पंजाब के बासमती की दुनिया भर में बिखरेगी खुशबु | जाने क्या होगा बड़ा बदलाव
किसान साथियो वैश्विक स्तर पर बासमती चावल को बढ़ावा देने के लिए पंजाब के पास एक बड़ा अवसर है। डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) बासमती चावल और शहद सहित 20 कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक कार्य योजना तैयार कर रहा है। अगस्त तक लागू होने वाली इस योजना से पंजाब के बासमती चावल उत्पादक किसानों को लाभ हो सकता है। पिछले साल रिकॉर्ड 5.96 लाख हेक्टेयर में बासमती की खेती करने वाले पंजाब का इस साल 40 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 10 लाख हेक्टेयर में बासमती की खेती का लक्ष्य है। साधारण धान की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन चुकी है और इसमें पानी की अत्यधिक खपत जलवायु के लिए भी खतरा है। इसलिए, ध्यान बासमती की ओर जा रहा है, जो ऊंचे दाम और कम पानी की खपत के कारण पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
पंजाब में एक किलोग्राम साधारण चावल उत्पादन के लिए लगभग 4118 लीटर पानी की खपत होती है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह मात्रा करीब 2169 लीटर है, क्योंकि वहां की मिट्टी और जलवायु धान की खेती के लिए अधिक उपयुक्त हैं। पंजाब में टिकाऊ जल प्रबंधन, कृषि उत्पादकता, और निर्यात में भागीदारी बढ़ाने के लिए बासमती और साधारण धान की खेती में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। भारत, सब्जियों और फलों के वैश्विक उत्पादन में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद, वैश्विक कृषि निर्यात बाजार में केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले 3 वर्षों में इसे 4 से 5 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसके लिए एक मजबूत कृषि निर्यात योजना तैयार करना आवश्यक है, क्योंकि कृषि उत्पादों के निर्यात में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
पिछले साल की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में कृषि उत्पादों के निर्यात में 3.24 प्रतिशत की गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 48.82 बिलियन अमरीकी डॉलर का कृषि निर्यात, 2022-23 के 53.15 बिलियन डॉलर की तुलना में 8.2 प्रतिशत घट गया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण कई कृषि उत्पादों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध हैं। इसके बावजूद, भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़ा है। 2023-24 में बासमती चावल का निर्यात कारोबार 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वर्ष 2022-23 में यह 4.2 बिलियन डॉलर था। पंजाब, जो इस निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान देता है, के लिए बासमती निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ाना और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
भूजल स्तर गिरने का खतरा
पंजाब में तेजी से गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने साधारण धान का रकबा 25 लाख हेक्टेयर से घटाकर 18 से 20 लाख हेक्टेयर तक सीमित रखने और बासमती का रकबा 8 से 10 लाख हेक्टेयर करने की सिफारिश की है। चालू बुआई सीजन में यदि बासमती के 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य प्राप्त होता है, तो इससे 'क्रॉप डायवर्सिफिकेशन' को बढ़ावा मिलेगा और बासमती की बढ़ती पैदावार पंजाब के लिए वैश्विक बाजार के नए दरवाजे खोलेगी।
16 जुलाई तक 5.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती की खेती हो चुकी थी। यदि अगस्त के पहले हफ्ते तक बुआई जारी रहती है, तो 10 लाख हेक्टेयर में बासमती की बुआई का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। हालांकि, इसके साथ ही उपज की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों के अनुसार बनाए रखना भी आवश्यक है। बासमती की बेहतर गुणवत्ता के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इंसेंटिव देने के साथ-साथ ट्रेनिंग की भी जरूरत है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में साधारण धान की एमएसपी को 117 रुपए क्विंटल बढ़ाकर 2300 रुपए कर दिया है। इस मूल्य पर साधारण धान की बुआई से किसान को प्रति एकड़ 62,000 रुपए से 70,000 रुपए तक मिल सकेंगे, जबकि बासमती से प्रति एकड़ 65,000 रुपए से 1 लाख रुपए तक मिल सकते हैं। हालांकि, साधारण धान की तुलना में बासमती की उपज प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल कम होती है।
आधारित कहा से होता है बासमती एक्सपोर्ट
होशियारपुर, मोगा, मुक्तसर, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, फाजिल्का, और जालंधर समेत पंजाब के एक दर्जन जिलों को केंद्र सरकार की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम’ के तहत बासमती निर्यात क्षेत्र के रूप में विकसित करने की क्षमता है। इन बासमती उत्पादक जिलों में किसानों को निर्यात उन्मुख बासमती की किस्मों की बुआई के लिए सही मिट्टी, उपयुक्त सिंचाई, और गुणवत्ता नियंत्रण के साथ-साथ लागत घटाने के पर्यावरणीय तरीके अपनाने होंगे। वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सुगंधित बासमती की उन्नत किस्मों, जैसे बासमती-370 और बासमती-385 की खेती से पानी की खपत और अधिक पैदावार का लाभ तभी मिलेगा, जब प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग न किया जाए। बासमती को अधिक लाभकारी बनाए रखने के लिए बुआई से लेकर कटाई और फसल की संभाल व मार्केटिंग तक गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना होगा। क्वालिटी के प्रति जागरूक देश, जैसे ब्रिटेन, बासमती में अन्य किस्मों के चावलों की मिलावट का पता लगाने के लिए डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग करते हैं।
वैश्विक बाजार में क्या है हल चल
उच्च गुणवत्ता वाले सुगंधित बासमती चावल यूरोप, सऊदी अरब, ईरान, अमेरिका, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, और यमन को निर्यात किए जाते हैं। इसके अलावा, मलेशिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, इटली, बेल्जियम और ब्रिटेन में भी बासमती निर्यात बढ़ाया जा सकता है। पंजाब को बासमती चावल निर्यात में अग्रणी बनने के लिए अमेरिका, यूरोपीय देशों, और जापान के लिए विशेष चावल किस्में, जैसे अमेरिका के लिए लाल चावल जैसी किस्में विकसित करने की आवश्यकता है।
आगे क्या होगा बासमती में
बासमती एक्सपोर्ट जोन में किसानों को आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया जाए, ताकि वे उच्च गुणवत्ता वाली बासमती की खेती कर सकें। वैश्विक बाजार में पंजाब की बासमती की धाक जमाने के लिए पंजाब सरकार को निर्यात पर मंडी फीस और रूरल डेवलपमेंट फीस (आर.डी.एफ.) माफ करनी चाहिए। 'क्रॉप डायवर्सिफिकेशन' और किसानों की आय बढ़ाने के लिए, साधारण धान की तुलना में बासमती की खेती पंजाब के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।