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चावल निर्यातकों ने बासमती पर MEP घटाने के लिए PM मोदी को लिखा पत्र | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

चावल निर्यातकों ने बासमती पर MEP घटाने के लिए PM मोदी को लिखा पत्र | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो भारतीय चावल उद्योग चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियों से काफी प्रभावित हो रहा है। इन पाबंदियों के कारण घरेलू बाजार में बासमती और गैर-बासमती चावल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को वर्तमान 950 डॉलर प्रति टन से घटाकर 700 डॉलर प्रति टन करने का अनुरोध किया है। एसोसिएशन का मानना है कि उच्च एमईपी के कारण भारतीय बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह पा रहा है, जबकि पाकिस्तान के निर्यातक 700 डॉलर प्रति टन की कीमत पर बासमती चावल बेचकर लाभ कमा रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

MEP घटाने के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान एसोसिएशन ने एक ज्ञापन सौंपते हुए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को कम करने का आग्रह किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने रूरल वॉयस से बात करते हुए कहा कि वर्तमान चावल निर्यात नीति में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि अधिक एमईपी के कारण चावल निर्यातक कम कीमत वाली बासमती की कुछ किस्मों का निर्यात नहीं कर पा रहे हैं, जिससे भारतीय चावल उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप देश में बासमती की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत सरकार द्वारा लागू किए गए 950 डॉलर प्रति टन एमईपी के कारण भारतीय बासमती का निर्यात बाधित हो रहा है, जबकि पाकिस्तान में एमईपी केवल 700 डॉलर प्रति टन है, जिससे वहां के बासमती की मांग में बढ़ोतरी हो रही है।

सतीश गोयल ने भारत सरकार से बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि यदि भारत को वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को घटाकर 700 डॉलर प्रति टन किया जाना चाहिए या इसे पूरी तरह से हटा देना चाहिए। गोयल का मानना है कि यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो पाकिस्तान भारत से सस्ता बासमती चावल बेचकर भारतीय निर्यातकों को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय खाद्य मंत्री ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए आश्वासन दिया है कि सरकार इस दिशा में उचित कदम उठाएगी।

क्यों गिर रहे है बासमती के भाव
हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) घटाने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने बताया कि इस साल बासमती 1509 धान की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं। बाजार में यह धान 2200-2600 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा है, जबकि पिछले साल यह 3200-3800 रुपये प्रति क्विंटल था। कीमतों में इस गिरावट से किसानों के साथ-साथ चावल उद्योग को भी भारी नुकसान हो रहा है। एमईपी अधिक होने के कारण निर्यातक और मिल मालिक इस धान को खरीदने में सक्षम नहीं हैं, जिससे बाजार में धान की मांग कम हो गई है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

बासमती चावल उद्योग के एक प्रमुख व्यक्ति, सुशील जैन ने चिंता व्यक्त की है कि यदि सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कमी नहीं करती है, तो भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी बासमती चावल की प्रमुख स्थिति खो सकता है। जैन ने बताया कि पिछले साल धान की कीमतों में गिरावट और अधिक स्टॉक के कारण चावल उद्योग पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उन्होंने आशंका जताई है कि नए बासमती धान के बाजार में आने से कीमतें और गिर सकती हैं, जिससे उद्योग और किसान दोनों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।