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डॉलर के सामने रुपये ने दिखाई अपनी मजबूती | जानिए कैसे बदला समीकरण

डॉलर के सामने रुपये ने दिखाई अपनी मजबूती | जानिए कैसे बदला समीकरण
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डॉलर के सामने रुपये ने दिखाई अपनी मजबूती | जानिए कैसे बदला समीकरण

साथियों, पिछले दो साल से डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट झेल रहा भारतीय रुपया अब मजबूती दिखा रहा है। पिछले हफ्ते में रुपये ने डॉलर के मुकाबले लगातार तीन दिन बढ़त बनाई है। रुपये का यह ट्रेंड भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है । भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सक्रिय हस्तक्षेप, महंगाई दर में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में कमी ने रुपये को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की ताकत में आई गिरावट और विदेशी निवेशकों की रणनीतियों ने भी रुपये को सहारा दिया है।अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि रुपये की यह मजबूती कितने समय तक बनी रहेगी और आने वाले महीनों में इसका रुझान क्या रहेगा। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से समझेंगे कि क्यों और कैसे भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा है और आगे इसकी दिशा क्या हो सकती है।
रुपये की मजबूती के पीछे क्या कारण हैं?पिछले कुछ दिनों में भारतीय रुपया 86.67 प्रति डॉलर के स्तर के आस पास स्थिर नजर आ रहा है। पिछले तीन दिनों में आया यह दो साल में सबसे बड़ा सुधार है। विशेषज्ञों के अनुसार, RBI ने करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करते हुए डॉलर की बिकवाली की, जिससे रुपये को समर्थन मिला। इसके अलावा, भारत में महंगाई दर में गिरावट और अमेरिका में महंगाई बढ़ने से भी रुपये को मजबूती मिली है।हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ लगाने के बाद डॉलर की मांग बढ़ी थी, जिससे रुपये पर दबाव आया, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के प्रयासों से रुपये ने अपनी स्थिति संभाल ली। मंगलवार को रुपया करीब 1% मजबूत हुआ, जो दो वर्षों में इसकी सबसे बड़ी एक दिवसीय बढ़त थी। इसके बाद बुधवार को 27 पैसे और गुरुवार को 14 पैसे की मजबूती देखी गई।

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घरेलू सुधार और वैश्विक समर्थन
सरकार द्वारा जारी महंगाई आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे, जिससे घरेलू शेयर बाजार में सुधार हुआ और रुपये को बल मिला। विदेशी निवेशकों की पहले भारी निकासी के बावजूद अब स्थिति स्थिर हो रही है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी रुपये के लिए सकारात्मक साबित हुई है, क्योंकि भारत एक बड़ा तेल आयातक है और तेल की कीमतें घटने से व्यापार घाटे में कमी आती है।


डॉलर की कमजोरी का असर
पिछले कुछ समय से अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट आ रही है, जो रुपये के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। इस समय डॉलर इंडेक्स 0.60% गिरकर 106.580 पर कारोबार कर रहा है और पिछले एक महीने में 1.25% कमजोर हुआ है। महंगाई के आंकड़े उम्मीद से ज्यादा आने के बाद डॉलर की ताकत में गिरावट देखी गई है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो अन्य मुद्राएं मजबूत होती हैं, और रुपये को इसी का फायदा मिल रहा है।

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ब्रेंट क्रूड और विदेशी निवेशक
ब्रेंट क्रूड की कीमतें हाल ही में 1% गिरी हैं और यह 74.43 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया है। यह रुपये के लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि इससे भारत का व्यापार घाटा कम होता है। दूसरी ओर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने हाल के दिनों में 4,969.30 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, लेकिन रुपये पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ा।
क्या रुपया और मजबूत होगा?विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की यह मजबूती आगे भी जारी रह सकती है। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, महंगाई दर में गिरावट और तेल की कीमतों में नरमी रुपये को सहारा दे रही है। हालांकि, वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और अमेरिकी डॉलर की स्थिति रुपये के रुझान को प्रभावित कर सकते हैं।कुल मिलाकर सार यह है कि पिछले दिनों आयी भयंकर गिरावट के बाद भारतीय रुपया फिलहाल मजबूत स्थिति में है, और इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक दिख सकता है। यह निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है, लेकिन बाजार की चाल को समझकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।