मटर की अगेती खेती दिलाएगी बम्पर मुनाफा | जाने पूरी डिटेल्स
नमस्कार किसान साथियों! आज की इस रिपोर्ट में हम चर्चा करेंगे सितंबर की टॉप 5 फसलों में से पहली फसल, अगेती मटर की खेती के बारे में। मटर क्यों एक बेहतरीन फसल हो सकती है, यह जानने के लिए इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़ें, और सीखें कि आप मटर की खेती को कैसे सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
अगेती मटर की खेती में कुछ विशेष बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहले, यह जानना जरूरी है कि अगेती मटर से मिलने वाली आय दूसरी फसलों से संभवतः अच्छी मिल सकती,अगेती मटर के रेट ₹100 प्रति किलो तक जा सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर किसान इस फसल से लाभ उठा लेगा । इसका लाभ केवल वे किसान उठा सकते हैं जिन्होंने उचित तैयारी और योजना के साथ बुवाई की हो। हमारे देश में, मटर की खेती करने वाले किसानों में से केवल 40% किसान ही अच्छे लाभ प्राप्त कर पाते हैं, जबकि बाकी 60% किसान केवल घाटा उठाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई किसान अगेती मटर की बुवाई में जल्दबाजी करते हैं और बिना सही जानकारी के इस फसल को लगाते हैं। इससे उनकी फसल शुरुआती चरण में रोगों का शिकार हो जाती है या उसकी ग्रोथ रुक जाती है।
मटर की खेती के लिए महत्वपूर्ण बातें
मटर की खेती की सफलता के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। सबसे पहले, मटर एक दलहनी फसल है, इसलिए इसमें देसी खाद का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। मटर की जड़ों में राइजोबियम नामक बैक्टीरिया होते हैं जो हवा से नाइट्रोजन को फिक्स कर पौधे को उपलब्ध कराते हैं, जिससे यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है। अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग मटर की फसल में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, इसलिए देसी खाद का उपयोग करें।
अगेती मटर की बुवाई का समय और मिट्टी का चयन
अगेती मटर की बुवाई के लिए सही समय सितंबर के अंत से अक्टूबर तक होता है, जब तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से कम होता है। इस समय तापमान मटर की वृद्धि के लिए आदर्श होता है। मिट्टी का चयन भी महत्वपूर्ण है; उपजाऊ और बलुई दोमट मिट्टी अगेती मटर के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत की pH स्तर 6 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
अगर आपके पास सीट ड्रिल नहीं है, तो आप मटर की बुवाई हाथ से भी कर सकते हैं। इसके लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करके, एक मोटी रस्सी की सहायता से लाइन बना लें और 6 इंच के अंतर पर मटर के दाने रखें। मटर की अच्छी तरह से अंकुरण के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखें और बीजों को सही तरीके से ट्रिट किया गया हो।
बुवाई के 15 दिनों के अंदर ही आपको नालियां बनानी चाहिए, जिससे खेत में पानी देने में आसानी हो और खरपतवार की समस्या भी कम हो। खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ डेढ़ से 2 लीटर पेंडा मिथाइलिन का छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव करते समय खेत में उल्टा चलें, ताकि लेयर ब्रेक न हो और घास का नियंत्रण हो सके।
खेत की तैयारी और खाद प्रबंधन
खेत की तैयारी के दौरान, खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और उसमें गली हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाएं। यह मिट्टी में कार्बन और ऑर्गेनिक मटेरियल की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और बेहतर उत्पादन देते हैं। पहली जुताई से पहले 30 किलो पोटाश और एक बोरी सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग करें। अगेती फसलों में सल्फर की आवश्यकता बहुत कम होती है, जिसे सिंगल सुपर फॉस्फेट के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। खेत को अच्छे से तैयार करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेत की मिट्टी ऐसी होनी चाहिए कि एक लड्डू बनाकर गिराने पर टूट जाए, लेकिन कमर से नीचे गिराने पर न टूटे।
खेत में सुपर फॉस्फेट, डाई अमोनियम फॉस्फेट (DAP), पोटाश, और सल्फर जैसी रासायनिक खादों का सही अनुपात में प्रयोग करें। बीज बोने से पहले खेत की अच्छी तरह से सिंचाई कर लें, ताकि बीज आसानी से अंकुरित हो सकें।
बीज का चयन और उपचार
मटर की फसल के लिए बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। आजाद पी-3, ए गया था 7, और काशी नंदिनी जैसी वैरायटीज को प्राथमिकता दें। ये वैरायटीज 60 से 70 दिनों में पक जाती हैं और बाजार में इनकी मांग भी अधिक होती है। बीजों को फफूंद नाशक और कीटनाशक से उपचारित करें ताकि बीज प्रारंभिक चरण में रोगों से सुरक्षित रह सकें।
खेत की सिंचाई और रोग प्रबंधन
सिंचाई का सही समय और मात्रा बहुत महत्वपूर्ण है। अत्यधिक सिंचाई से फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए सही मात्रा में सिंचाई करें। खेत में नालियां बनाकर पानी देने में आसानी हो, और खरपतवार की समस्या कम हो। खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ डेढ़ से 2 लीटर पेंडा मिथाइलिन का छिड़काव करें।
मटर की खेती में पानी का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कला है। 20 दिन बाद हल्का पानी दें, और अधिक पानी देने से बचें, जिससे फफूंद जनित रोगों का खतरा कम होता है। अगर आप मॉडर्न खेती कर रहे हैं, तो स्प्रिंकलर या ड्रिप सिस्टम का उपयोग करें।
40 दिन की फसल:जब आपकी फसल लगभग 40 दिन की हो, तब हल्की सिंचाई करनी है। यदि आपके पास सोलर पंप और स्प्रिंकलर है, तो हल्के-हल्के पानी की सिंचाई करें। अधिक पानी देने से बीमारियां लग सकती हैं और फसल कमजोर हो सकती है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा।
पोषण और कीटनाशक
15-20 दिन की फसल: एनपीके 19:19:19, और चेलेटेड जिंक और उचित इंसेक्टिसाइड (जैसे, साइपरमैट्रिन, मेटाक्सी या थायमेट) के साथ मिलाकर छिड़काव करें।इससे फसल स्वस्थ रहती है और अच्छी वृद्धि होती है।
40 दिन की फसल: जब आपकी फसल 40 दिन की हो, तो सिंचाई करते समय उड़िया (रेया) और जिंक मिलाकर छिड़काव करें।या पानी देने के बाद, 40 दिन पर एनपीके 19:19:19 और सल्फर का स्प्रे करें।
सिंचाई के 2-3 दिन बाद एनपी 13045 और एक बार फिर से इंसेक्टिसाइड का छिड़काव करें।
फफूंदनाशक (फंगी साइड) जैसे एजोस्टरबिन, टेबुकोनाजोल, या ट्राईफ्लक्सीस्ट्रोबिन का प्रयोग करें। ये पौधों की गंभीर बीमारियों को रोकने में मदद करेंगे।
(50 दिन की फसल) फूल और फलियों के समय: जब फसल 50 दिन की हो और फूल से फलियों का निर्माण हो रहा हो, तो एनपी 05234 और बोरान का छिड़काव करें।
इस तरह के प्रबंधन से आपकी फसल स्वस्थ रहेगी और उत्पादन अच्छा होगा। उत्पादन के लिए 55-60 दिन के बाद आप बाजार में फसल बेच सकते हैं।
अंत में , मटर की खेती में सफलता पाने के लिए सही खाद, बीज, और पानी के प्रबंधन का ध्यान रखना आवश्यक है। वैज्ञानिक विधि से अगेती मटर की खेती करने पर आप उच्च उत्पादन और बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सही जानकारी और तैयारी के साथ, मटर की फसल एक लाभकारी विकल्प बन सकती है।
इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, आप मटर की खेती को सफलतापूर्वक कर सकते हैं और अच्छे लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।