चावल निर्यात को लेकर वाणिज्य मंत्री का आया बड़ा बयान | निर्यात बढ़ाने के लिए उठाया ये कदम
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो भारत ने चावल के निर्यात पर लगी आखिरी रोक भी हटा दी है, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादों के निर्यात को दोगुना करना और देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, और चावल निर्यात पर लगी सभी पाबंदियां हटाने से इस महीने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य देशों पर दबाव बढ़ गया है। थाईलैंड के सफेद चावल की कीमतें गिरकर 405 डॉलर प्रति टन हो गई हैं, जो जनवरी 2024 में 669 डॉलर प्रति टन थीं। सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत अपने कृषि और खाद्य निर्यात को बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहता है। अगर आपको धान के भाव और चावल की इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट की जानकारी चाहिए तो आप हमारी प्रीमियम सर्विस ले सकते हैं, जो केवल 500 रुपये में 6 महीनों तक की है। सर्विस लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करें।भारत की 1.4 अरब आबादी में से 42% से अधिक लोग कृषि पर निर्भर हैं। चावल निर्यात के क्षेत्र में भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों में थाईलैंड, चीन और पाकिस्तान शामिल हैं। भारत के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे पाकिस्तान को विशेष रूप से नुकसान हुआ है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 100 अरब डॉलर के कृषि और खाद्य उत्पादों का निर्यात करना है।
क्या कहना है वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में भारत के निर्यात में हुई वृद्धि पर उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि यह 2023-24 में हुए 48.15 अरब डॉलर के निर्यात से दोगुना है। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत ने लगभग 50 अरब डॉलर का निर्यात किया था। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी देश का वाणिज्य मंत्रालय हमेशा और बड़ी उपलब्धियों की आकांक्षा रखता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत जल्द ही 100 अरब डॉलर के निर्यात के आंकड़े को पार कर लेगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने चीनी के निर्यात पर लगी कुछ पाबंदियों को भी कम किया है, जिससे निर्यात में और वृद्धि होने की संभावना है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से चावल निर्यात हुआ था प्रभावित
भारत ने 2022 में चावल के निर्यात पर सख्ती करना शुरू कर दिया था, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कीमतें बढ़ने से भारत को अपने देश में चावल की कमी का डर था। इन पाबंदियों के कारण, एशिया और उत्तरी अमेरिका में लोगों ने डर के मारे ज्यादा चावल खरीदना शुरू कर दिया था, जिससे एशियाई बेंचमार्क चावल की कीमत 2008 के बाद सबसे ज्यादा हो गई थी। हालांकि, भारत ने सितंबर में निर्यात पर लगी पाबंदियों को कम करना शुरू कर दिया था। S&P ग्लोबल के अनुसार, भारत ने 2023 में 1.4 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था, और सितंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच भारत 2.15 करोड़ टन चावल का निर्यात कर सकता है, जो एक रिकॉर्ड होगा। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद के कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा कि यदि भारत 5.4-5.5 करोड़ टन के वैश्विक बाजार में 2 करोड़ टन से ज्यादा चावल का निर्यात करता है, तो यह बाजार में बाढ़ ला देगा।
पाकिस्तान को फिर से लगा बड़ा झटका
भारत के बाजार में वापस आने से पाकिस्तान को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ है। भारत के बाजार से हटने के बाद पाकिस्तान ने इंडोनेशिया और पूर्वी अफ्रीका जैसे देशों में अपनी जगह बना ली थी, लेकिन जैसे ही भारत ने सितंबर में निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया, पाकिस्तान से गैर-बासमती चावल की कीमतें लगभग रातोंरात 850 डॉलर प्रति टन से गिरकर 650 डॉलर प्रति टन हो गईं। लाहौर स्थित लतीफ राइस मिल्स के निर्यात निदेशक इब्राहिम शफीक का कहना है कि भारत के बाजार में वापस आने से अफ्रीकी और इंडोनेशियाई बाजार सस्ते भारतीय चावल की ओर लौट गए, जिससे पाकिस्तान के राजस्व को पिछले वर्षों की तुलना में नुकसान हुआ है। अमेरिकी कृषि विभाग का अनुमान है कि पाकिस्तान मई तक 58 लाख टन चावल का निर्यात करेगा, जो पिछले साल के मुकाबले 11.4% की गिरावट है।
भारत ने किस देश को कितना किया है बासमती चावल निर्यात
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, अगर भारत के बासमती चावल के निर्यात की बात करें तो भारत ने कुल मिलाकर 42,41,994 टन बासमती चावल का निर्यात किया है। इसमें सबसे ज्यादा निर्यात सऊदी अरब को 8 लाख टन से भी ज्यादा किया गया है। दूसरे नंबर पर इराक है, इस देश को भारत ने 6 लाख टन से भी ज्यादा निर्यात किया है। तीसरे नंबर पर आता है ईरान, इस देश को 5 लाख 82 हजार टन से भी ज्यादा का निर्यात किया गया है। बाकी के टॉप 10 की लिस्ट निचे देख सकते हैं। अगर आपको धान के भाव और चावल की इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट की जानकारी चाहिए तो आप हमारी प्रीमियम सर्विस ले सकते हैं, जो केवल 500 रुपये में 6 महीनों तक की है। सर्विस लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करें।
भारत दोबारा से हासिल करेगा अपना मुकाम
बेंगलुरु के चावल अर्थशास्त्री समरेंदु मोहंती के अनुसार, जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से अपनी उपस्थिति कम की थी, तो पाकिस्तान, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों ने कुछ बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। हालांकि, भारत के दोबारा बाजार में आने से कोई भी देश उससे मुकाबला नहीं कर सकता है। उनका मानना है कि भारत जल्द ही अपनी खोई हुई बाजार हिस्सेदारी वापस पा लेगा, जिससे अन्य अफ्रीकी बाजारों में प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भारत के निर्यात में वृद्धि से गरीब अफ्रीकी देशों को कम कीमतों पर चावल उपलब्ध होगा, और पूर्वी एशियाई पशु आहार और इथेनॉल उत्पादकों को भी लाभ होगा। अगर आपको धान के भाव और चावल की इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट की जानकारी चाहिए तो आप हमारी प्रीमियम सर्विस ले सकते हैं, जो केवल 500 रुपये में 6 महीनों तक की है। सर्विस लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करें।अफ्रीका में टूटे हुए चावल की मांग अधिक है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, 2018-20 के दौरान भारत के कुल चावल निर्यात का 80% से अधिक हिस्सा टूटे हुए चावल का था। 2022 में, भारतीय चावल 17 अफ्रीकी देशों के कुल चावल आयात का 60% से अधिक था, और सोमालिया सहित नौ देशों में यह आंकड़ा 80% से भी अधिक था। बाकी व्यापार अपने विवेक से ही करें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।