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घट गया है नरमा कपास का रकबा | क्या अब बढ़ेंगे भाव | जाने इस रिपोर्ट में

घट गया है नरमा कपास का रकबा | क्या अब बढ़ेंगे भाव | जाने इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो भारतीय कपास निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ललित कुमार गुप्ता ने बताया है कि इस वर्ष देश में कपास की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में 11 लाख हेक्टेयर कम रहा है। विशेष रूप से पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में ही कपास की बुवाई 7 लाख हेक्टेयर कम हुई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष कपास का उत्पादन 325 लाख गांठ तक पहुंच सकता है। यह अनुमान देश के कृषि विभाग द्वारा अनुमानित 300 लाख गांठ के उत्पादन से थोड़ा अधिक है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कैसे घटा नरमा और कपास का रकबा
पिछले साल फतेहाबाद सहित हरियाणा और आसपास के राज्यों में कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप बहुत ज्यादा था, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था। इसी कारण से इस साल कई किसानों ने कपास की जगह धान की खेती करना शुरू कर दिया। फतेहाबाद जिले में अकेले 7600 हेक्टेयर में कपास की खेती करने वाले किसानों ने धान की खेती की। हालांकि, इस साल कपास की फसल स्वस्थ रही है और कपास के भाव भी अच्छे चल रहे हैं। वर्तमान में कपास के भाव 7200 से 7500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं, जबकि दिवाली से पहले यह 8300 रुपये तक पहुंच गया था। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) भी कपास की खरीद कर रहा है, लेकिन वह केवल समर्थन मूल्य पर ही कपास खरीदता है। 27 एमएम रेशे वाली कपास का समर्थन मूल्य 7221 रुपये और 28 एमएम रेशे वाली कपास का समर्थन मूल्य 7421 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

सीसीआई केवल 8 से 12 प्रतिशत नमी वाली कपास ही खरीदती है
किसानों से सीधे कपास खरीदने वाली केंद्रीय कपास समिति (सीसीआई) केवल 8 से 12 प्रतिशत नमी वाली कपास ही खरीदती है, जिसके कारण आढ़तियों को मिलने वाला अढ़ाई प्रतिशत कमीशन छूट जाता है। इसी वजह से, भले ही सीसीआई किसानों से कपास खरीद रही हो, लेकिन उन्हें पर्याप्त मात्रा में कपास नहीं मिल पा रही है। किसानों को मंडी में मिलने वाला भाव सीसीआई के भाव के बराबर या उससे अधिक होता है, जिसके कारण किसान सीसीआई को कपास बेचने के लिए कम उत्सुक होते हैं। पिछले दिनों जब कपास का भाव 7000 रुपये के करीब पहुंचा था, तभी किसानों ने सीसीआई को कपास बेचना शुरू किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि बिजाई क्षेत्र कम होने के कारण इस साल कपास के भाव बढ़ सकते हैं, हालांकि दक्षिण भारत में कपास का उत्पादन अच्छा होने का अनुमान है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

भारतीय कपास निगम के सीएमडी ललित कुमार गुप्ता का क्या कहना है
निगम के सीएमडी ललित कुमार गुप्ता ने बताया कि देश में कपास का मुख्य उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में होता है। निगम यह सुनिश्चित करने का कार्य करता है कि किसानों को उनकी कपास की फसल का उचित मूल्य मिले और उन्हें समर्थन मूल्य से कम कीमत न चुकानी पड़े। कपास के रेशे की लंबाई के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में समर्थन मूल्य अलग-अलग निर्धारित किया जाता है।

बैंक खाता से जुडी जानकारी
मार्केट कमेटी सचिव यशपाल मेहता ने बताया है कि किसानों को अपनी फसल का भुगतान पाने के लिए अपना बैंक खाता आधार कार्ड से जोड़ना और सक्रिय रखना अनिवार्य है। अगर किसी किसान का बैंक खाता सक्रिय नहीं है, तो उसे फसल बेचने से पहले या बाद में तुरंत बैंक जाकर अपना खाता सक्रिय करवा लेना चाहिए। इसके अलावा, एक किसान से अधिकतम एक एकड़ भूमि से प्राप्त होने वाला 7 क्विंटल नरमा ही खरीदा जाएगा। नरमे की खरीद सप्ताह में पांच दिन होगी और शनिवार एवं रविवार को खरीद कार्य बंद रहेगा।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।