क्या इस सीज़न में MSP के उपर ही बिकेगा आपका गेहूं | जाने इस रिपोर्ट में
किसान साथियों यह साल गेहूं की कीमतों के लिहाज से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। वर्तमान में गेहूं के दाम में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। कई बार ऐसा लगता है कि जितनी भी अच्छी खबरें हों, जब बाजार में कीमतें ऊपर की ओर बढ़ें तो आम जनता और किसान दोनों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। देश में इस बार गेहूं का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, लेकिन वर्तमान में गेहूं के दाम बीते साल की तुलना में करीब 15% अधिक हैं। व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं के औसत दाम इस साल ₹2600 प्रति क्विंटल से अधिक रह सकते हैं। इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी है। राजस्थान में किसानों को इस बार गेहूं का ₹2575 प्रति क्विंटल मूल्य मिलने की उम्मीद है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा घोषित ₹150 प्रति क्विंटल का बोनस भी शामिल है। इस मूल्य वृद्धि के चलते आम उपभोक्ताओं को गेहूं और इससे बने उत्पादों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है, जिससे घरों और होटलों में रोटी की कीमत बढ़ने की आशंका है।
गेहूं के दामों में उतार-चढ़ाव
कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में गेहूं व्यापार से जुड़े ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि 2024 की शुरुआत में गेहूं के औसत दाम ₹2600 प्रति क्विंटल थे, लेकिन 2025 की शुरुआत में यह बढ़कर ₹3300 प्रति क्विंटल हो गए हैं। हालांकि, जैसे ही मार्च-अप्रैल के दौरान मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ेगी, तो दामों में गिरावट की संभावना भी बनेगी। अगले डेढ़ महीने में गेहूं की कीमत ₹2600 प्रति क्विंटल के आसपास स्थिर हो सकती है। हालांकि, साल के अंत तक जैसे-जैसे गेहूं की उपलब्धता कम होती जाएगी, इसके दाम ₹3200 प्रति क्विंटल से भी अधिक हो सकते हैं।
दिल्ली मंडी मे भी गेहूं की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। महीने की शुरुआत में भाव ₹3100 प्रति क्विंटल था, जो 6-7 फरवरी को गिरकर ₹3080 तक पहुंच गया, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखी गई। 14 फरवरी को गेहूं की कीमत ₹3325 के उच्चतम स्तर पर पहुंची, जिससे बाजार में तेजी का रुख दिखा। हालांकि, 17 फरवरी के बाद कीमतों में हल्की गिरावट आई और 24 फरवरी को यह ₹3225 प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।
गेहूं उत्पादन और बुवाई के रुझान
इस वर्ष भारत में गेहूं की बुवाई में वृद्धि दर्ज की गई है। कुल मिलाकर, देशभर में 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में गेहूं की फसल उगाई गई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में गेहूं की खेती मुख्य रूप से बढ़ी है। कृषि विभाग के अनुसार, देश में आमतौर पर 1000 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार उत्पादन बढ़कर 1100 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है। राजस्थान में गेहूं की फसल अप्रैल-मई में मंडियों तक पहुंचती है, जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात में यह थोड़ा पहले आ जाती है। कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में भी मार्च के महीने में गेहूं की हल्की आवक शुरू हो जाती है, लेकिन प्रमुख रूप से अप्रैल-मई के दौरान ही इसकी बड़ी खेप मंडियों तक पहुंचती है।
मंडी सचिव और किसान संगठन की राय
भामाशाह कृषि उपज मंडी के सचिव मनोज कुमार मीणा का कहना है कि उनकी मंडी में सालभर में लगभग 50 लाख क्विंटल गेहूं की खरीद होती है। 2024 के जनवरी में गेहूं का मॉडल भाव ₹2600 प्रति क्विंटल था, लेकिन अप्रैल तक यह घटकर ₹2435 प्रति क्विंटल हो गया था। हालांकि, इसके बाद इसमें लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली और 2025 के जनवरी तक गेहूं का दाम ₹3000 प्रति क्विंटल पहुंच गया।
भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव के अनुसार, इस बार गेहूं की फसल अभी तक ठीक स्थिति में है, लेकिन हाल ही में तापमान में अचानक वृद्धि से गेहूं के दानों पर प्रभाव पड़ सकता है। अधिक गर्मी के कारण गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
खाद्य पदार्थों पर असर
कोटा के एक मैस संचालक जसपाल सिंह का कहना है कि गेहूं के दाम बढ़ने का असर सीधे तौर पर आटे की कीमतों पर पड़ा है। बीते वर्ष जहां आटा ₹30 प्रति किलो मिल रहा था, वहीं इस साल यह बढ़कर ₹35-37 प्रति किलो पहुंच चुका है। इस बढ़ती कीमत का असर आम लोगों की रसोई तक महसूस किया जा रहा है। रेस्टोरेंट और मैस में भी रोटी की लागत बढ़ गई है, जिससे थाली की कीमतों में वृद्धि हो रही है।
गेहूं की कीमतों में वृद्धि के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। सबसे पहला कारण सरकार द्वारा बढ़ाया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) है। केंद्र सरकार ने गेहूं का MSP ₹2425 प्रति क्विंटल तय किया है, और राजस्थान सरकार ने किसानों को अतिरिक्त ₹150 प्रति क्विंटल का बोनस देने की घोषणा की है, जिससे सरकारी खरीद के लिए गेहूं की कीमत ₹2575 प्रति क्विंटल हो गई है। इसके अलावा, स्टॉक की कमी भी कीमतों को प्रभावित कर रही है। बड़ी आटा मिलें और प्रोसेसिंग कंपनियां फिलहाल अधिक स्टॉक नहीं रख रही हैं, क्योंकि मौजूदा कीमतें पहले से ही ऊंची हैं। इसी के साथ, बड़ी कंपनियां भी केवल अपनी जरूरत के अनुसार ही खरीदारी कर रही हैं, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
किसानों की बिक्री रणनीति भी गेहूं की कीमतों को प्रभावित कर रही है। इस बार किसानों को पहले ही ₹3200 प्रति क्विंटल तक के दाम मिल चुके हैं, जिससे वे अपनी उपज को एक बार में बेचने की बजाय धीरे-धीरे बेचने की योजना बना रहे हैं, ताकि अधिकतम मुनाफा प्राप्त किया जा सके। जैसे-जैसे घरेलू और औद्योगिक स्टॉक बढ़ेगा, कीमतों में स्थिरता आने की संभावना है, लेकिन फिलहाल बढ़ती कीमतों का असर आम जनता से लेकर व्यवसायिक संस्थानों तक साफ देखा जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल गेहूं की कीमतें अप्रैल-मई तक ₹2600 प्रति क्विंटल के आसपास रह सकती हैं, लेकिन जून के बाद धीरे-धीरे कीमतों में बढ़ोतरी होगी। यदि मौसम सामान्य रहा और उत्पादन अच्छा हुआ, तो कीमतों में स्थिरता रह सकती है। लेकिन यदि गर्मी अधिक बढ़ी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का असर पड़ा, तो गेहूं की गुणवत्ता और उपज दोनों प्रभावित हो सकते हैं, जिससे कीमतों में और अधिक वृद्धि देखने को मिल सकती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।