिड़काव करने के बाद आपको किसी अन्य खरपतवार नाशक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बस, सही तरीके से दवा का उपयोग करने से आपका खेत खरपतवार मुक्त हो जाएगा और गेहूं की फसल स्वस्थ रूप से बढ़ेगी।

घास वाले खरपतवार

किसान साथियों घासकुल के खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, क्यूजालोफ़ाप इथाईल (टरगासुपर 10 ई.सी.) दवा का इस्तेमाल करें। इसके अलावा घास और चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, कलोडिनाफ़ाम 60 ग्राम और मेट सलफ़यूरान मिथाइल 4 ग्राम को फ़सल में 30-35 दिनों में डालें। उब्बन घास को नियंत्रित करने के लिए, आइसोप्रोट्यूरान रसायन की मात्रा 20% कम करके और 5% सेल्बट/टीपोल/सेन्डोविट स्टिकर मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि खरपतवारों पर रसायनों का इस्तेमाल तब करना चाहिए जब उन पर 2-3 पत्तियां आ जाएं। समय पर बोई गई फ़सलों में, यह अवस्था निचले पहाड़ी क्षेत्रों में 30-35 दिनों के बाद और मध्यवर्ती क्षेत्रों में 40-45 दिनों के बाद आती है।

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार

किसान भाइयों अगर आपकी गेहूं की फसल में चौड़ी पत्ते वाले खरपतवारों का प्रकोप अधिक है तो इसके लिए आप इफ़को का माकोटो बथुआ, सैंजी, जंगली मटर, मैना, पालक जैसे खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, बुआई के 25-35 दिन बाद 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-240 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा कारफ़ेन्ट्राज़ोन-इथार्इल (एफ़िनिटी) का उपयोग मालवा, जंगली पालक, हिरणखुरी जैसे खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, बुआई के 30-35 दिन बाद 20 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव फसल के लिए फायदेमंद होता है। गेहूं की फसल में बथुआ को खत्म करने के लिए किसान भाई कात्यायनी एमएसएम (मेटसल्फ़्यूरॉन मिथाइल 20% वीपी) का उपयोग कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

किसान साथियों यदि आपके खेत में थोड़ी पट्टी वाले खरपतवारों का प्रकोप अधिक है तो आप गेहूं में चौड़ी पत्ते वाली फ़सल की बिजाई ना करें। फसल में छिड़काव करते समय चौड़ी पत्ते वाली नॉज़ल का इस्तेमाल करें। गेहूं के विकास के बूट चरण के करीब या पहुंचने के बाद किसी भी शाकनाशी का इस्तेमाल न करें।

अन्य खरपतवारों के लिए क्या करें?

किसान भाईयों अगर आपके खेतों में चौड़ी पत्तियां और सकरी पत्तियां दोनों प्रकार के खरपतवार उग रहे हैं, तो आपको Sulfosulfuron 75 WG और Metsulfuron Methyl 20% जैसे दोहरे असर वाले खरपतवार नाशकों का उपयोग करना चाहिए। ये दोनों तरह के खरपतवारों को समाप्त करने में मदद करते हैं। इन दवाओं का उपयोग करने के लिए, 35 से 40 दिन के बाद सही मौसम का ध्यान रखते हुए छिड़काव करें। इससे न केवल गेहूं की फसल को खरपतवारों से बचाया जा सकेगा, बल्कि उसका उत्पादन भी अधिक होगा।

दवाओं का प्रभाव और सावधानियाँ

साथियों खरपतवार नाशक दवाओं का प्रभाव अच्छा तब होता है जब इन्हें सही समय और सही मात्रा में प्रयोग किया जाता है। यदि आप इस प्रक्रिया को सही तरीके से करते हैं, तो दवाओं का असर आपके खेतों में बहुत सकारात्मक होगा। इन दवाओं के छिड़काव से न केवल खरपतवार नष्ट होते हैं, बल्कि इससे गेहूं की फसल को भी रोगों से बचाव मिलता है, जिससे उत्पादन बढ़ सकता है। इसके साथ ही इन दवाओं का प्रयोग करते समय आपको कुछ सावधानी रखनी भी आवश्यक है। दवाई का छिड़काव करते वक्त अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और दवाओं का छिड़काव करते वक्त दस्ताने और मास्क का प्रयोग करें ताकि दवा का असर आपके शरीर पर न हो। इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दवाओं का छिड़काव हमेशा अच्छे मौसम में करें। अगर मौसम ठीक नहीं है, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त अधिक दवा का उपयोग भी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए हमेशा सही मात्रा में ही दवा का उपयोग करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।