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दिल्ली-मेरठ रूट पर बनेगा यह शहर | 5 गांवों की ज़मीन होगी अधिग्रहित

दिल्ली-मेरठ रूट पर बनेगा यह शहर | 5 गांवों की ज़मीन होगी अधिग्रहित
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दिल्ली-मेरठ रूट पर बनेगा यह शहर | 5 गांवों की ज़मीन होगी अधिग्रहित

दोस्तों, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गाज़ियाबाद में दिल्ली-मेरठ रोड पर एक नया टाउनशिप विकसित करने की योजना बनाई गई है। यह टाउनशिप "हरनंदीपुरम आवास योजना" के तहत बनने जा रहा है। गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने इस योजना के पहले चरण के तहत पांच गांवों की ज़मीन अधिग्रहित करने का फैसला किया है। योजना के अनुसार, इस टाउनशिप का विस्तार 521 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा, जिसमें से 462 हेक्टेयर ज़मीन सीधे किसानों से खरीदी जाएगी। इस टाउनशिप के लिए ज़मीन की दरें अगले 10 से 15 दिनों में तय होने की उम्मीद है। यह योजना न केवल गाज़ियाबाद के विकास को गति देगी, बल्कि साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार और बेहतर आवास की सुविधाएं भी प्रदान करेगी। ऐसे में इस योजना को लेकर लोगों के बीच उत्साह है, लेकिन किसानों और ग्रामीणों के लिए यह एक चुनौती भी हो सकती है, क्योंकि उनका संपत्ति से जुड़ा सवाल सीधे तौर पर इस विकास कार्य से जुड़ा है। तो चलिए इस परियोजना के महत्व, इसकी खासियत और इससे होने वाले आम जनता पर प्रभाव को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।

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हरनंदीपुरम आवास योजना

साथियों, हरनंदीपुरम आवासीय परियोजना गाज़ियाबाद के सबसे बड़े विकास परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है। राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य दिल्ली-मेरठ रोड पर एक विशाल टाउनशिप का निर्माण करना है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवास की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी विकास की एक नई लहर लाएगा। इस परियोजना का कुल आकार 521 हेक्टेयर होगा, जिसमें से 462 हेक्टेयर ज़मीन सीधे किसानों से खरीदी जाएगी। इस परियोजना का पहला चरण पहले पांच गांवों की ज़मीन अधिग्रहण से जुड़ा होगा। ये गांव हैं मथुरापुर, नगला फिरोज मोहनपुर, शमशेर, चंपत नगर, और भनेड़ा खुर्द। सरकार द्वारा इन गांवों से ज़मीन ली जाएगी और उन्हें इस परियोजना के विकास में शामिल किया जाएगा। वहीं, कुछ गांवों को दूसरे चरण के लिए स्थगित किया गया है, जिनमें भोपापुर, शाहपुर निजमोर्टा, और मोर्टा शामिल हैं।

ज़मीन की दरों पर फैसला

दोस्तों, गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण ने योजना के लिए ज़मीन की दरें तय करने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति जल्द ही बाजार दरों और सर्कल रेट (circle rate) के आधार पर ज़मीन की कीमतों का निर्धारण करेगी। इस विषय पर सरकार का कहना है कि किसानों और ज़मीन मालिकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है। और यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 10 से 15 दिनों में ज़मीन की दरें तय कर दी जाएंगी। गाज़ियाबाद के निवासी और किसान इस प्रक्रिया में भाग लेकर अपने विचार और आपत्तियां भी प्रकट कर सकते हैं, ताकि ज़मीन की कीमत उनके लिए उचित हो। कुछ किसान पहले ही अपनी आपत्तियां दर्ज कर चुके हैं, खासकर उन गांवों के बारे में जहां सर्कल रेट अधिक होने का मामला है।

तीन गांवों की ज़मीन क्यों छोड़ी गई

साथियों, पहले इस योजना में आठ गांवों की ज़मीन ली जाने की बात की गई थी, लेकिन बाद में गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने इसे घटाकर केवल पांच गांवों तक सीमित कर दिया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इन पांच गांवों में ज़मीन की उपलब्धता अधिक थी और ज़मीन खरीदने की प्रक्रिया भी सरल थी। इसके अलावा, इन गांवों में विकास के लिए आवश्यक ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही तैयार था। तीन गांवों के बारे में चर्चा करते हुए जीडीए के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने कहा कि इन गांवों को फिलहाल योजना से बाहर किया गया है, लेकिन ये गांव परियोजना के दूसरे चरण में शामिल किए जाएंगे। इन गांवों की ज़मीन को लेकर किसानों की आपत्तियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, और इसके समाधान के लिए आगे की प्रक्रिया जारी रहेगी।

फिरोज़ी मोहनपुर और चंपत नगर की ज़मीन का अधिग्रहण

साथियों, यह पांच गांव जिनकी ज़मीन पहले चरण में अधिग्रहित की जाएगी, उनमें से कुछ ऐतिहासिक और ग्रामीण महत्व रखते हैं। इनमें फिरोज़ी मोहनपुर और चंपत नगर जैसे गांवों में बड़ी संख्या में किसान रहते हैं, जो अपनी ज़मीन बेचने या बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि, जीडीए ने ये ज़मीनें खरीदी हैं, लेकिन आने वाले समय में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि किसान अपने हितों की रक्षा के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं। इसके अलावा, इस योजना के तहत इन गांवों से भूमि के अधिग्रहण को लेकर सरकार को भी किसानों के अधिकारों और उनके भरण-पोषण की चिंताओं का ध्यान रखना होगा। हालांकि, एक बड़ी संख्या में किसानों ने जीडीए के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि विकास के साथ उन्हें नई नौकरियों और बेहतर जीवन की उम्मीदें हैं।

ज़मीन की सर्कल दर और बाजार दर का अंतर

साथियों, गाज़ियाबाद जिले में ज़मीन की सर्कल दर और बाजार दर में अंतर हमेशा एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। क्योंकि आपको बता दें कि सर्कल दर, वह होती है जिसे सरकार द्वारा तय किया जाता है, वास्तविक बाजार दर से कहीं कम हो सकती है। ऐसे में जब ज़मीन का अधिग्रहण किया जाता है तो किसानों को यह उचित नहीं लगता क्योंकि उन्हें अपनी ज़मीन की वास्तविक कीमत नहीं मिलती। लेकिन जीडीए की योजना के तहत एक विशेष समिति ने इन दोनों दरों पर विचार करना शुरू किया है, जिससे यह सुनिश्चित करने में आसानी हो कि किसानों को उनकी ज़मीन की सही कीमत मिले। प्राधिकरण बाजार दरों और सर्कल दरों को ध्यान में रखते हुए एक उचित मूल्य तय करेगा। इस प्रक्रिया से किसानों को आशा है कि उन्हें वाजिब भुगतान मिलेगा और उनका नुकसान कम होगा।

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किसानों की भूमिका

साथियों, यह परियोजना गाज़ियाबाद में विकास को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है, लेकिन इसमें किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनका सहयोग और संतुष्टि इस परियोजना की सफलता के लिए जरूरी है। अगर जीडीए किसानों के साथ सही तरीके से संवाद करता है और उन्हें उचित मूल्य देता है, तो यह योजना हर किसी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत गाज़ियाबाद में नए विकास की शुरुआत होगी, जो न केवल शहर के लोगों को बल्कि गांवों के विकास को भी गति देगा। साथ ही, यह नई नौकरियों के अवसर भी प्रदान करेगा। हालांकि, यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि विकास के साथ किसानों और ग्रामीणों के हितों की रक्षा की जाए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।