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सितम्बर महीने में इस तरह से करें ऊटी लहसुन की खेती | एक सीज़न में ही बना देगी करोड़पति | देखें पूरी जानकारी

सितम्बर महीने में इस तरह से करें ऊटी लहसुन की खेती | एक सीज़न में ही बना देगी करोड़पति | देखें पूरी जानकारी
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नमस्कार किसान साथियो! ज्यादा साल नहीं बीते हैं जब मंडियों में लहसुन के भाव 50 रुपये प्रति क्विंटल से बिक रहे थे। जी हां किसान साथियो हम बात कर रहे हैं 1998 के आसपास की। उस साल लहसुन के भाव इस कदर पिटे थे कि 50 पैसे प्रति किलो में मैं खुद मंडी में बेचकर आया था। लहसुन की खेती एक घाटे का सौदा बन गई थी। उसके बाद किसानो ने जैसे लहसुन की खेती से मुँह मोड़ लिया था। लेकिन वो कहते हैं कि वक़्त सबका बदलता है तो फिर लहसून के किसानो का भी बदलना ही था। आज की डेट में लहसुन भाव 50 हजार रुपये क्विंटल तक भी मिल जाते हैं। MP, और महाराष्ट्र के अनेकों किसान लहसुन की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं। चूंकि आज लहसून की खेती एक फायदे का सौदा है इसलिए आज की रिपोर्ट में हम आपके सामने कुछ इसकी खेती की A से लेकर Z तक की जानकारी देने जा रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

क्यूँ बढ़ गया है लहसून का महत्व
साथियों लहसुन में सब्जी के साथ-साथ हजारों औषधीय गुण भी होते हैं, लहसुन के सेवन से शरीर की कई प्रकार की बीमारियों को खत्म किया जा सकता है, इसलिए लहसुन की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है, परिणामस्वरूप लहसुन की तरफ किसानों का जबरदस्त रुझान है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि लहसुन के जो बाजार भाव है ना पिछले लगभग एक साल से लगातार ऊंचाइयों को छू रहे हैं। इस समय किसान भाई सोच रहे हैं कि जल्दी से जल्दी लहसुन की बुवाई की जाए। साथियों वैसे तो लहसुन की बिजाई अक्टूबर नवंबर महीने में की जाती है, लेकिन अगर आप इसकी अगेती बिजाई करते हैं यानी कि सितंबर में अगर आप लहसुन की बिजाई करते हैं तो आपको अधिक मुनाफा मिल सकता है, क्योंकि इस समय की हुई बिजाई एक महीने पहले फसल तैयार हो जाती है और मंडी में अच्छा खासा भाव मिल जाता है। तो दोस्तों जानते हैं कि लहसुन की बुआई हम किस तरह से करें किस तारीख से करें, खेत की तैयारी किस तरह से करें, तैयारी करते वक्त हम कौन-कौन से खाद डालें,आगे चलकर हमें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

खेत की तैयारी
साथियो अगर खेत की तैयारी की बात की जाए तो, किसी भी फसल का बढ़िया उत्पादन लेने के लिए आपको खेत की अच्छी जुताई करनी होती है और बात करें अगर विशेषकर जो कंव की फसलें होती हैं जैसे कि लहसुन है, प्याज है, आलू है,अदरक है इनके अंदर तो गहरी जुताई सबसे जरूरी है, सबसे पहले अपने खेत के अंदर 5-6 ट्रॉली गोबर की देसी खाद डालें। अगर खाद पुरानी गली सड़ी है तो वह आपके लिए और अधिक फायदेमंद हो सकती है और फिर खेत में तीन-चार गहरी जुताई कर दीजिए, अगर आपके पास देसी सड़ा गड़ा गोबर का खाद नहीं मिल रहा है तो उस स्थिति के अंदर आप कोई भी वार्मिंग कंपोस्ट की यूनिट जो आप के आसपास में चल रही है बढ़िया क्वालिटी के वार्मिंग कंपोस्ट कम से कम पांच से सात क्विंटल अपने खेत के अंदर डाल सकते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

रासायनिक खाद
फास्फोरस: अगर बात करें रासायनिक खादो कि तो रासायनिक खाद में सबसे पहले आपको रखना है फास्फोरस। फास्फोरस आपको दो तरह के मिलेंगे एक तो जहां सिंगल सुपर फास्फेट है जिसमें आपको 16 % वाला फास्फोरस मिल जाएगा उसके अंदर साथ ही आपको मिलेगा  सल्फर कैल्शियम। तो पहले तो आपको लगभग दो बैग मतलब 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से उसके अंदर डाल देना है फिर आपको उसमें पूरा एक बैग डीएपी का डालना है।

पोटाश: साथियो आप लहसुन की खेती के अंदर बेसल डोज में 35 से 50 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से पोटाश डालनी है, पोटाश थोड़ी महंगी होने के कारण कई किसान भाई खेत में पोटाश नहीं डालते हैं, पोटाश लहसुन की खेती के लिए बहुत ही जरूरी होती है क्योंकि पोटाश की बदौलत ही आपकी जो फसल है ना उसका साइज इंक्रीज होगा आगे चलकर दूसरी तरफ फसल आपकी बीमारियों से बची रहेगी, और लहसुन की क्वालिटी भी बढ़िया बनेगी।

नाइट्रोजन: अब आपको इसमें 15 किलो नाइट्रोजन भी डालनी है, नाइट्रोजन हमें 15-20 किलो ही डालनी है क्योंकि नाइट्रोजन की पूर्ति कुछ हद तक हमारी डीएपी से हो जाती है,नाइट्रोजन  किसी भी फसल के अंदर उसकी वेजिटेटिव ग्रोथ को बढ़ाने में मदद करता है।

सल्फर: साथियों अगर आप लहसुन की बुवाई करते हैं तो उसमें सल्फर की पूर्ति बहुत आवश्यक है सल्फर की कुछ पूर्ति तो पहले आपने जो सिंगल सुपर फॉसफेट  डाला उससे हो जाएगी, इसके अलावा आपको 3 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से 90 % वाली लें या फिर बेंटोनाइट सल्फर अगर आप डालने जा रहे हो दानेदार जो सल्फर आती है तो कम से कम आप 8 से 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालिए। आप इस डोज को थोड़ी बहुत मात्रा में घटा या बढ़ा भी सकते हो।

मिथाइल : साथियों लहसुन की खेती के लिए मिथाइल भी बहुत जरूरी है लहसुन की खेती के लिए आप लगभग आधा किलो मिथाइल प्रति एकड़ के हिसाब से ले सकते हैं। थाइफनिट मिथाइल एक अच्छा फंजीसाइड है और आप इसे अन्य खादों के अंदर ही  मिला लीजिए ताकि आगे चलकर आपके खेत के अंदर अगर नमी भी ज्यादा बनी रहे। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कई बार हमारी फसल के अंदर जड़ों के अंदर प्रॉब्लम आ जाती है। लहसुन की फसल शुरुआती चरण में जर्मिनेट तो हो जाती है लेकिन जर्मिनेट होने के बाद वो पीले-पीली हो जाती है, फसल एक तरह से बीमारी की तरफ बढ़ने लगती है, उस स्थिति से बचाने के लिए हमें अपनी फसल के अंदर शुरुआती चरण में जब हम बेसल डोज डाल रहे हैं उसमें हम थाइफनिट जैसे बढ़िया क्वालिटी के फंजी साइड अगर हम शुरुआती चरण में डाल देंगे तो हमारे खेत के अंदर अगर वो फंगस के सपोर्स भी होंगे तो वो कंट्रोल हो सकते हैं। इसके बाद आप इन सभी खादों को अच्छी तरह से मिलाकर पूरे खेत के अंदर छिड़काव कर दें, और खेत की अच्छे से दोबारा जुताई करे,अगर रोटावेटर है तो रोटावेटर चला दीजिए या फिर आप कल्टीवेटर चलाकर उसके ऊपर आप पाटा लगा सकते हो अगर जमीन ज्यादा गीली है तो पाटा लगाने की आवश्यकता नहीं है। अगर आप खेत में इन पोषक तत्वों की पूर्ति कर देते हैं तो आपकी फसल स्वस्थ सुरक्षित है और अधिक उत्पादन देने वाली होगी,और उसकी क्वालिटी भी बढ़िया होगी।

बुवाई की विधि
साथियों अब हम बात करते है बुवाई की विधि की, किसी भी फसल की बुवाई करते समय हमें सबसे पहले मौसम को ध्यान में जरूर रखना चाहिए, क्योंकि इस टाइम जब आप अभी लहसुन की बुवाई कर रहे हो तो आगे चलकर बरसात का पता नहीं है हो सकता पूरी सितंबर बरसात हो जाए तो उस स्थिति के अंदर अपनी फसल को बचाने के लिए आप बेड बना लीजिए। अब बेड आपका दो फीट का भी हो सकता है 3 फीट का भी हो सकता है और बेड के ऊपर आप लाइन निकाल‌ लीजिए एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी लगभग 5 इंच की या 6 इंच की होनी चाहिए और एक पौधे से दूसरे पौधे की जो दूरी आपको रखनी है वो 4 से 5 इंच रख सकते हो। उसके बाद आपको सबसे पहले बीज की क्वालिटी देखनी चाहिए, बीज अच्छी क्वालिटी का और उपचारित होना चाहिए। आप जो बीज बुवाई के लिए लेकर आए हैं उसकी जांच कर ले वह अच्छी तरह से सुखा होना चाहिए, अगर उसमें नमी की मात्रा है तो आप उसको अच्छी तरह सुखा ले, बीज जितना सुखा होगा, आगे चलकर उतना ही अच्छा उसका जर्मिनेशन होगा।

खरपतवार नियंत्रण
किसान भाइयों बुआई करने के बाद आपके खेत के अंदर खरपतवार उगनी शुरू हो जाती है, जो मिट्टी में मौजूद सभी पौषक तत्वों की ताकत को चूसना शुरू कर देती है, कई किसान भाई इसी बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि खरपतवार को किस तरह से नियंत्रित किया जा सके तो आप इसके अंदर बुवाई करने के बाद पेंडा एथिलीन लगभग 700 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से लेना है,और उसकी स्प्रे कर देनी है। उसके बाद आपको सिंचाई कर देनी है। ऐसा करने से खेत के अंदर जो खरपतवार है ना वो शुरुआती चरण में जर्मिनेट होने से रुक जाएंगे,अगर फिर भी
आपके खेतों के अंदर खरपतवार निकल आते हैं तो आप इसके अंदर चौड़ी पत्ती और सकरी पत्ती खरपतवार नियंत्रण के लिए
बाजार यह बढ़िया क्वालिटी की दवाई जैसे कि ऑक्सी फ्लोरो फैन को लगभग 8 से और 10 एमएल प्रति एक टंकी 20 लीटर वाली का छिडकाव करें। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

सिंचाई
किसान भाइयों लहसुन की फसल में समय-समय पर सिंचाई भी बहुत जरूरी है अगर मौसम अनुकूल है और बारिश समय-समय पर हो रही है तो आपको सिंचाई की आवश्यकता नहीं है, अगर पहली सिंचाई की बात करें तो लहसुन की फसल में आपको 10 से 15 दिन के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए और फिर बाद में हर 15 से 20 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रहे आप अधिक सिंचाई न करें सिंचाई फसल के अनुकूल ही करें।

बीमारियां और रोकथाम
भाइयों बिजाई के बाद जैसे-जैसे लहसुन की फसल बढ़ने लगती है वैसे ही साथ-साथ उनमें बीमारियों के बढ़ने का भी खतरा शुरू हो जाता है, जिसके कारण फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में कमी आ जाती है। आईए जानते हैं लहसुन की फसल में आने वाली कुछ प्रमुख बीमारियां के बारे में।

1. पाउडरी मिल्डयू: भाइयों इस बीमारी से ग्रसित पौधौ की पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे बन जाते हैं, जो फसल की ग्रोथ को रोक देते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए आप ट्राईडेमोफ्र 50% WP 250 ग्राम 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें छिड़काव करते समय पौधों की पत्तियों को पूरी तरह से गिला करें।

2. डाउनी मिल्डयू: किसान भाइयों इस रोग से पीड़ित पौधों की पत्तियों पर पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जो पौधे की पत्तियों को नष्ट कर देते हैं, इसकी रोकथाम के लिए आपको मेटालैक्सिल 35% WS 500 ग्राम 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें, छिड़काव करते समय पौधों की पत्तियों को अच्छी तरह से गिला करें।

3. रूट रोटॅ: इस रोग का असर लहसुन के पौधों की जड़ों पर पड़ता है, इस रोग से ग्रसित पौधों की जड़े सड़ जाती हैं और पौधा मर जाता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए आप कार्बेन्डाजिम 50% WP 250 ग्राम 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें, ध्यान रहे इसका छिड़काव आपको पौधों की जड़ों में करना है, और पौधों की जड़ों को अच्छी तरह से गिला करना है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

4. नेक राटॅ: इस रोग का असर पौधों के तनों पर पड़ता है, इस बीमारी से ग्रसित पौधों के तने धीरे-धीरे सड़ने लग जाते हैं और फिर आखिर में पौधा मर जाता है अगर हम सही समय पर इसका उपचार करें तो फसल को नष्ट होने से बचा सकते हैं,इसके उपचार के लिए हमें क्लोरोपायरीफाॅस 20% EC 500 मिलीलीटर डेढ़ सौ लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए, छिड़काव करते समय ध्यान रखें पौधे के तनों को अच्छी तरह से गिला करें ताकि दवाई पौधे पर अच्छी तरह से असर करे और बीमारी की रोकथाम हो सके।

Note:  रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से इकट्ठी की गई है और इसमें कुछ समावेश अपने निजी विचारों का है, किसी भी कार्य को करने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें और हर कार्य अपनी समझ से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।