बासमती चावल के PGI स्टेट्स की लड़ाई में बैकफुट पर आया भारत | ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने किया ये काम
किसान साथियो और व्यापारी भाइयों बासमती चावल के भौगोलिक स्थिति को लेकर लड़ाई नई नहीं है। यह बासमती उत्पादक देश भारत और पाकिस्तान के बीच एक लंबे समय से चल रही वैश्विक लड़ाई है। दोनों देश इस बात पर दावा करते हैं कि बासमती चावल मूल रूप से उनके देश का है और इस पर उनका अधिकार है। कई सालों से विश्व स्तर के कई न्यायालयों में ये मामला लंबित था। लेकिन बुरा समाचार यह है कि इस लड़ाई में पाकिस्तान को शुरुआती सफलता मिली है। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने आधिकारिक तौर पर बासमती चावल को पाकिस्तानी उत्पाद के रूप में मान्यता दे दी है । चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
हालांकि अभी ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं दिखती क्योंकि अब यह विवाद यूरोपीय संघ तक पहुंच गया है। जहां दोनों देश यह उम्मीद कर रहे हैं कि फैसला उनके पक्ष में आएगा। इस लड़ाई का नतीजा दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जो देश जीतेगा उसे बासमती चावल के लिए संरक्षित भौगोलिक संकेत (PGI) का दर्जा प्राप्त होगा। PGI एक ऐसा दर्जा है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों को बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करता है।
बासमती चावल को लेकर क्या विवाद चल रहा है?
भारत और पाकिस्तान के बीच बासमती चावल को लेकर एक विवाद चल रहा है। भारत ने 2018 में बासमती चावल को भौगोलिक संकेत (PGI) का दर्जा दिलाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत रुकी हुई है। इस विवाद के कारण दोनों देशों ने यूरोपीय संघ और अपने देशों में एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं। PGI दर्जा मिलने के बाद बासमती चावल को एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र का उत्पाद माना जाता है और उस क्षेत्र के बासमती को ऊंचे भाव पर बेचा जा सकता है। यह विवाद दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव को और बढ़ा रहा है।
क्या दांव पर लगा है?
भारत और पाकिस्तान दोनों बासमती चावल के प्रमुख उत्पादक और निर्यातक हैं। यह सुगंधित चावल अपनी उच्च गुणवत्ता और अनूठे स्वाद के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। दोनों देशों के किसानों के लिए बासमती चावल एक प्रमुख नकदी फसल है और यह उनकी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बासमती चावल का निर्यात भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है और दोनों देशों को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। अनुमान के अनुसार, भारत और पाकिस्तान मिलकर विश्व के बासमती चावल के निर्यात का 90% से अधिक हिस्सा रखते हैं। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे |
GI टैग मिलने का क्या होगा फायदा
बासमती चावल को वैश्विक बाजार में एक विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग हासिल करने की प्रतिस्पर्धा में जुटे हुए हैं। जीआई टैग किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों को बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करता है। यह टैग उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता को प्रमाणित करता है। जिस देश को यह टैग मिल जाएगा, वह बासमती चावल के वैश्विक बाजार पर अपना अधिकार जमा सकेगा और इस उत्पाद की कीमतें निर्धारित करने में अहम भूमिका निभा सकेगा। दोनों देशों के लिए यह टैग न केवल आर्थिक लाभ का साधन है बल्कि राष्ट्रीय गौरव का भी विषय है।
क्या है बासमती चावल के भौगोलिक क्षेत्र की लड़ाई का इतिहास ?
1998 में, ब्रिटेन सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष परियोजना शुरू की थी। इस बीच, बासमती चावल की बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर, भारत और पाकिस्तान ने 2001 में संयुक्त रूप से अमेरिका में उगाए गए चावल को बासमती के नाम से बेचने पर रोक लगाने के लिए अमेरिकी कृषि विभाग और संघीय व्यापार आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी। दोनों देशों ने यह कदम बासमती चावल की विशिष्टता और भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) की रक्षा के लिए उठाया था।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।