ठहराव के बाद क्या फिर से तेजी की तरफ बढ़ेगा बासमती का बाजार | जाने इस रिपोर्ट में
किसान साथियों इस साल साठी धान की खेती और आवक को लेकर किसानों और व्यापारियों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमावर्ती मंडियों में पिछले 15 दिनों से साठी धान की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक किसी भी मंडी में आवक का प्रेशर (दबाव) नहीं बन पाया है। इसका मतलब यह है कि धान की सप्लाई अभी इतनी ज्यादा नहीं है कि कीमतों पर कोई बड़ा असर पड़े। हालांकि, दूसरी तरफ, पुराने चावल के बाजार में मंदा (मंदी) देखने को मिल रही है, जिसकी वजह इज़राइल-ईरान के बीच चल रहे तनाव को माना जा रहा है। आपको बता दें कि इस साल साठी धान की बिजाई (बुवाई) पिछले साल के मुकाबले 20-25% कम हुई है, लेकिन कटाई के बाद जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनके मुताबिक उत्पादन 20% से भी कम हो सकता है। इसका सीधा असर बाजार में धान की कीमतों पर पड़ रहा है। वहीं, चावल के निर्यात पर इज़राइल-ईरान युद्ध का असर पड़ा है, जिससे बासमती चावल की कीमतों में 800-900 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। इस वजह से व्यापारी नए ऑर्डर लेने से हिचकिचा रहे हैं। आज की इस रिपोर्ट में हम साठी धान की मौजूदा स्थिति, मंडियों में आवक, चावल के बाजार में मंदी के कारण और आने वाले समय में क्या उम्मीद की जा सकती है, इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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धान की आवक और मंडी भाव
इस साल साठी धान की आवक धीमी शुरुआत के साथ हुई है। गदरपुर, गढ़मुक्तेश्वर और बुलंदशहर जैसी प्रमुख मंडियों में अभी तक आवक का कोई खास दबाव नहीं देखा गया है। गदरपुर मंडी में साठी धान की आवक लगभग 15,000 बोरी की रही और धान का भाव: 2700-2750 रुपए प्रति क्विंटल (1509 वैरायटी) जिसमें नमी की मात्रा 22-24% दर्ज की गई। यहां धान की खरीदारी मुख्य रूप से स्थानीय मिलों और व्यापारियों द्वारा की जा रही है। नमी की मात्रा ज्यादा होने के बावजूद धान की डिमांड बनी हुई है, क्योंकि मिलों के पास पुराने स्टॉक कम हैं। वहीं गढ़मुक्तेश्वर मंडी में शरबती धान की आवक: 1800-2000 बोरी और भाव 2100-2180 रुपए प्रति क्विंटल तक बोले गए। बुलंदशहर मंडी में 1509 धान की आवक 1600-1700 बोरी की रही और भाव 2750-2820 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बोले गए जिसमें नमी: 23-24% दर्ज की गई। वहीं आज नरेला मंडी में धान 1718 का भाव 3500 रुपए प्रति क्विंटल बोला गया और धान 1509 भाव 3000 रुपए प्रति क्विंटल रहा। 1121 में 4200 तक के सौदे होने की खबरें हैं । नीचे के भाव में बिकवाल नहीं हैं। गोहाना जैसी मंदी में धान की एक भी बोरी की आवक न होगा इस बात का प्रमाण है। कुल मिलाकर स्थिति यह बनी हुई है कि अभी तक किसी भी मंडी में आवक का दबाव नहीं है। और नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण कुछ जगहों पर भाव कम हैं। इसके अलावा मिलें और व्यापारी धान खरीद रहे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर खरीदारी नहीं हो रही।
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चावल के बाजार में मंदी
जहां साठी धान की आवक सामान्य है, वहीं बासमती चावल के बाजार में भारी मंदी देखने को मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह इज़राइल-ईरान के बीच बढ़ता तनाव है। क्योंकि मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने के कारण 6-7 स्टीमर (जहाज) जो बासमती चावल का निर्यात कर रहे थे, वे समुद्री मार्ग में फंसे हुए हैं। इस वजह से निर्यातक नए ऑर्डर लेने से कतरा रहे हैं। जिसके चलते बासमती चावल की कीमतों में 800-900 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर 1509 सेला चावल: 5800-5900 रुपए प्रति क्विंटल (पहले 6500-6700 रुपए था) 1718 सेला चावल: 6000-6100 रुपए प्रति क्विंटल तक पिटने के बाद अब फिर से ऊपर की तरफ उठने लगा है। 1401 चावल में भी सुधार दिखाई दिया है।
मिलों की स्थिति
मिलों के पास पुराना धान खत्म हो चुका है। और नए धान की मिलिंग करने पर 250-300 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। इसलिए मिलें और व्यापारी नए माल की खरीदारी से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कीमतें और गिर सकती हैं। लेकिन अनुमान है कि अभी बाजार में जो हालात हैं, उनके मुताबिक साठी धान की खरीद आगे चलकर फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि इस साल साठी धान की बिजाई 20 से 25% कम हुई है जिसका असर उत्पादन पर पड़ सकता है। इसका मतलब यह होगा कि आगे चलकर सप्लाई कम रहेगी जिससे कीमतों में गिरावट आने की संभावना कम दिखाई दे रही है। ऐसे में यदि मिलें और व्यापारी धान की खरीददारी करके रखते हैं तो आगे उनका फायदा हो सकता है।
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आगे कैसा रह सकता है बाजार
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों तेजी के माहौल में सब तेजी तेजी बताते हैं और मंदी में मंदी मंदी चिल्लाते हैं। लेकिन मंडी मार्केट मीडिया ने हमेशा से ही ग्राउंड रिपोर्टिंग की है। हमने बताया था कि युद्ध के चलते भले ही बाजार डाउन जा रहा हो लें फंडमेंटल मजबूत है । ईरान और इज़राइल के बीच जारी युद्ध के चलते बासमती चावल बाजार में भारी गिरावट के बाद अब ठहराव देखने को मिल रहा है। 1718 चावल में फिर से सौदे 6600 तक होने की अपडेट मिली है। मण्डी मार्केट मीडिया की रिपोर्ट के बार फिर से सटीक साबित हुई है। हालांकि चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई है। और युद्ध की स्थिति में जल्दी सुधार नहीं होता तो तेजी की संभावनए धूमिल भी हो सकती हैं। खबरें मिल रही हैं कि तनावपूर्ण हालात के कारण भारतीय निर्यातकों ने अपनी खेपों की लोडिंग और ईरान की खरीद को काफी हद तक रोक दिया है। ऐसे में व्यापारी भाइयों से आग्रह है कि वर्तमान हालात को देखते हुए घबराहट में सौदे न करें, क्योंकि घरेलू बाजार में स्टॉक सीमित है और साठा धान की फसल भी इस बार सीमित क्षेत्र में होगी, जिससे आने वाले समय में सुधार की संभावना है। फिलहाल स्थिति सामान्य होने तक बाजार में सावधानी से सौदे करना ही बेहतर रहेगा। व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।