DAP और नैनो DAP आपके लिए कौन सा है बेहतर | जाने इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी
किसान साथियो गेहूं की बुवाई का समय आते ही किसानों के मन में डीएपी खाद को लेकर चिंता सताने लगती है। डीएपी एक रासायनिक खाद है जिसे सरकार किसानों को उपलब्ध कराती है। यह खाद फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और फसलों की वृद्धि को तेजी से बढ़ाती है। हाल ही में, सरकार नैनो डीएपी को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। डीएपी और नैनो डीएपी में कई अंतर हैं। डीएपी एक दानेदार खाद है, जबकि नैनो डीएपी एक तरल खाद है। विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकाल में डीएपी के अत्यधिक उपयोग से खेत की उर्वरक शक्ति कम हो सकती है और खेत बंजर हो सकते हैं। इसके विपरीत, नैनो डीएपी के उपयोग से खेत की उर्वरक शक्ति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
नैनो डीएपी में क्या खास बात है
नैनो डीएपी एक तरल उर्वरक है, जो नैनो तकनीक के माध्यम से विकसित किया गया है। इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व नैनोकणों के रूप में होते हैं, जिससे पौधे इन पोषक तत्वों को अधिक आसानी से ग्रहण कर पाते हैं। इस उर्वरक में 8% नाइट्रोजन और 16% फॉस्फोरस होता है और इसके कणों का आकार 100 नैनोमीटर से भी कम होता है। नैनो डीएपी के छोटे कण बीज की सतह पर आसानी से चिपक जाते हैं और पौधों के रंध्रों से होकर अंदर तक पहुंच जाते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की अधिक मात्रा मिलती है।
क्या नैनो डीएपी फैसलों के लिए अच्छा है
नैनो डीएपी एक ऐसा उर्वरक है जिसका उपयोग फसलों के विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसे बीजों को उपचारित करने, जड़ों, कंदों और पौधों के अन्य हिस्सों पर लगाने के साथ-साथ पत्तियों पर छिड़काव करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। नैनो डीएपी के उपयोग से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है और फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। यह उर्वरक पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है क्योंकि यह मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। नैनो डीएपी की बोतलें आकार में छोटी होती हैं, जिससे इन्हें आसानी से रखा और ले जाया जा सकता है। यह किसानों के लिए एक सुविधाजनक विकल्प है।
डीएपी और नैनो डीएपी की कीमतों में कितना अंतर है
जहां पारंपरिक डीएपी उर्वरक के लिए किसानों को 1,350 रुपये खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब नैनो डीएपी मात्र 600 रुपये में उपलब्ध है। किसानों को 600 एमएल नैनो डीएपी आसानी से मिल जाती है। हालांकि, जानकारी के अभाव में कई किसान नैनो डीएपी के उपयोग से हिचकिचा रहे हैं। बहराइच जिले के कृषि अधिकारी सूबेदार यादव का मानना है कि किसानों को एक बार नैनो डीएपी का उपयोग अवश्य करना चाहिए। उनका कहना है कि एक बार उपयोग करने के बाद किसान खुद ही नैनो डीएपी का इस्तेमाल करना पसंद करेंगे। उन्होंने बताया कि बहराइच में कई किसानों को नैनो डीएपी दिया गया है और जिन्होंने इसका उपयोग किया है, वे अब लगातार इसका ही उपयोग कर रहे हैं। कृषि अधिकारी ने किसानों से अपील की है कि वे नैनो डीएपी को अपनाएं और इसके लाभों का लाभ उठाएं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।