सरकार ने दी गैर बासमती चावल को निर्यात करने की मंजूरी | चावल की शिपमेंट भेजी जाएगी सीमित मात्रा में
किसान साथियो भारत सरकार ने घरेलू खपत और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, सरकार समय-समय पर चुनिंदा देशों को सीमित मात्रा में चावल निर्यात करने की अनुमति देती रही है। हाल ही में, सरकार ने मलेशिया को सीमित मात्रा में गैर-बासमती चावल निर्यात करने की मंजूरी दी है। मलेशिया सरकार ने अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत सरकार से चावल की मांग की थी। इससे पहले, भारत ने नेपाल, मिस्र, सिंगापुर जैसे कई अन्य देशों को भी चावल निर्यात किया था। गौरतलब तो यह है कि भारत सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, समय-समय पर कुछ देशों को विशेष परिस्थितियों में चावल निर्यात करने की अनुमति दी जाती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के एक अधिसूचना के अनुसार, भारत ने मलेशिया को 2,00,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर बिन इब्राहिम की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत लिया गया है। मलेशिया ने अपनी बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत से चावल की मांग की थी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार ने इससे पहले अक्टूबर 2023 में भी मलेशिया को 1,70,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की अनुमति दी थी। दोनों ही बार, चावल का निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है। भारत और मलेशिया के बीच के मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। यह निर्यात दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा और मलेशिया की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
भारत किन देशों को सीमित मात्रा में गैर-बासमती चावल करेगा निर्यात
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने बताया है कि भारत सरकार विभिन्न देशों को गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात करने की अनुमति दे रही है। यह निर्यात उन देशों के अनुरोध पर किया जा रहा है जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल की आवश्यकता है। भारत ने पहले भी नेपाल, कैमरून, कोटे डी आइवर, गिनी गणराज्य, फिलीपींस, सेशेल्स, यूएई, सिंगापुर, कोमोरोस, मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, मिस्र, केन्या और तंजानिया जैसे कई देशों को विभिन्न मात्रा में गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की अनुमति दी थी। गौरतलब है कि भारत से सबसे अधिक गैर-बासमती चावल अफ्रीकी देश बेनिन खरीदता है। इसके अलावा, यूएई, नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम, सोमालिया, लाइबेरिया जैसे कई अन्य देश भी भारतीय गैर-बासमती चावल के प्रमुख खरीददार हैं। यह निर्यात न केवल भारत के किसानों को लाभ पहुंचाता है बल्कि भारत के व्यापारिक संबंधों को भी मजबूत करता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सरकार में घरेलू जरूरत के लिए 2023 में लगा था चावल पर प्रतिबंध
भारत सरकार ने देश में चावल की कीमतों को स्थिर रखने और घरेलू बाजार में इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना रहा है। पिछले साल अगस्त के अंत में, सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,200 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया था। इसका अर्थ था कि बासमती चावल को इस मूल्य से कम पर निर्यात नहीं किया जा सकता था। यह कदम प्रभावी रूप से बासमती चावल के निर्यात को रोकने जैसा था, क्योंकि इस उच्च मूल्य पर खरीदार मिलना मुश्किल हो गया था। बाद में, जुलाई 2023 में सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। यह निर्णय घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए लिया गया था। इन प्रतिबंधों के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि देश में चावल की मांग इतनी अधिक है कि निर्यात को सीमित करके घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और कीमतों में अचानक वृद्धि को रोका जा सके। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
भारत में इस सीजन हुई है चावल की बंपर बुवाई
भारत विश्व में चावल के उत्पादन और निर्यात दोनों में अग्रणी देश है। देश कुल वैश्विक चावल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रखता है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनाता है। इस वर्ष भी, खरीफ सीजन में चावल की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 20 अगस्त तक देश में 369.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती की जा रही है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 20 लाख हेक्टेयर अधिक है। इस बढ़ते उत्पादन से भारत की चावल निर्यात क्षमता में और इजाफा होने की उम्मीद है।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।