देशभर में भीषण तापलहर का प्रकोप ,कहीं गर्मी की तपिश तो कहीं राहत की बूंदें | जाने मौसम विभाग ने क्या दी अपडेट
वर्तमान समय में भारत के उत्तरी भूभागों में वायुमंडलीय परिस्थितियां असाधारण रूप से गर्म हो चुकी हैं। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मैदानी इलाकों में प्रचंड तापमान रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच चुका है। राजधानी दिल्ली में अधिकतम तापमान 39.6 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुँचा, जो सामान्य औसत से लगभग 2 डिग्री अधिक है। न्यूनतम तापमान भी 19.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो अपेक्षित मानदंडों की तुलना में तीन डिग्री कम दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग द्वारा राजधानी के लिए "येलो अलर्ट" घोषित किया गया है, जो साफ़ संकेत देता है कि आने वाले दिनों में हालात और अधिक विकट हो सकते हैं। शुक्रवार और शनिवार को यह गर्मी 42 डिग्री तक पहुँचने की संभावना व्यक्त की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव सीमित रहेगा, जिससे मैदानों में गर्म और शुष्क हवाएं अधिक उग्र हो जाएंगी। यह बदलाव शहरवासियों के लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है। चिलचिलाती धूप और तेज़ हवाओं का मेल, सड़क पर चलने वाले आम नागरिक से लेकर निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों तक, हर किसी के लिए संकट का कारण बन सकता है। सरकारी तंत्र भी सतर्क हो गया है, अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है और लू से बचाव हेतु जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। स्काईमेट जैसी मौसम सेवाएं भी लगातार ताजा अपडेट्स देकर लोगों को सचेत कर रही हैं।
पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर में प्राकृतिक उथल-पुथल
जहाँ एक ओर देश के मैदानी इलाके सूरज की भट्ठी में झुलस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हिमालय के सान्निध्य में बसे पर्वतीय राज्य और पूर्वोत्तर क्षेत्र जलवायु की एक दूसरी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की वादियों में हल्की से मध्यम वर्षा के साथ ओलावृष्टि और बर्फबारी की संभावना बनी हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सिक्किम तथा उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के लिए भी चेतावनी जारी की है, जिसमें ओलावृष्टि के साथ बिजली गिरने की आशंका जताई गई है। असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ मूसलधार वर्षा होने की प्रबल संभावना है। हवाएं भी तूफानी रफ्तार से चल रही हैं, जो 40 से 50 किमी प्रति घंटे तक पहुँच सकती हैं। इन इलाकों में आकाशीय बिजली का गंभीर खतरा भी बना हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को खुले स्थानों पर न जाने, पेड़ों के नीचे शरण न लेने और बिजली के उपकरणों से दूर रहने की सलाह दी है। खेतों में खड़ी फसलें विशेषकर आम, लीची, सरसों व चाय की बागान इस परिवर्तनशील मौसम की मार से प्रभावित हो रही हैं। किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है, साथ ही, उड़ानों और रेल सेवाओं पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। पर्वतीय सड़कों पर भूस्खलन के खतरे को लेकर भी यातायात विभाग सतर्क हो गया है।
दोपहर की आग से जूझते मध्यवर्ती प्रदेश
भारत के मध्यवर्ती और पश्चिमी राज्यों में अप्रैल के महीने ने जो गर्मी दिखाई है, वह पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक तीव्र और असहनीय साबित हो रही है। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों में तापमान का पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। विशेषकर बाड़मेर और जैसलमेर जैसे मरुस्थलीय क्षेत्रों में गर्मी चरम सीमा पर पहुँच चुकी है, जहां 46 डिग्री सेल्सियस तक की झुलसती गर्मी लोगों को भीतर से झकझोर रही है। छत्तीसगढ़ और ग्वालियर में भी गर्मी की तीव्रता असहनीय होती जा रही है। दोपहर के समय, यानी 12 बजे से 4 बजे के बीच सड़कों पर मानो सन्नाटा छा जाता है। दुकानें बंद, सड़कें सूनी और लोग अपने-अपने घरों में बंद रहने को विवश हो गए हैं। मौसम विभाग ने इन घंटों में बाहर न निकलने की सलाह दी है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय अत्यंत संवेदनशील माना गया है। सरकारी स्कूलों में समय परिवर्तित कर दिया गया है और कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया जा रहा है। किसानों के लिए यह समय सबसे कठिन है, जिन्हें खेतों में जाकर सिंचाई करनी होती है। खेतों में काम कर रहे मज़दूरों को हीट स्ट्रोक और डीहाइड्रेशन का गंभीर खतरा बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पानी, ओआरएस और प्राथमिक उपचार केंद्रों की व्यवस्था की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
दक्षिण भारत में राहत की बूंदें
जब उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत चिलचिलाती गर्मी की चपेट में हैं, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मौसम ने थोड़ी राहत देने की भूमिका निभाई है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तो भारी बारिश के कारण तापमान में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। इन इलाकों में मानसूनी प्रभावों की समयपूर्व आहट महसूस की जा रही है, जिससे किसानों और स्थानीय निवासियों को कुछ राहत मिली है। खेतों में नई फसल की तैयारी शुरू हो गई है, और नहरों व तालाबों में जलस्तर बढ़ा है। यह बारिश केवल कृषि के लिए ही नहीं, बल्कि वातावरण को ठंडा करने के लिए भी उपयोगी सिद्ध हुई है। भीषण गर्मी से बेहाल जनमानस को इन बूंदों ने थोड़ी सुकून भरी सांस दी है। बिजली उत्पादन में उपयोग होने वाले जलाशयों का जलस्तर बढ़ा है, जिससे हाइड्रोपावर परियोजनाओं को भी लाभ हुआ है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं भी सामने आई हैं, फिर भी दक्षिणी राज्य comparatively बेहतर स्थिति में हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले सप्ताह में इन क्षेत्रों में और अधिक वर्षा हो सकती है, जो तापमान को और नीचे लाएगी। इस राहतपूर्ण परिदृश्य के बीच, यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि जलवायु में यह असमानता भविष्य में नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मौसम का यह असमान व्यवहार एक स्पष्ट चेतावनी है कि मौसम अब पारंपरिक ढांचे में बंधा नहीं रहा।
सोर्स मौसम विभाग
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।