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1509, 1847 और 1692 धान की कम कीमत मिलने के कारण किसान हुए नाराज | किसानों ने दिया धरना देखे पूरी जानकारी

सफीदों मंडी में 1509 धान के भाव 1000 रुपये तक हुए कम | किसानों ने दिया धरना देखे पूरी जानकारी
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किसान साथियो हरियाणा में धान की खरीद को लेकर काफी हो हल्ला चल रहा है । 1847, 1509 अरु 1692 धान की कम कीमत मिलने के कारण किसान नाराज हैं । जींद की सफीदों मंडी में धान 1509 की कीमत जो की कुछ दिन पहले 3,800 रुपये चल रही थी वह अब गिरकर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इससे क्षेत्र के किसान खासे नाराज हो गए है । अपनी नाराजगी का प्रदर्शन करने के लिए किसानों ने विरोध स्वरूप नई अनाज मंडी परिसर में गुरुद्वारा गेट पर धरना दिया और सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। किसान नारेबाजी करते हुए मार्केट कमेटी कार्यालय पहुंचे और सचिव अनिल कुमार से मुलाकात कर उचित कार्रवाई की मांग की. WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

मंडी मे किसानों ने धान के खरीदारों की मिलीभगत को बंद करके धान की कीमत को रोकने के लिए प्रशासन से आग्रह के साथ साथ को चेतावनी भी दी हैं। किसानो का कहना है कि अगर समय रहते कुछ नहीं किया गया तो उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा।  किसानो का आरोप हैं कि सफिदो मंडी में 1509 की धान की कीमत 3800 रुपये थी और यह कीमत अब 2800 रुपये रह गई है। किसानों का कहना है कि इसके पीछे धान के खरीदारों की साजिश है।  खरीदार एक -दूसरे के साथ मिले हुए हैं और अपनी इच्छा से कुछ भी भाव दे कर किसानों को लूटने का काम कर रहे हैं।

साथियो अगर देखा जाए तो 1509, 1692 और 1847 तीनों एक ही तरह की किस्में हैं। 1847 धान को कम भाव में खरीदकर किसानों को सार्वजनिक रूप से धोखा दिया जा रहा है।  किस्मों को अलग अलग बताकर एक ही तरह के धान के भाव में बहुत ज्यादा अंतर किया जा रहा है। किसानो का कहना है कि जब किसानों ने इन तीनों किस्मों के बीज को 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद कर खेतों में लगाया है तो इनके भाव में इतना अंतर क्यू है। इसके अलावा मंडी में जो कंबाइन का माल आ रहा है उसे 500-600 रुपये के बीच का अंतर हारा दाना बोलकर किया जाता है और इन फसलों को कई दिनों तक नहीं खरीदा जाता है। इस कारण से फसलें मंडियों में ख़राब हो जाती है।

किसानों ने कहा कि सरकारी नियम यह है कि किसान की फसल को बोली पर बेचा जाना चाहिए, लेकिन सफीदो मंडी में फसल के लिए कोई बोली नहीं हो रही है। मंडी में एक या दो दुकानों पर बोली की जाती है और फिर बोली मिलीभगत से रोक दी जाती है। किसानों ने कहा कि यदि सभी खरीदार बोली में खरीदेंगे तो उनकी फसलों की कीमतें सही मिलेंगी।

किसानो का कहना है कि सफिदो प्रशासन केवल पराली को न जलाने के लिए एक बैठक लेने में व्यस्त है, लेकिन मंडी में क्या हो रहा है यह जानने के लिए, कोई भी अधिकारी मंडी का निरीक्षण नहीं करता है। इसके अलावा, किसानों ने आरोप लगाया है कि सफीदो मंडी में पीआर धान की खरीद में भी भारी धांधली चल रही है।

पीआर धान को गीला बता कर या अन्य कमियां निकालकर किसानो को 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक कीमते कम दी जा रही है। पर्चा तो सरकारी रेट का दिया जा रहा है लेकिन इससे 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल कट के नाम का नकद लेकर सरेआम लूटा जा रहा है। इसकी तरफ सरकार व प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

किसानों ने कहा कि उनकी सारी फसल बोली पर बिकवाई जाए तथा खरीददार व्यापारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।   पीआर धान में कट के नाम पर अवैध वसूली बंद भी बंद की जाए और साथ ही उनका माल सही कीमतों पर हर रोज की रोज खरीदा जाए, अन्यथा वह बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। किसानों की बात सुनकर मार्केट कमेटी सचिव अनिल कुमार ने उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब सफीदों मंडी में धान बोली पर ही बिक रहा है। एक आध आढ़ती ने शरारत करके बोली को बीच में तोड़ दिया था। उन आढ़तियों को नोटिस जारी किया गया है। मंडी एसोसिएशन व धान खरीदारों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह बिना बोली कोई भी माल नहीं खरीदेगा। अगर कोई नियमों को तोड़ता हुआ पाया गया तो उसका लाइसेंस रद कर दिया जाएगा।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।