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इस समय धान की फसल में लगता है यह खतरनाक रोग | जाने इसके लक्ष्ण और उपाये

इस समय धान की फसल में लगता है यह खतरनाक रोग | जाने इसके लक्ष्ण और उपाये
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किसान साथियो खरीफ की धान की रोपाई पूरी हो चुकी है और मौसम में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है, जबकि कुछ जगहों पर तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इस मौसमी बदलाव के कारण धान की फसल में आर्द्रता बढ़ रही है, जिससे कई तरह के रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। वर्तमान में, धान की फसल में झंडा रोग और फुट रॉट रोग जैसे रोगों के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इन रोगों का समय पर उपचार न करने पर फसल को काफी नुकसान हो सकता है।

झंडा रोग और फुट रॉट रोग
कृषि विज्ञान केंद्र, नियामतपुर की पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष बासमती धान की किस्म PB-1692 में झंडा रोग और फुट रॉट रोग जैसे रोग व्यापक रूप से फैले थे। यही नहीं, अन्य धान की किस्मों में भी इन रोगों के लक्षण देखे गए थे। इन रोगों के कारण धान के पौधे की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है और पौधा छोटा रह जाता है। यदि पौधे को जड़ से खींचा जाए तो वह आसानी से उखड़ जाता है। डॉ. वर्मा ने बताया कि रोपाई से पहले मिट्टी का उपचार करने से इन रोगों को काफी हद तक रोका जा सकता है। हालांकि, यदि फसल में इन रोगों के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत उचित उपचार करना आवश्यक है।

फसल को कैसे बचाये इन रोगो से
डॉ. नूतन वर्मा ने किसानों को सलाह दी है कि झंडा रोग और फुट रॉट रोग से बचाव के लिए 250 ग्राम एफिनेट मैमिथाइल को 125-130 लीटर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करें। इसके अलावा, कार्बेंडाजिम और थायोफिनेट मिथाइल के घोल का भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जो किसान अभी भी बासमती धान की रोपाई कर रहे हैं, उन्हें खेत की अंतिम जुताई के समय ट्राइकोडरमा का प्रयोग करना चाहिए। ट्राइकोडरमा एक जैविक खाद है जो फसलों को फफूंद जनित रोगों से बचाने में मदद करता है। इस प्रकार, ट्राइकोडरमा का उपयोग करके किसान झंडा रोग और फुट रॉट रोग जैसी बीमारियों से अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

Note:- किसान साथियो उपर दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिक की सलाह जरूर ले लें । कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान में किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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