15 साल में सबसे कमजोर हुआ कपास का उत्पादन | जाने भाव पर इसका क्या होगा असर
किसान साथियों, भारत विश्व में कपास की खेती का सबसे बड़ा उत्पादक है और यह लगभग 33% विश्व कपास उत्पादन का हिस्सा बनाता है। भारत में कपास की खेती का क्षेत्र 125 लाख हेक्टेयर लगभग है, जो विश्व के कुल कपास खेती क्षेत्र का लगभग 38% है। पिछले साल नरमा और कपास के भाव कमजोर रहने के कारण बहुत सारे किसानो ने कपास की खेती की जगह अन्य फसलों को प्राथमिकता दी थी. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस साल नरमा और कपास कि फसल के उत्पादन में गिरावट देखने कोई मिल रही है |
मौजूदा स्थिति में, इस साल भारत का कपास उत्पादन में 2024-25 सीजन में 7.4% कम होने की संभावना है। यह गिरावट पिछले साल के मुकाबले मुख्यतः कम बुवाई क्षेत्र और अत्यधिक बारिश से फसल को हुए नुकसान के कारण बताई जा रही है। कपास संघ भारत (CAI) के अनुसार, उत्पादन 302 लाख बेल्स तक गिर सकता है, जबकि पिछले वर्ष यह 326 लाख बेल्स था। इस गिरावट का सीधा असर भारत के कपास निर्यातकों पर पड़ेगा, और 1 अक्टूबर से शुरू हुए मौजूदा विपणन वर्ष में कपास के निर्यात में उल्लेखनीय कमी देखने को मिल सकती है।
वैश्विक बाजार पर असर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, और इस उत्पादन में कमी का असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ेगा। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को अधिक कपास का आयात करना पड़ सकता है, जिससे वैश्विक कपास की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है।
आयात और निर्यात में बदलाव
2024-25 के विपणन वर्ष में भारत का कपास आयात बढ़कर 25 लाख बेल्स हो सकता है, जो पिछले साल के 17.5 लाख बेल्स से अधिक है। इसके विपरीत, निर्यात में भारी गिरावट की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 28.5 लाख बेल्स से घटकर 18 लाख बेल्स तक आ सकता है। इस आयात-निर्यात के अंतर से वैश्विक कपास आपूर्ति श्रृंखला पर और दबाव बढ़ने की संभावना है।
भारत में कपास उत्पादन: 2023-24 सीजन का विश्लेषण
फसल सीजन 2023-24 में भारत में कपास उत्पादन अपने 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। उस सीजन में भारतीय कपास की फसल का आकार 170 किलोग्राम की 294.10 लाख गांठ थी । उससे पिछले वर्ष की तुलना में 8 प्रतिशत कम है, यह15 वर्षों में सबसे कम थी । पिछले वर्ष सुंडी कीट के प्रकोप के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ था, जिससे उनकी उपज में गिरावट आई और किसानों को लागत निकालने में कठिनाई हुई।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष ने कहा है कि कम उत्पादन और अधिक कपास की खपत के कारण बैलेंस शीट बिगड़ गई है। इसके अलावा, विशेषज्ञों का कहना है कि कपास उत्पादन में कमी महंगाई पर भी असर डाल सकती है।
बुवाई क्षेत्र में कमी
कपास उत्पादन में गिरावट का एक प्रमुख कारण बुवाई क्षेत्र में कमी है। 2023 में कपास का बुवाई क्षेत्र 126.9 लाख हेक्टेयर था, जो घटकर 2024 में 112.9 लाख हेक्टेयर रह गया। CAI के अध्यक्ष अतुल गणात्रा के अनुसार, गुजरात, जो भारत का सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य है, में किसानों ने कपास के बजाय मूंगफली की खेती को प्राथमिकता दी, क्योंकि मूंगफली से उन्हें बेहतर लाभ प्राप्त हो रहा था। इस फसल पैटर्न में बदलाव से भी कपास उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा है।
घरेलू मांग में स्थिरता
उत्पादन में गिरावट के बावजूद, भारत में घरेलू कपास की मांग स्थिर रहने की संभावना है। यह मांग 313 लाख बेल्स पर स्थिर रह सकती है, जो पिछले साल के बराबर है। इस स्थिर मांग के कारण घरेलू उद्योगों के लिए पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु भारत को आयात बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
इस लेख में बताया गया है कि 2024-25 में कपास उत्पादन में गिरावट भारत और वैश्विक बाजार दोनों पर असर डाल सकती है। उत्पादन में कमी के कारण कपास निर्यात कम होगा और आयात बढ़ने की संभावना है, जिससे वैश्विक कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
उत्पादन में कमी के कारण
कपास की पैदावार में कमी का एक मुख्य कारण पुरानी बीटी बीज तकनीक है, जिसे अब नए बीजों की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन और अल नीनो भी कपास फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, क्योंकि 73 प्रतिशत क्षेत्र असिंचित है। इसके अलावा, पिंक बॉल वर्म के हमले से भी पैदावार में कमी आ रही है।
सीएआई द्वारा किए गए राज्य-वार कपास खपत सर्वेक्षण के अनुसार, यदि कपड़ा उद्योग 100 प्रतिशत क्षमता के साथ चलता है, तो उद्योग को लगभग 414 लाख गांठ की आवश्यकता होगी। हालांकि, हमारा उत्पादन केवल 294 लाख गांठ है, जिससे मिलों को नुकसान हो रहा है। भारत में कपास के आयात पर 11 प्रतिशत शुल्क के कारण मिलें आयात करने में असमर्थ हैं।
आज के नरमा और कपास के भाव
ताजा बाजार भाव की बात करें तो आदमपुर मंडी में नरमा भाव ₹ 8301, सिरसा मंडी में नरमा भाव ₹ 7800/8232 और कपास भाव ₹ 8200/8400 रहा। बरवाला मंडी में नरमा भाव ₹ 8226, रावतसर मंडी में नरमा भाव ₹ 8350, हनुमानगढ़ मंडी में नरमा भाव ₹ 8150, ऐलनाबाद मंडी में नरमा भाव ₹ 7850/8151, और फतेहाबाद मंडी में नरमा भाव ₹ 8250 और कपास भाव ₹ 8300 रहा। संगरिया मंडी में नरमा भाव ₹ 7881/8157, भट्टू मंडी में नरमा भाव ₹ 8045 और कपास भाव ₹ 8365, अबोहर मंडी में कपास भाव ₹ 8500/8640 और नरमा भाव ₹ 8000/8235, कालांवाली मंडी में नरमा भाव ₹ 8105, भुना मंडी में नरमा भाव ₹ 8050 और कपास भाव ₹ 8551, तथा जुलाना मंडी में नरमा भाव ₹ 8161 रहा।
क्या नरमा कपास में और तेजी बनेगी
जिस तरह से नरमा कपास का उत्पादन कम हुआ है उसे देखते हुए बाजारों में आने वाले समय में और तेजी बन सकती है । मौजूदा भाव 8000 के आसपास की रेंज में चल रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले भाव 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हैं। और तेजी की गुंजाईश तो है लेकिन किसानो को थोड़ा थोड़ा माल निकालते रहना चाहिए। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें
👉 चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।