गेहूं की बुवाई से पहले इस तरह से करें बीज़ उपचार | उत्पादन होगा दोगुना
किसान साथियो, नवंबर के पहले सप्ताह से गेहूं की बुवाई का मौसम शुरू हो जाता है। अच्छी और बंपर फसल प्राप्त करने के लिए बीज उपचार करना बेहद जरूरी है। बीज उपचार से गेहूं के बीजों को विभिन्न रोगों और कीटों से बचाया जा सकता है। जब बीज उपचारित होते हैं तो बुवाई के बाद बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे स्वस्थ और मजबूत होते हैं। इससे फसल में रोगों का प्रकोप कम होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है। किसान रासायनिक या जैविक तरीकों से बीज उपचार कर सकते हैं। रासायनिक उपचार में बीज को कीटनाशकों और कवकनाशकों के घोल में डुबाया जाता है जबकि जैविक उपचार में गोमूत्र, जीवामृत आदि का उपयोग किया जाता है। बीज उपचार से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, गेहूं की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल फसल की पैदावार बढ़ाता है बल्कि उसकी गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है। बीज उपचार से बीजों को फफूंद, बैक्टीरिया और अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है, जिससे बीजों का अंकुरण बेहतर होता है। उपचारित बीजों से उगने वाले पौधे स्वस्थ और मजबूत होते हैं, जिससे फसल की वृद्धि में तेजी आती है और फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। किसान रासायनिक और जैविक दोनों तरीकों से बीज उपचार कर सकते हैं।
कैसे करें गेहूं के बीज का उपचार?
साथियो डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, गेहूं की फसल को रोगमुक्त बनाने के लिए बीज उपचार बेहद जरूरी है। बीज उपचार के लिए कैप्टान या थीरम नामक रसायन का उपयोग किया जा सकता है। ये रसायन फसल को होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। बीज उपचार के लिए 1 किलो बीज को उपचारित करने के लिए 2 से 2.5 ग्राम कैप्टान या थीरम पर्याप्त होता है। इसके अलावा, बावस्टीन नामक रसायन का भी उपयोग किया जा सकता है। 40 किलोग्राम बीज उपचारित करने के लिए 100 ग्राम कैप्टान या बावस्टीन की आवश्यकता होती है। बीज उपचार करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। सबसे पहले, गेहूं के बीज को छायादार स्थान पर फर्श पर बिछा दें। फिर, बीज पर पानी का छिड़काव करें और रसायन को बीज के ऊपर बिखेर दें। इसके बाद, बीज को अच्छी तरह से हाथ से मिला लें। इस प्रक्रिया के बाद, गेहूं की फसल की बुवाई की जा सकती है।
जैविक खेती तरीका कैसे है कारगर
डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, किसान रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक तरीकों से भी बीजों का उपचार कर सकते हैं। ट्राइकोडर्मा नामक एक जैविक खाद का उपयोग करके बीजों का उपचार किया जा सकता है। मात्र 5 से 6 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज पर्याप्त होता है। इस विधि से बीज जनित और भूमि जनित कई रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। बीज उपचारित करने से फसल का अंकुरण बेहतर होता है और पौधे स्वस्थ रहते हैं। इससे किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित है बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करता है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।