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क्या पानी के संकट को मिटा सकती है Drip Irrigation, जानिए भारतीय खेती में कितना बदलाव ला सकती है यह तकनीक?

क्या पानी के संकट को मिटा सकती है Drip Irrigation, जानिए भारतीय खेती में कितना बदलाव ला सकती है यह तकनीक?
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Next Generation Agriculture - Drip Irrigation
साथियो खेत किसानी के क्षेत्र में आए दिन कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता रहता है। हाल ही में इजात की गई कुछ तकनीकें ऐसी है जो सही मायने में किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं जबकि कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिनका केवल हो हल्ला होता है लेकिन सही मायने में उन्हें प्रयोग में लाना सम्भव नहीं है। आज की रिपोर्ट में हम सिंचाई की एक ऐसी तकनीक का विश्लेषण करने वाले हैं जो भारत में खेत किसानी के लिए काफी लाभदायक हो सकती है। अगर आप एक एडवान्स किसान हैं और नयी तकनीक प्रयोग में लाना चाहते हैं तो आपको यह रिपोर्ट अंत तक पढ़नी चाहिए। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

Drip irrigation: खेती में सिंचाई के लिए कई नई तकनीक सामने आ रही हैं जिसमें ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर, हाइड्रोपोनिक, सॉइललेस कल्टीवेशन, IOT( agriculture internet of things) जैसे हाइटेक सिंचाई व्यवस्थाएं शामिल हैं। भारत में खेती की व्यवस्था को देखते हुए इन तकनीकों में सबसे ज्यादा फायदा दे सकने वाली तकनीक ड्रिप इरिगेशन है। खेती में ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने की जरूरत है। रिसर्च और परिणामों के आधार पर ड्रिप  इरिगेशन 90% तक सफल सिंचाई तकनीक के रूप में साबित हो रही है जिससे पानी के बढ़ते संकट से उबरने के लिए अपनाने की जरूरत है। भारत जैसे देश में 80% तक पानी खेती में इस्तेमाल होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बहुत ही छोटे स्तर पर हो रही ड्रिप इरिगेशन और इसके बढ़ते प्रयोग ने इस नंबर को 75% के करीब ला दिया है। फिलहाल देश में करीब 16 लाख हेक्टयर एरिया में ड्रिप इरिगेशन हो रहा है। उम्मीद लगायी जा रही है कि अगले 2 साल में यह 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ सकता है। पर्यावरण के बचाव और खासतौर पर जल संकट से निपटने में ड्रिप इरिगेशन कितना कारगर है, इसे लगाने में कितना खर्च आता है और क्या सब्सिडी मिलती है, इन सबके बारे में  IARI, वाटर टेक्नोलॉजी सेंटर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर अनिल मिश्रा के द्वारा दी गई जानकारी का विवरण आगे दिया गया है।

खेती के भविष्य के लिए क्यों जरूरी है ड्रिप इरिगेशन?
भारत में अगर हरियाणा, पंजाब जैसे कुछ अन्य सिंचित राज्यों को छोड़ दे तो समूचे भारत में पानी का संकट लंबे समय से बना हुआ है। राजस्थान में तो यह समस्या और भी विकट है।  डॉक्टर अनिल मिश्रा का मानना है कि पानी के संकट से बचना है और सस्टेनेबल खेती की तरफ कदम बढ़ाना है तो आधुनिक किसान को ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाना जरूरी है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्लाइमेट के हिसाब से खेती करने के लिए नियम और जागरुकता दोनों का होना भी जरूरी है। डॉ मिश्रा का कहना है कि जिन राज्यों में कम बारिश होती है वहां ज्यादा पानी वाली में होने वाली फसलें उगाने को हतोत्साहित किया जाना चाहिए या फिर ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीक के साथ फसल उगाने के लिए सिस्टम बनाने की जरूरत है. उदारहण के तौर पर धान की फसल के लिए 1200 मिलीमीटर से लेकर 4000 मिलीमीटर तक सिंचाई की गहराई चाहिए होती है.

भारत के कई राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और कई प्रदेशों में 1500 मिलीमीटर तक बारिश होती है इसलिए वहां इस फसल के लिए बहुत कम पानी की जरूरत पड़ती है. साथ ही इन राज्यों की मिट्टी भी पानी को होल्ड करती है जिससे कम पानी की जरूरत होती है. लेकिन पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश  की जमीन एग्री क्लाइमेट इकॉलॉजी के मुताबिक धान उपयुक्त नहीं है. लेकिन धान के लिए MSP तय है इसलिए यहां के लोग भी धान उगाते हैं,और काफी मात्रा में पानी यूज कर लेते हैं. यही हाल गन्ना की फसल के साथ है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में जहां पानी का संकट है वहां भी ज्यादा पानी वाली फसल जैसे गन्ना की पैदावार हो रही है ऐसे में बेहद जरूरी हो जाता है कि जिन जगहों पर पानी की कमी है वहां ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा मिले। चुनिंदा फसलों को छोड़कर लगभग सभी फसलों में ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई हो सकती है लेकिन विशेष रूप से नकदी फसलें  जिसमें सभी सब्जियां और फल-फूल शामिल हैं इनमें इसका रिजल्ट बहुत अच्छा है।

इजराइल जैसे देश से सीखने की है जरूरत
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इजराइल देश में इस तकनीक को इतने बड़े पैमाने पर अपनाया गया है कि अगर एक हरा पत्ता भी दिखता है तो उसके लिए ड्रिप इरिगेशन का ही इस्तेमाल होता है। कहने का मतलब कि इजराइल में खेती में परम्परागत सिंचाई के तरीकों को छोडकर पूरी तरह ड्रिप इरिगेशन का ही इस्तेमाल होता है। डॉ अनिल मिश्रा ने अपनी इजराइल यात्रा अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि एक वहां एक पार्क बनाया जा रहा था तो पहले पूरे पार्क की खुदाई की और फिर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और नेटवर्क बिछाया जब जाकर दुबारा मिट्टी डाली और पार्क बनकर तैयार हुआ। अब तो इजराइज में अंडरग्राउंड और सरफेस ड्रिप इरिगेशन दोनों सिस्टम खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

भारत में क्यों कम पॉपुलर है ड्रिप इरिगेशन?
भारत देश में खेती, किसान और सिस्टम अभी उतना हाइटेक हुआ नहीं है इसलिए ड्रिप इरिगेशन सिंचाई की नई तकनीक को लोग इस्तेमाल में नहीं ला रहे। इसे बढावा देने के लिए इसके लिए योजना बनाने के साथ उसके क्रियान्वन पर बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है।  किसानों में तकनीक के प्रति इतनी जागरुकता नहीं है और जो योजनाएं भी बनती हैं सिस्टम में उतनी ज्यादा पारदर्शिता नहीं है कि किसानों तक उसका पूरा लाभ पहुंच पाये जिससे किसान इस तकनीक का कम इस्तेमाल कर रहे हैं.
किसानों को ड्रिप इरगेशन से जोड़ने में एक और समस्या छोटे खेत का होना भी है। लघु किसान इस तरह की तकनीक को इस्तेमाल नहीं करना चाहते। जमीन ठेके पर या बटाई पर ली जाती है। ऐसे में लघु किसान ऐसा कोई सिस्टम अपनाने से बचते हैं जिसमें बटाईदार का खर्च बढ़े।

भारत में परम्परागत तरीके से सिंचाई के लिए नहरों का जाल बिछाया गया है। इन इलाकों में ज्यादातर फ्लड इरिगेशन होता है। लोग उसे ही इस्तेमाल करना चाहते हैं इसलिए यहां के किसान ड्रिप इरिगेशन को एक फालतू खर्च और काम के तौर पर देखते हैं।
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए सरकार को भी आगे आने की जरूरत है। भारत एन जिस तरह से चकबंदी व्यवस्था को लागू किया गया है उसी तरह बड़े स्तर पर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को भी लागू किया जाना चाहिए। लेकिन इसके खर्च का एक हिस्सा उपयोगकर्ता से भी लिया जाए ताकि उसका फ्री वाला इस्तेमाल ना हो और रखरखाव बना रहे।

ड्रिप इरिगेशन का खर्च और कितनी मिलती है सब्सिडी?
सरकार ने 5 हेक्टयेर की लिमिट तय कर रखी है जिसमें ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई कर सकते हैं। और इसके लिए सरकार ने 80-90% तक की सब्सिडी की व्यवस्था की है। लागत की बात करें एक एकड़ बागवानी के लिए ड्रिप इरिगेशन लगाने में करीब 40 से 50 हजार रुपये का खर्च आता है। ड्रिप इरिगेशन को लागू करने के लिए दो सिस्टम लगाने पड़ते हैं जिसमें पहला है पानी के स्रोत से एक बड़े टैंक में पानी भरना और दूसरा है उस पानी को ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से फसल तक पहुंचाना।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।