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क्या आगे चलकर 1847 और 1509 धान के भाव बढ़ेंगे | जाने 1847 को लेकर क्या है खबर

क्या आगे चलकर 1847 और 1509 धान के भाव बढ़ेंगे | जाने 1847 को लेकर क्या है खबर
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क्या आगे चलकर 1847 और 1509 के भाव बढ़ेंगे
किसान साथियो वैसे तो बासमती के बाजार में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ ना कुछ घटता रहता है। खास तौर पर सीज़न के समय में इसकी आवर्ती और ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन पिछले 10-12 दिन से कोई नई खबर ना आने के कारण बासमती धान और बासमती चावल का बाजार ठहरा हुआ है। बात निर्यात ऑर्डर की करें तो फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार से कोई बड़े ऑर्डर निर्यातकों को नहीं मिले हैं। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि मांग नहीं है क्योंकि सीजन जैसे जैसे आगे बढ़ेगा वैसे वैसे मांग भी निकलने लगेगी और निर्यात ऑर्डर भी बढ़ जाएंगे । WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

1847 धान का लचर प्रदर्शन
मंडी भाव टुडे पर हम अपने वीडियो और बासमती की रिपोर्ट में 1509 के विकल्प के रूप में आए 1847 धान की खबरों को लगातार कवर कर रहे हैं। इसमे कोई शक नहीं है कि भाव के मामले में 1509 के मुकाबले 1847 धान का  प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा । 1847 के कमजोर भाव को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं। 1847 के किसान व्यापारियों पर मिली भगत होने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अलग वैरायटी बताकर जानबूझकर कम भाव दिया जा रहा है। ऐसी घटनाएं सुनने को मिल रही है कि किसानों को 1847 के भाव बढ़ाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है।

क्या 1847 को रोकना सही है
साथियो उत्पादन की दृष्टि से देखा जाए तो 1847 धान 60 से 70 मन यानि कि 25-28 क्विंटल की पैदावार दे रहा है। पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर 1847 की खेती की गई है। यह तो कंफर्म तौर पर कहा जा सकता है कि 1847 का उत्पादन ज्यादा है। अब बात करते हैं भाव की। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समय परमल 14 का कुछ माल सउदी आदि देशों में जा रहा है। इस चावल का रेट 720 डालर प्रति टन की औसत बैठ रहा है। जब परमल का भाव 720 डॉलर बैठ रहा है तो इस हिसाब से बासमती की किसी भी किस्म का भाव 850 डालर प्रति टन से कम रहने की संभावना बहुत कम है। इस भाव के हिसाब से देखा जाए तो 1847 के 2500-3000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव किसानों को मिल रहे है ये पर्याप्त नहीं हैं। 1847 की वैरायटी नयी किस्म है। निर्यातक इस किस्म में रिस्क लेने से थोड़ा सा डर रहे हैं यही वज़ह है कि इसके भाव कम बोले जा रहे हैं। मंडी भाव टुडे का मानना है कि जैसे ही 1847 के चावल के ऑर्डर मिलने शुरू हो जाएंगे इसके भाव भी बढ़ जाएंगे। वैसे भी सरकार ने बासमती चावल निर्यात के लिए न्यूनतम आर्डर 1200 डालर प्रति टन से घटा कर 850 डालर प्रति टन कर दिया है। इससे बासमती 1847 जैसी किस्मों को आगे चलकर अच्छे भाव मिलने की संभावना बढ़ गई है।

1121 और 1718 में मिल सकते हैं ऊंचे भाव
चालू सीज़न की गतिविधियों और बाजार के रिस्पांस को देखकर यह कहा जा सकता है कि इस साल बासमती धान और चावल बाजार में मंदे की संभावना नहीं है। मौसम की मार के चलते इस साल 1121 और 1718 की खेती घटी है जबकि 1509 और 1847 की बढ़ी है। बासमती के जानकारों का कहना है कि 1718 व 1121 की फसल पिछले साल की तुलना में 10-15 प्रतिशत तक कमजोर रह सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक कोई निर्यात मांग नहीं है लेकिन स्टाकिस्ट मानते हैं कि नवंबर तक विदेशी मांग बढ़ने वाली है। पिछले साल सीज़न के आखिरी दिनों में अच्छा भाव मिलने से किसानों और व्यापारियों की स्टाक क्षमता बढ़ी है जिससे किसान अभी और ऊंचे भाव का इंतजार कर रहा है और स्टाकिस्ट वर्तमान भाव पर खरीदी कर रहे हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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