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धान के किसानों के लिए खुशखबरी | सरकार ने तुरंत प्रभाव से MEP पर को हटाया

MEP on Basmati removed
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किसान साथियों आज की रिपोर्ट में हम आपके लिए खुशखबरी लेकर आए हैं । न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर पर रखने के कारण कई दिनों से बासमती धान की 1509 1692 और 1847 जैसी किस्म की चावल को निर्यात करने में दिक्कत आ रही थी । निर्यातक और बासमती चावल से जुड़ी अनेक संस्थाएं सरकार से न्यूनतम निर्यात मूल्य की लिमिट को हटाने का लगातार अनुरोध कर रही थी । यह मामला संसद में भी उछल चुका था । लेकिन अब सरकार ने किसानों के हित को देखते हुए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया है । चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाए जाने का प्रभाव
बासमती चावल भारत का एक प्रमुख निर्यात उत्पाद है, जिसे उसकी सुगंध, गुणवत्ता, और लंबी दानों के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उच्च मूल्य प्राप्त होता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (Minimum Export Price - MEP) को हटा लिया है, जो पहले $950 प्रति टन था। इस निर्णय से बासमती चावल के निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है, और इससे किसानों को भी बेहतर लाभ मिल सकता है।

आखिर क्यूँ लगाया जाता है न्यूनतम निर्यात मूल्य
किसी उत्पाद के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया जाता है, ताकि उस उत्पाद की गुणवत्ता और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत सरकार ने $950 प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य बासमती चावल के लिए इसलिए तय किया था, ताकि निम्न किस्म का बासमती निर्यात ना हो और बासमती चावल की निर्यात दरें गिरने न पाएं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती की प्रतिष्ठा बनी रहे। हालांकि, समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल के भाव में गिरावट आने लगी, जिसके कारण आयातकों के लिए भारतीय चावल महंगा हो गया। इस स्थिति में, आने वाले समय में भारत के बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने का डर बन गया था । चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

निर्यात पर न्यूनतम मूल्य की क्या थी समस्या
न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू होने के बाद, कई देशों ने भारतीय बासमती चावल को खरीदने से परहेज करना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान जैसे देशों से सस्ता विकल्प उपलब्ध होने लगा था। जिसके चलते भारतीय बासमती चावल की अंतर्राष्ट्रीय मांग में कमी आने लगी थी। आने वाले सीजन में इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ने का खतरा बनने लगा था ।

MEP हटाने का कितना फायदा
MEP हटाए जाने के बाद बासमती चावल का निर्यात अब बिना किसी बाधा के किया जा सकेगा। यह निर्णय भारतीय बासमती चावल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगा, क्योंकि अब भारतीय बासमती का भाव पाकिस्तान के समान हो जाएगा। इससे भारत के बासमती चावल की मांग बढ़ने की संभावना है। इसका सीधा लाभ किसानों और निर्यातकों को मिलेगा। किसानों को अब बेहतर दाम मिल सकते हैं, क्योंकि निर्यातकों को अधिक मांग निकलने के कारण अब किसानों से उच्च मूल्य पर धान खरीद सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में किससे है मुकाबला
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के बासमती चावल को प्रमुख प्रतिस्पर्धा पाकिस्तान और एक दो अन्य एशियाई देशों से मिलती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान में भी बड़े पैमाने पर बासमती चावल का उत्पादन होता है। और जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल भाव घटते हैं, तो पाकिस्तान के बासमती के मुकाबले भारतीय बासमती चावल अधिक महंगा हो जाता है। MEP लागू होने के कारण भारतीय निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई हो रही थी। अब MEP हटने के बाद भारत का बासमती चावल अन्य देशों के उत्पादों की तुलना में अधिक सस्ता और आकर्षक हो जाएगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कितने बढ़ेंगे धान के भाव
बासमती धान के उत्पादन से भारत के लाखों किसान जुड़े हुए हैं, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड जैसे राज्यों में। बासमती चावल का निर्यात बढ़ने से किसानों को उनके धान जैसे 1509, 1692, PB1 और 1847 जैसी किस्मों के बेहतर भाव मिलने की संभावना है। हालांकि 1121 और 1718 जैसी किस्मों के भाव जो कि पहले से ही MEP पर से ऊंचे चल रहे हैं इनके किसानो को उतना फायदा नहीं मिलेगा। बहरहाल जब निर्यात बढ़ेगा, तो बासमती धान  की मांग भी बढ़ेगी, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन करने का अवसर मिलेगा। मोटे तौर पर देखा जाए तो मंडियों में 1509, 1692 और 1847 जैसी किस्मों के भाव अब 200 से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।