इंडोनेशिया को होगा 10 लाख टन चावल का निर्यात | जाने निर्यात को लेकर क्या है स्थिति
किसान साथियो भारत सरकार ने इंडोनेशिया को 10 लाख मीट्रिक टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय दोनों देशों के बीच हुए एक करार के तहत लिया गया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से देश के किसानों को अपनी उपज का बेहतर दाम मिल सकेगा। जुलाई 2023 में, घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, सितंबर 2024 में इस प्रतिबंध को हटाते हुए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लगाया गया ताकि निर्यात पर नियंत्रण बना रहे। लेकिन मात्र दो महीने बाद, अक्टूबर में इस MEP को भी हटा लिया गया। यह निर्णय भारत के चावल भंडार की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और इसके सरकारी गोदामों में पर्याप्त मात्रा में चावल का भंडारण है। इसके परिणामस्वरूप, खुदरा बाजार में चावल की कीमतें नियंत्रण में हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 852.52 मिलियन डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया था।
भारत कितने देशों को करता है चावल का निर्यात
भारतीय गैर-बासमती चावल दुनिया भर में काफी लोकप्रिय है और इसे 140 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। अफ्रीका, दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के देश भारतीय चावल के प्रमुख खरीददार हैं। भारत वैश्विक चावल बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी है और वर्ष 2022 में भारत ने दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40% से अधिक हिस्सा अपने नाम किया था, जो कि लगभग 22.2 मिलियन मीट्रिक टन था।
इस समय भारत किन देशो को कर रहा है निर्यात
भारत के पड़ोसी देशों, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश को वर्तमान में चावल की भारी मांग है। भारत, अपने विशाल उत्पादन और प्रचुर भंडार के कारण, इन देशों के लिए चावल का प्राथमिक आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत में चावल का उत्पादन इतना अधिक है कि सरकारी गोदामों में भी पर्याप्त मात्रा में चावल का भंडारण है। इसके अलावा, भारतीय चावल का निर्यात मूल्य भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी है। भौगोलिक स्थिति के कारण, भारत बांग्लादेश को सड़क मार्ग से और श्रीलंका को जल मार्ग से आसानी से चावल का निर्यात कर सकता है। बांग्लादेश और श्रीलंका की सरकारों ने चावल के आयात पर लगे प्रतिबंधों और शुल्कों को हटा दिया है, जिससे निजी आयातकों को भारत से अधिक मात्रा में चावल आयात करने का अवसर मिल रहा है। ये सभी कारक मिलकर भारत को इन देशों के लिए चावल का एक विश्वसनीय और किफायती आपूर्तिकर्ता बना रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में चावल की बढ़ती मांग के कारण आयात में तेजी देखी जा रही है। बांग्लादेश ने अपनी खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर चावल का आयात करने का फैसला किया है।
निजी व्यापारियों को 16 लाख टन चावल आयात करने की अनुमति दी गई है, जबकि सरकार स्वयं 3 लाख टन चावल खरीद रही है। इस चावल को म्यांमार, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों से आयात किया जा रहा है। इसी तरह, नेपाल ने भी चालू वित्त वर्ष में 1.65 लाख टन चावल का आयात किया है। श्रीलंका ने भी चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए चावल के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को बढ़ाकर 20 जनवरी 2025 कर दिया है। भारत से 70 हजार टन चावल पहले ही आयात किया जा चुका है। इन सभी देशों में मुख्य रूप से गैर-बासमती चावल का आयात किया जा रहा है। यह बढ़ता आयात इन देशों में चावल की घरेलू उत्पादन और खपत के बीच अंतर को पूरा करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों को दर्शाता है।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।