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सम्पूर्ण भारत का 12 जून 2025 का मौसम पूर्वानुमान | जाने देश भर में हुई मौसमी हलचल

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 13 जून को होगी मूसलधार बारिश 

बंगाल की खाड़ी में सक्रिय मानसूनी परिसंचरण के प्रभाव से 13 जून 2025 को दक्षिण-पश्चिमी भारत के विभिन्न तटीय इलाकों में भारी से अत्यंत भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। विशेष रूप से कोकण, गोवा और दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र के जिलों में रुक-रुक कर तेज वर्षा का क्रम पूरे दिन जारी रहने की आशंका है। हालांकि कर्नाटक के आंतरिक हिस्सों में बारिश की तीव्रता अपेक्षाकृत कुछ कम रहेगी, किन्तु पश्चिमी किनारे के तटीय इलाकों में मध्यम से भारी बारिश का प्रभाव स्पष्ट रहेगा। इस समय मानसून की उत्तरी सीमा महाराष्ट्र के अधिकांश भागों को पार कर चुकी है, जिससे वर्षा की गतिविधियों में गति देखी जा रही है। वहीं दूसरी ओर, केरल राज्य – जो मॉनसून का प्रवेश द्वार माना जाता है – इस दिन सबसे कम वर्षा गतिविधियों का गवाह बन सकता है। इससे संकेत मिलता है कि मानसून की प्रगति फिलहाल केरल से बाहर अन्य क्षेत्रों की ओर केंद्रित हो गई है, जो कि उत्तर भारत की दिशा में इसकी गति को बल दे सकता है।

मध्य-पूर्व भारत तक पहुंचेगा मानसून

यह मानसूनी प्रणाली ज्यादा समय तक प्रभावी नहीं रह पाएगी, बल्कि यह पश्चिमी घाटों के समांतर फैली मौसमी ट्रफ में विलीन हो जाएगी। इस समयांतराल में एक नई प्रणाली का जन्म पूर्वी समुद्री क्षेत्र – बंगाल की खाड़ी – में चक्रवाती परिसंचरण के रूप में होगा। यह नई प्रणाली देशभर में भारी वर्षा की एक और लहर लेकर आएगी, साथ ही इससे पहले से कमजोर हो चुके मानसूनी धाराओं को पुनः सक्रियता मिलेगी। यह नई प्रणाली दक्षिण भारत के उपरांत मध्य भारत और पूर्वी भारत की ओर मानसून को और अधिक गहराई व प्रभाव के साथ अग्रसर करेगी। इसका सबसे अधिक असर ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में देखा जाएगा, जहां सूखा जैसी स्थिति बनी हुई है। किसानों के लिए यह स्थिति अत्यंत सकारात्मक मानी जा रही है क्योंकि इससे खरीफ फसलों की बुआई में तेजी आएगी, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां मानसून की देरी से कृषि गतिविधियाँ रुकी हुई थीं।

दक्षिण व पूर्वोत्तर में राहत की फुहारें

पिछले 24 घंटों की यदि मौसमी चाल की समीक्षा की जाए, तो भारत के उत्तरी हिस्सों में गर्म हवाओं की लहर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। विशेषकर राजस्थान के उत्तरी जिलों में जहां भीषण लू की स्थिति सामने आई, वहां तापमान ने पुराने सभी रिकॉर्डों को पीछे छोड़ दिया। राजधानी दिल्ली सहित हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गर्म पछुआ हवाओं ने दिन को भट्टी बना डाला। सड़कों पर लोगों की आवाजाही सीमित रही, छांव की तलाश में राहगीर इधर-उधर भटकते दिखे, और स्थानीय बाजारों में दोपहर के समय सन्नाटा छाया रहा। दूसरी ओर, दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में बादल मेहरबान नजर आए। आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके, दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कुछ भाग और कर्नाटक के पश्चिमी किनारे पर बादलों ने हल्की से मध्यम वर्षा की सौगात दी, वहीं कुछ स्थानों पर बिजली की गड़गड़ाहट के साथ तेज वर्षा भी दर्ज की गई। इसी क्रम में ओडिशा का समुद्री किनारा, केरल की हरियाली, लक्षद्वीप की द्वीपीय भूमि, और पूर्वोत्तर भारत के ऊपरी भाग – यथा नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम – गरज-चमक के साथ हल्के-फुल्के पानी से भीगते नजर आए। अंडमान व निकोबार द्वीप समूह तथा महाराष्ट्र की धरती पर छिटपुट बूंदाबांदी हुई, जो उमस भरे मौसम से थोड़ी राहत का संकेत देती है।

अगला दिन कैसा रहेगा

आगामी 24 घंटों के भीतर भारत के मौसम पर दो परस्पर विरोधी प्रभाव दिखाई देंगे – एक ओर जहां दक्षिण और पूर्वोत्तर हिस्सों में वर्षा की संभावना जताई जा रही है, वहीं उत्तर भारत के कुछ भागों में गर्मी के तेवर और भी तल्ख हो सकते हैं। केरल, दक्षिणी तेलंगाना, मिजोरम, नागालैंड व मणिपुर के घने जंगलों और पर्वतीय गांवों में मध्यम से तेज बारिश की संभावना व्यक्त की गई है। इन क्षेत्रों में कहीं-कहीं आकाशीय बिजली के साथ भारी वर्षा भी हो सकती है, जिससे स्थानीय नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है। वहीं कर्नाटक के आंतरिक हिस्से, कोंकण व गोवा की तटीय रेखाएं, मध्य महाराष्ट्र की पठारी धरती, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में बादलों की गर्जना के साथ मध्यम बारिश और कहीं-कहीं तेज बौछारें पड़ने की उम्मीद है। लक्षद्वीप जैसे द्वीपसमूह में भी आर्द्र हवाओं के प्रभाव से बारिश की गतिविधियाँ बनी रहेंगी। दूसरी ओर विदर्भ, मराठवाड़ा, तटीय आंध्र और दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में आंशिक बारिश की संभावना के बीच आंध्र क्षेत्रीय मानसून को गति मिल सकती है। वहीं, मध्य प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा और गुजरात की दक्षिणी पट्टी में बादलों की गड़गड़ाहट के साथ हल्की वर्षा की झलक देखने को मिल सकती है। परंतु गर्मी का कहर समाप्त नहीं हुआ है – राजस्थान के कई जिलों में लू से लेकर भीषण लू तक की स्थिति लगातार बनी रहने के संकेत हैं। इसके अलावा, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में भी गर्म पछुआ हवाएं दोबारा सताने को तैयार हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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