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धान की रोपाई के बाद तुरंत करें यह काम | नहीं होगी अड़ंगे की समस्या

धान की रोपाई के बाद तुरंत करें यह काम | नहीं होगी अड़ंगे की समस्या
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किसान साथियों अब मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है और खरीफ फसलों की बुवाई जोरों पर है। धान, खरीफ की मुख्य फसल है, और इसकी अच्छी पैदावार के लिए किसान अनेक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। जैसा कि आप सबको पता है कि धान की फसल में खरपतवार प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि ये खरपतवार पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं और उत्पादन को काफी हद कम कर सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि खरपतवार को कन्ट्रोल करने के लिए समय रहते सही कदम उठाए जाएं। आज की रिपोर्ट में हम खरपतवार प्रबंधन की कुछ तकनीकों पर चर्चा करेंगे

क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी के अनुसार, धान की रोपाई के 24 से 36 घंटे के भीतर प्रीटिलाक्लोर 50% ईसी या बुटाक्लोर 50% ईडब्ल्यू नामक दवाओं का उपयोग करने से खरपतवार की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। ये दवाएं प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड्स हैं, जो खरपतवारों के बीजों को अंकुरित होने से पहले ही नष्ट कर देती हैं।

खरपतवार प्रबंधन के लिए अन्य महत्वपूर्ण कदम:
धान की रोपाई के 24 से 36 घंटे के भीतर ही हर्बिसाइड्स का छिड़काव करें। प्रीटिलाक्लोर 50% ईसी या बुटाक्लोर 50% ईडब्ल्यू की अनुशंसित मात्रा का ही उपयोग करें। यह भी सुनिश्चित करें कि हर्बिसाइड का छिड़काव पूरे खेत में समान रूप से हो ताकि कहीं भी खरपतवार उगने का मौका न मिले। खुद की सुरक्षा के लिए हर्बिसाइड का उपयोग करते समय सुरक्षात्मक उपकरण पहनें और निर्देशों का पालन करें।
जाने प्रति एकड़ मे कितनी मात्रा की आवश्यकता
धान की फसल में खरपतवार प्रबंधन के लिए डॉ. एनसी त्रिपाठी की सलाह ने सलाह दी है कि कैसे इस कीट नाशक दवाई का छिड़काव किया जाये कितनी मात्रा मे इसका प्रयोग होना चाहिए जो हमारी फसल  को और उत्तम बना सके | चलिए किसान साथियों आगे जानते हैं इसका उपयोग कैसे करेंगे
प्रीटिलाक्लोर 50% ईसी का उपयोग कैसे करें :
500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की इस्तमल करे। 150 से 200 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर दवा मिलाकर घोल बनाएं। स्प्रे पंप की मदद से छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में 5 से 6 सेंटीमीटर पानी होना चाहिए।
छिड़काव के बाद,ध्यान योग्य बातें
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बुटाक्लोर 50% ईडब्ल्यू एक ऐसा खरपतवार नाशी है. जिसका इस्तेमाल किसान पिछले कई वर्षों से करते आ रहे हैं छिड़काव के बाद  दोबारा खेत में न जाएं, क्योंकि इससे पानी के ऊपर बनी हुई परत टूट सकती है, जिससे दवा का प्रभाव कम हो सकता है। इस प्रकार से सही समय पर और सही तरीके से हर्बिसाइड का उपयोग करने से धान के खेत में खरपतवारों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

नोट : दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञ के अनुभव पर आधारित है। अपनाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से जानकारी जरूर ले लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।