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इस ट्रेन से 4 घण्टे की यात्रा होगी मात्र 25 मिनट में पूरी | जाने किन शहरो के बीच चलेगी ये ट्रेन

इस ट्रेन से 4 घण्टे की यात्रा होगी मात्र 25 मिनट में पूरी | जाने किन शहरो के बीच चलेगी ये ट्रेन
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दोस्तों, हाइपरलूप तकनीक भविष्य की हाई-स्पीड परिवहन प्रणाली के रूप में उभर रही है, जो यात्रा को बेहद तेज और सुविधाजनक बना सकती है। यह तकनीक चुंबकीय उत्तोलन (मैग्लेव) और कम दबाव वाली ट्यूब के सिद्धांत पर आधारित है, जिससे घर्षण और हवा का प्रतिरोध काफी हद तक कम हो जाता है। चीन की एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (CASIC) इस दिशा में तेजी से काम कर रही है और 2025 तक एक ऐसी हाइपरलूप आधारित ट्रेन विकसित करने की योजना बना रही है, जो 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की अविश्वसनीय रफ्तार से दौड़ सकेगी। इस ट्रेन में अत्याधुनिक मैग्लेव तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह बिना पहियों के, हवा में तैरती हुई गति करेगी, जिससे यात्रा के दौरान झटकों और शोर को भी कम किया जा सकेगा। अगर यह परियोजना सफल होती है, तो लंबी दूरी की यात्रा के लिए हवाई जहाज का विकल्प तैयार हो सकता है, जिससे यात्रा का समय घटेगा और ऊर्जा की खपत भी कम होगी। भारत भी अब हाइपरलूप तकनीक को अपनाने की दिशा में शोध कर रहा है, और यदि यह प्रणाली सफलतापूर्वक लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलगे |

भारत में हाइपरलूप परियोजना

भारत में भी हाइपरलूप परियोजनाओं पर काम हो रहा है। देश की पहली हाइपरलूप परियोजना मुंबई और पुणे के बीच प्रस्तावित है। वर्तमान में, इन दोनों शहरों के बीच यात्रा में लगभग 3-4 घंटे लगते हैं, लेकिन हाइपरलूप ट्रेन के जरिए यह सफर मात्र 25 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इस प्रणाली में यात्रियों के लिए पॉड्स बनाए जाएंगे, जिनमें प्रति पॉड 24 से 28 यात्री बैठ सकेंगे।

हाइपरलूप की विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से बंद ट्यूब में वैक्यूम के अंदर चलती है, जिससे वायु घर्षण नहीं होता और ट्रेन अत्यधिक गति पकड़ सकती है। इस तकनीक में ऊर्जा की खपत भी पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में बहुत कम होती है और यह लगभग शून्य प्रदूषण उत्पन्न करती है। हार्डट हाइपरलूप ने इस तकनीक का पहला सफल परीक्षण 2019 में किया था, जिससे यह साबित हुआ कि यह तकनीक व्यावहारिक रूप से काम कर सकती है।

रेल मंत्री का समर्थन और आईआईटी मद्रास की भागीदारी

भारत में हाइपरलूप तकनीक के विकास को लेकर केंद्र सरकार सक्रिय रूप से प्रयास कर रही है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने हाइपरलूप को भविष्य के परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस अत्याधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, सरकार ने पहले ही आईआईटी मद्रास को दो बार एक-एक मिलियन डॉलर का अनुदान प्रदान किया है, और अब इस परियोजना को और आगे बढ़ाने के लिए तीसरा मिलियन डॉलर का अनुदान देने की योजना है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हाइपरलूप ट्रेन के शुरू होने के बाद मात्र 30 मिनट में 300 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी, जो वर्तमान समय में उपलब्ध सबसे तेज रेलगाड़ियों की तुलना में भी कई गुना तेज होगी। यह तकनीक न केवल यात्रा के समय को कम करेगी बल्कि ऊर्जा दक्षता और यात्रियों की सुविधा के मामले में भी नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो भारत के परिवहन क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

स्पेनिश कंपनी जेलरॉस और यूरोपीय हाइपरलूप नेटवर्क

भारत और चीन के अलावा, यूरोप में भी हाइपरलूप तकनीक तेजी से विकसित हो रही है। स्पेनिश कंपनी जेलरॉस इस प्रणाली को विकसित करने में लगी हुई है और उसका लक्ष्य यूरोप के प्रमुख शहरों को 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जोड़ने का है। इससे अंतरराष्ट्रीय यात्रा के समय में भारी कमी आएगी |

बेंगलुरु-चेन्नई हाइपरलूप परियोजना

भारत में एक अन्य हाइपरलूप परियोजना बेंगलुरु और चेन्नई के बीच प्रस्तावित है। रेलवे मंत्रालय और आईआईटी मद्रास इस तकनीक पर शोध कर रहे हैं और इस मार्ग पर हाइपरलूप ट्रेन चलाने की योजना बना रहे हैं। वर्तमान में इस यात्रा में लगभग 6 घंटे लगते हैं, लेकिन हाइपरलूप ट्रेन के जरिए यह सफर केवल 30 से 40 मिनट में पूरा किया जा सकेगा।

हाइपरलूप ट्रेनें पारंपरिक रेलगाड़ियों से बिल्कुल अलग हैं। यह तकनीक बेहद कम ऊर्जा खपत करती है, न्यूनतम मेंटेनेंस की आवश्यकता होती है और अत्यधिक तेज गति प्रदान कर सकती है। हाइपरलूप न केवल यात्रा के समय को कम करेगा बल्कि ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं का भी समाधान कर सकता है। चीन, भारत और यूरोप के प्रयासों को देखते हुए यह साफ है कि हाइपरलूप भविष्य की परिवहन प्रणाली बनने जा रही है। यदि यह परियोजनाएं सफल होती हैं, तो आने वाले वर्षों में लोग कुछ ही घंटों में हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकेंगे।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।