लंबी क़तारों में लगे रहे किसान | फिर भी नहीं मिल रहा DAP
किसान साथियों प्देश सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि किसानों को खाद की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही कहानी बयान कर रही है। किसानों का कहना है कि उन्हें आवश्यक मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिल पा रहा है और इसके लिए उन्हें खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है। खासकर कुछ क्षेत्र जैसे मालवा के किसान खाद की कमी से परेशान हो रहे हैं।
रबी फसल की बुबाई का काम प्रदेश में तेजी से चल रही है, जिसके कारण किसानों को डीएपी खाद की आवश्यकता महसूस हो रही है, लेकिन व्यवस्थाओं में खामियां हैं जिसके चलते किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस कारण, किसानों को रात के समय ही खाद वितरण केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है, फिर वह से भी वे खाली हाथ लौट रहे हैं। यदि यही स्थिति कुछ और दिनों तक बनी रही, तो किसानों के लिए यह एक गंभीर परेशानी का कारण बन सकता है।
अब किसान यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें जितनी मात्रा में उन्हें डीएपी की जरूरत है, वह मात्रा नहीं मिल रही है, जिससे उनकी फसल बुबाई भी प्रभावित हो रही है। इस सीजन में प्रदेश में लगभग 42 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता होती है, उनमे उसको यूरिया के बाद डीएपी की सबसे अधिक आवश्कता होती है।परन्तु अब प्रदेश में खाद का वितरण समितियों और निजी दुकानों के माध्यम से किया जाता है, लेकिन 5 अक्टूबर तक कुल 1 लाख मीट्रिक टन डीएपी ही वितरित हुआ है।
किसानो के मुताबिक, खुले बाजार में डीएपी आसानी से उपलब्ध है, लेकिन उसकी कीमतें काफी अधिक हैं। किसानों का आरोप है कि उन्हें खाद की लगातार कमी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि बाजार में यह ऊँचे दामों पर बेचा जा रहा है। किसानों का यह भी कहना है कि खाद की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है, और डीएपी की एक थैली जो सामान्यत: 1350 रुपये में मिलनी चाहिए, उसे 1500 रुपये में बेचा जा रहा है। किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि समितियों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे उन्हें मजबूरी में ऊँचे दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है।
डीएपी खाद फसलों की जड़ों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पौधों की जड़ों और कोशिकाओं के विभाजन को प्रोत्साहित करती है, जिससे पौधे की शाखाओं और जड़ों को मजबूती मिलती है। हालांकि इसका एक विकल्प एनपीके भी है, लेकिन किसान आम तौर पर इसे नहीं अपनाते।
मुरैना कृषि उपज मंडी में स्थिति यह है कि खाद वितरण केंद्र के बाहर बड़ी संख्या में किसान, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, सुबह से ही खाद लेने के लिए लाइन में लगने को मजबूर हैं। जैसे ही टोकन वितरण शुरू होता है, किसानों के बीच हंगामा शुरू हो जाता है। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद, पुलिस की निगरानी में अब टोकन बांटे जा रहे हैं। यहां सुबह 4 बजे से ही मार्कफेड के गोदाम पर लंबी कतारें लग रही हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।