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सरकार खाद्य तेलों के आयात पर बढा सकती है टैक्स | क्या सरसों और सोयाबीन के रेट बढ़ेंगे | जाने

सरकार खाद्य तेलों के आयात पर बढा सकती है टैक्स | क्या सरसों और सोयाबीन के रेट बढ़ेंगे | जाने
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किसान साथियो और व्यापारी भवियो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने टैरिफ को लेकर दुनियाभर में विवादों में रहते थे। उन्होंने भारत समेत लगभग हर देश पर भारी टैरिफ लगा दिया था, ताकि उनके देश में स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिले। अब भारत भी अपने किसानों की भलाई के लिए इसी तरह का कदम उठाने जा रहा है। खबरों के मुताबिक, भारत सरकार देश के तिलहन किसानों को राहत देने के लिए वनस्पति तेलों के आयात पर टैक्स बढ़ाने पर विचार कर रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार यह बड़ा फैसला ले सकती है।

अगर यह निर्णय लागू होता है, तो यह छह महीने में दूसरी बार होगा जब वनस्पति तेलों पर आयात कर बढ़ाया जाएगा। अभी की स्थिति में, सस्ते आयातित तेल के कारण घरेलू किसानों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। सस्ते आयात से बाजार में उनकी फसल की कीमत गिर गई है, जिससे उनके लिए उत्पादन जारी रखना मुश्किल हो गया है। सरकार चाहती है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा हक मिले, और इसके लिए वनस्पति तेलों पर इंपोर्ट टैक्स बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। अगर ऐसा होता है, तो इससे देश के हजारों तिलहन किसानों को राहत मिलेगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले को कब तक लागू करती है और इसका बाजार पर क्या असर पड़ता है। लेकिन इतना साफ है कि भारत अब अपने किसानों की सुरक्षा के लिए बड़े कदम उठाने को तैयार है नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

भारत सरकार महंगा कर सकती है फूड ऑयल
भारत खाद्य तेल का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है। यदि भारत खाद्य तेल के आयात कर में वृद्धि करता है, तो उसे अन्य देशों से यह तेल अधिक कीमत पर खरीदना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि नुकसान की भरपाई के लिए अन्य देश तेल की कीमत बढ़ा देंगे। इससे भारत में यह तेल महंगा बिकेगा। इसके साथ ही, पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल जैसी वस्तुओं की विदेशों से खरीद कम हो सकती है, क्योंकि मांग में गिरावट आ सकती है।

अभी तेल आयात पर कितना है टैक्स लगता है?
सितंबर 2024 में, भारत सरकार ने वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क में महत्वपूर्ण बदलाव किए। कच्चे और रिफाइंड दोनों प्रकार के वनस्पति तेलों पर 20% का मूल सीमा शुल्क लगाया गया। इसके अतिरिक्त, कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क को 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दिया गया। इन तेलों के रिफाइंड ग्रेड पर अब 35.75% का आयात कर लगता है। आयात शुल्क में वृद्धि के बावजूद, सोयाबीन की कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 10% से भी कम पर कारोबार कर रही हैं। व्यापारियों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में नए फसल की आपूर्ति शुरू होने पर सरसों की कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

भारत कहां कहां से फूड ऑयल इंपोर्ट करता है?
भारत अपनी वनस्पति तेल की घरेलू मांग का एक बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है। लगभग दो-तिहाई वनस्पति तेल की आवश्यकता आयात के जरिए पूरी होती है। पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सोया तेल और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से आयात किए जाते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।