राजस्थान में मंडियां कब खुलेंगी | क्या है किसान संगठनों की मांग | मामले पर पूरी अपडेट देखें
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों सरसों का सीजन धीरे-धीरे अपने पीक की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन राजस्थान में मंडिया बंद रहने के कारण किसानों और व्यापारियों दोनों को परेशानी हो रही है। हड़ताल की वज़ह से अनजान और आंदोलन से दूर रहे किसान यह जानना चाहते हैं कि आखिर राजस्थान में मंडियां कब खुलने वाली हैं। औए उन्हें अपनी सरसों को बेचने का मौका कब मिलेगा। मंडी मार्केट मीडिया ने मामले की तह तक जाने की कोशिश की है और इस मामले पर अपना दृष्टिकोण रखने का प्रयास किया है
आखिर क्या है हड़ताल की वज़ह
राजस्थान के किसान संगठन ने फैसला किया है कि राजस्थान के किसान 15 मार्च तक अपनी सरसों ₹6,000 प्रति क्विंटल से कम दाम पर नहीं बेचेंगे और इसके बाद स्थिति का आकलन करके आगे की रणनीति तय करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल मंडियों में सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5,950 प्रति क्विंटल से भी नीचे चल रहे हैं। किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि राजस्थान में रबी सीजन की मुख्य तिलहन फसल का 50% क्षेत्र है, इसलिए यह आंदोलन व्यापक स्तर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टोंक और अलवर जैसे जिलों में कई किसानों ने महाशिवरात्रि के दिन संकल्प लिया है कि वे ₹6,000 से कम कीमत पर अपनी सरसों नहीं बेचेंगे। यह आंदोलन सरकार से MSP की गारंटी की मांग के लिए वर्षों से जारी 'सरसों सत्याग्रह' का ही हिस्सा है।
राजस्थान में सरसों उत्पादन का अनुमान
राजस्थान सरकार के अनुसार, इस साल राज्य में सरसों उत्पादन 55.57 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि केंद्र सरकार का अनुमान अभी जारी नहीं हुआ है। जिलेवार उत्पादन अनुमान इस प्रकार है:
टोंक: 5.51 लाख टन
गंगानगर: 4.85 लाख टन
हनुमानगढ़: 3.79 लाख टन
सवाई माधोपुर: 3.03 लाख टन
अलवर: 2.88 लाख टन
बीकानेर: 2.69 लाख टन
भरतपुर: 2.37 लाख टन
बात पिछले सीजन की करें तो पिछले साल (2023-24) भारत में कुल 132.6 लाख टन सरसों उत्पादन हुआ था, जिसमें राजस्थान का योगदान 57.58 लाख टन (43%) था। इस साल सरसों का कुल रकबा कम रहा, जिसका मुख्य कारण अक्टूबर के अंत तक जारी बारिश को माना जा रहा है। रकबा कम रहने के अलावा हाल फ़िलहाल हुई बारिश और ओलावृष्टि के कारण भी सरसों का उत्पादन पिछले साल से कम रह सकता है।
क्या हैं सरसों किसानों की मांगें
किसान नेता रामपाल जाट ने सरकार से मांग की है कि सरसों की सरकारी खरीद में किसानों पर लगे 25 क्विंटल प्रति दिन की सीमा को हटाया जाए और 90 दिनों की खरीद अवधि को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि वास्तविक खरीद 70 दिनों से भी कम रहती है, क्योंकि अक्सर कर्मचारियों की हड़ताल, बोरी की कमी जैसी समस्याओं का बहाना बना दिया जाता है। सरसों की आवक फरवरी के मध्य से शुरू होती है, लेकिन सरकारी खरीद अप्रैल में शुरू होती है, जिससे किसानों को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
मिलावट के कारण गिरते दाम
सरसों के दाम गिरने का एक बड़ा कारण सस्ते तेलों जैसे पाम ऑयल की मिलावट और कम आयात शुल्क भी है। रामपाल जाट ने बताया कि 1984 तक भारत खाद्य तेल में आत्मनिर्भर था, लेकिन बाद में सरकार की नीतियों के चलते उस समय के 85% आयात शुल्क को धीरे-धीरे घटाकर शून्य कर दिया गया। 1991 की आर्थिक उदारीकरण नीति के बाद तेलों के आयात में और बढ़ोतरी हुई और "ब्लेंडिंग" नाम से एक नई नीति लागू कर दी गई, जिससे सरसों तेल में अन्य तेलों की मिलावट की अनुमति मिल गई। हालांकि, 2020 में सरसों तेल में ब्लेंडिंग पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन मिलावट को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे शुद्ध सरसों तेल अभी भी बाजार में दुर्लभ है।
सरसों सत्याग्रह का संघर्ष जारी
सरसों किसानों को उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसान महापंचायत ने 2023 में दिल्ली में उपवास रखकर 'सरसों सत्याग्रह' का आयोजन किया था। तब से अब तक कई ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन सरकार से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। किसानों की यह मांग है कि सरकार सरसों के उचित मूल्य की गारंटी दे और मिलावट रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
कब तक खुलेंगी मंडियां
साथियो जैसा कि हमने उपर बताया किसानों ने फिलहाल 15 मार्च तक सरसों को ₹6,000 से कम पर न बेचने का फैसला किया है। अगर सरकार की तरफ से कुछ बातचीत का ऑफर मिलता है तो मुद्दा सुलझ सकता है। अगर सरकार कोई बातचीत नहीं करती है या सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानीं, तो वे आगे की रणनीति तय करेंगे। आने वाले हफ्तों में बाजार में सरसों की कीमतें और सरकारी फैसले इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे। उसके बाद ही मंडियों में सरसों का कारोबार सुचारू रूप से चलेगा।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।