अब सीधे आपके खाते में आएगी खाद सब्सिडी | जाने क्या तैयारी कर रही सरकार
किसान साथियो मोदी सरकार किसानों के लिए एक बड़ा तोहफा तैयार कर रही है। यह तोहफा ऐसा होगा, जिसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अलावा भी किसानों के बैंक खातों में सीधा पैसा पहुंचेगा। दरअसल, केंद्र सरकार अब बड़ी उर्वरक कंपनियों को फर्टिलाइजर सब्सिडी देने की बजाय इसे सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने की योजना बना रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को अपने आवास पर किसानों के साथ संवाद के दौरान इस योजना की जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में देने पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को लाभ पहुंचाने के बजाय सीधे रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियों को दी जाती है। इस नई योजना से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और वे अपनी जरूरत के अनुसार उर्वरक खरीदने में सक्षम होंगे। यह कदम सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जो किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
भारत सरकार किसानों को कृषि उपकरणों और उर्वरकों पर सब्सिडी देती है ताकि कृषि उत्पादन बढ़ सके और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। उदाहरण के लिए, यूरिया की एक बोरी की कीमत बाजार में लगभग 2400 रुपये है, लेकिन सरकार की सब्सिडी के कारण किसानों को यह केवल 265 रुपये में मिलती है। हालांकि, इस सब्सिडी योजना में कुछ चुनौतियां भी हैं। कई बार उर्वरक का उपयोग गैर-कृषि कार्यों में भी हो जाता है। इसलिए, सरकार अब एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है जिसमें सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाए। इस तरह, सरकार यह सुनिश्चित कर सकेगी कि सब्सिडी का लाभ केवल किसानों को ही मिले। पीएम किसान सम्मान निधि योजना एक अच्छा उदाहरण है, जहां किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में धनराशि स्थानांतरित की जाती है। सरकार इसी तरह की व्यवस्था उर्वरक सब्सिडी के लिए भी लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए किसानों के पास कितनी कृषि भूमि है, इस बात का आंकड़ा जुटाना होगा। इस आधार पर ही किसानों को उर्वरक सब्सिडी दी जाएगी।
किसानों के सीधे कहते में जाएगी सब्सिडी
चौहान ने कहा कि किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। वर्तमान में प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत सालाना 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके अलावा, उर्वरक सब्सिडी के रूप में 2 लाख करोड़ रुपये किसानों को दिए जाते हैं। लेकिन, इन सब्सिडी राशियों का सीधा लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कई बार इन सब्सिडी राशियों का उपयोग कुछ चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, ड्रिप, पॉलीहाउस और मशीनरी की सब्सिडी में ऐसी शर्तें लगा दी जाती हैं कि किसानों को केवल कुछ निर्धारित कंपनियों से ही ये उपकरण खरीदने होते हैं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। चौहान का सुझाव है कि सब्सिडी राशि को सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा किया जाना चाहिए, ताकि किसान स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरत के अनुसार खर्च कर सकें। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह राशि केवल कृषि संबंधी खर्चों पर ही खर्च हो।
सरकार कर रही है किसानो की आय को बढ़ाने का प्रयास
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की आय बढ़ाने और उनकी स्थिति सुधारने के लिए नई योजनाओं पर विचार की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान के घर से बिकने वाली कृषि उपज का दाम और उपभोक्ता द्वारा भुगतान की जाने वाली रकम के बीच बड़े अंतर को कम करने की कोशिश की जा रही है। मंत्री ने कहा कि यदि किसान अपनी उपज दिल्ली जैसे बड़े बाजारों में बेच सके और परिवहन में लगने वाले भाड़े का आधा खर्च केंद्र सरकार और आधा राज्य सरकार उठाए, तो किसानों को बड़ा फायदा होगा। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उन्होंने किसानों की मेहनत को सराहा और कहा कि किसान अकेले मेहनत नहीं करता, बल्कि उसका पूरा परिवार इस कार्य में जुटा रहता है। कई बार मौसम की मार और फसल खराब होने के बावजूद उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता। इस समस्या को दूर करने के लिए नीतिगत बदलाव किए जा रहे हैं ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। सरकार ऐसी व्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रही है, जिससे किसान अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकें। यदि मध्य प्रदेश के किसी जिले के किसान को उसकी उपज दिल्ली में सीधे उपभोक्ता को बेचने का अवसर मिले और उसे परिवहन में मदद मिल जाए, तो यह कदम किसानों के लिए बेहद लाभदायक होगा।
सरकार किसानो से MSP पर खरीद रही है उनकी फसल
सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। तुअर, मसूर और उड़द जैसी दालों की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 100% अधिग्रहण सुनिश्चित किया गया है। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा। सोयाबीन के मामले में, आयात शुल्क बढ़ाने से घरेलू उत्पादकों को लाभ हुआ है और सोयाबीन के दामों में स्थिरता आई है। बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से किसानों को बाजार का विस्तार करने का अवसर मिला है। सरकार लगातार फसलों के भाव पर नजर रख रही है और किसानों को उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए प्रयास कर रही है।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।