इस सीज़न में सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे या नहीं | जाने क्या कहता है MSP का गणित
किसान साथियों, कृषि विभाग के अनुसार, देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश का योगदान लगभग 41.92% है, जिससे यह राज्य भारत में सोयाबीन उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। बावजूद इसके, मंडियों में सोयाबीन की कीमतें किसानों की लागत से भी कम बनी हुई हैं, पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन लागत बढ़ी है, लेकिन बाजार में सोयाबीन की कीमतों में स्थिरता नहीं रही, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालात इतने गंभीर हैं कि कई किसान सोयाबीन की जगह दूसरी फसलों की ओर रुख करने पर विचार कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट में हम वर्तमान सोयाबीन बाजार के हालात, कीमतों में गिरावट के कारण और आने वाले समय में इसके भविष्य पर चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि किन सरकारी नीतियों और उपायों से किसानों को राहत मिल सकती है और सोयाबीन की खेती को फिर से लाभदायक बनाया जा सकता है।
सोयाबीन के वर्तमान मंडी भाव
वर्तमान में मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन 3800 से 4300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच खरीदी जा रही है। जबकि सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन किसानों को MSP से भी कम दाम मिल रहे हैं। पिछले साल यही सोयाबीन 4300 रुपए प्रति क्विंटल तक बिकी थी, लेकिन इस साल कीमत और गिर गई है।
सोयाबीन बाजार की साप्ताहिक रिपोर्ट
पिछले हफ्ते, सोमवार को महाराष्ट्र के सोलापुर मंडी में सोयाबीन का भाव 4300 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हुआ और शनिवार को 4330 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। यानी हफ्ते भर में सिर्फ 30 रुपये प्रति क्विंटल की हल्की बढ़त हुई। कुल मिलाकर, बाजार में मांग ठीक रही और सप्लाई भी संतुलित थी, इसलिए कोई बड़ी तेजी या गिरावट देखने को नहीं मिली।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर
दुनिया भर में सोयाबीन की सप्लाई बढ़ रही है। ब्राजील में कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन रफ्तार पिछले साल के मुकाबले मे धीमी है। वहीं, अर्जेंटीना में बारिश होने से फसल को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन सूखे की वजह से उत्पादन में कटौती की जा रही है। इस बढ़ती सप्लाई के चलते भारतीय सोयामील की एक्सपोर्ट मांग घटने की आशंका है, जिससे घरेलू बाजार में भी क्रशिंग की मांग कम हो सकती है।
सेबी ने सोयाबीन वायदा पर लगी पाबंदी को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है, जिससे ट्रेडिंग पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, सरकार मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में अपने स्टॉक की बिकवाली शुरू कर सकती है। अब सवाल यह है कि सरकार किस भाव पर सोयाबीन बेचेगी? अगर सरकारी बिकवाली सस्ती दरों पर हुई, तो बाजार में तेजी आने की उम्मीद कम हो जाएगी।
पिछले 15 सालों में सोयाबीन के समर्थन मूल्य की वृद्धि
अगर हम पिछले 15 वर्षों में सोयाबीन के समर्थन मूल्य (MSP) को देखें, तो यह धीरे-धीरे बढ़ा है। लेकिन जिस तेजी से खेती की लागत बढ़ी है, उसी अनुपात में MSP नहीं बढ़ा, जिससे किसानों का मुनाफा कम हो गया है।
वर्ष | समर्थन मूल्य (रु./क्विंटल) | वृद्धि (%) |
---|---|---|
2010-11 | 1400 | - |
2011-12 | 1690 | 21% |
2012-13 | 2240 | 32% |
2013-14 | 2560 | 14% |
2014-15 | 2560 | 0% |
2015-16 | 2600 | 1.5% |
2016-17 | 2775 | 7% |
2017-18 | 3050 | 10% |
2018-19 | 3399 | 11% |
2019-20 | 3710 | 9% |
2020-21 | 3880 | 4.5% |
2021-22 | 3950 | 2% |
2022-23 | 4300 | 9% |
2023-24 | 4600 | 7% |
2024-25 | 4892 | 6.3% |
हालांकि, समर्थन मूल्य बढ़ा है, लेकिन बाजार में किसानों को इसकी पूरी कीमत नहीं मिल रही।
किसानों की लागत और मुनाफे का गणित
सोयाबीन की खेती में लागत पिछले कुछ सालों में दोगुनी हो गई है। एक एकड़ में सोयाबीन की खेती करने के लिए लगभग 18,000 से 20,000 रुपए का खर्च आता है, जबकि किसानों को इसका उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
एक एकड़ की लागत का हिसाब
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तीन बार जुताई का खर्च - 2400 रु.
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बीज का खर्च - 2800 से 3200 रु.
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बुआई का खर्च - 800 रु.
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डीएपी और खाद का खर्च - 1500 रु.
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खरपतवार नाशक के दो छिड़काव - 2000 रु.
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इल्लीमार की तीन स्प्रे का खर्च - 3600 रु.
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कटाई का खर्च (हार्वेस्टर से) - 1500 रु.
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मजदूरों से कटाई - 6000 रु.
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मंडी तक ले जाने का खर्च - 1000 रु.
➡ कुल खर्च: 19,500 रुपए ➡ मुनाफा: मात्र 500-1000 रुपए प्रति एकड़!
लागत और मुनाफे के बीच मामूली अंतर
अगर मंडी में सोयाबीन की कीमत 4000 रुपए प्रति क्विंटल भी मिलती है और प्रति एकड़ 5 क्विंटल की पैदावार होती है, तो कुल बिक्री 20,000 रुपए होगी। यानी किसानों को बस नाममात्र का मुनाफा मिल रहा है।
सोयाबीन के दाम गिरने के कारण
- सोयाबीन के दाम गिरने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें आयात नीति, अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति, प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी और मौसम संबंधी प्रभाव शामिल हैं। भारत में पाम ऑयल की खपत लगातार बढ़ रही है, और सरकार ने इसके आयात शुल्क को 35% से घटाकर 5% कर दिया है। इस नीति के कारण पाम ऑयल की कीमतें कम हो गई हैं, जिससे सोयाबीन तेल की मांग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जब उपभोक्ताओं को सस्ता विकल्प मिलता है, तो वे सोयाबीन तेल की बजाय पाम ऑयल खरीदना पसंद करते हैं, जिससे सोयाबीन की कीमतों में गिरावट आती है।
- इसके अलावा, सोयाबीन एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार की जाने वाली फसल है, जिसका लगभग 90% उत्पादन निर्यात के लिए किया जाता है। अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों में बड़े पैमाने पर सोयाबीन उत्पादन होने के कारण वैश्विक बाजार में इसकी आपूर्ति अधिक रहती है। जब इन देशों में उत्पादन बढ़ता है, तो वैश्विक बाजार में कीमतें गिरती हैं, जिसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी पड़ता है।
- इसके अलावा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सोयाबीन का उत्पादन अधिक होता है, लेकिन वहां प्रोसेसिंग यूनिट्स की संख्या सीमित है। इस कारण से किसानों को अपनी उपज के लिए स्थानीय बाजार में पर्याप्त खरीदार नहीं मिल पाते, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ता है। यदि प्रोसेसिंग यूनिट्स की संख्या अधिक होती, तो स्थानीय स्तर पर मांग बढ़ती और कीमतें स्थिर रह सकती थीं।
- मौसम की मार भी सोयाबीन के दामों को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। जलवायु परिवर्तन के कारण अनिश्चित मौसम, अनियमित वर्षा और तापमान में उतार-चढ़ाव जैसी समस्याएं किसानों के लिए चुनौती बन गई हैं। फसल उत्पादन में गिरावट आने से लागत बढ़ जाती है, लेकिन जब मांग स्थिर नहीं रहती, तो दाम गिरने लगते हैं।
आने वाले समय में सोयाबीन का भविष्य
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर भारत में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाए और किसानों की लागत को कम किया जाए, तो यह फसल फिर से लाभदायक बन सकती है। सरकार को पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि सोयाबीन ऑयल की मांग बढ़ सके। किसानों को जैविक खादों और स्मार्ट तकनीकों का उपयोग कर लागत को कम करना होगा। सरकार को एमएसपी पर सख्ती से खरीद करनी होगी, ताकि किसानों को सही दाम मिल सके
सोयाबीन प्लांटों पर सोयाबीन के ताजा भाव
महाराष्ट्र में सोयाबीन प्लांट के ताजा भाव और मंडियों की स्थिति इस प्रकार है। सोलापुर में सोयाबीन का भाव ₹4320 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जहां कुल 10 गाड़ियां मंडी में पहुंचीं। लातूर में सोयाबीन का भाव ₹4290 प्रति क्विंटल रहा, और यहां 40 गाड़ियां मंडी में आईं, जो अन्य स्थानों की तुलना में अधिक है। कुशनूर में भी सोयाबीन का भाव ₹4320 प्रति क्विंटल रहा और यहां केवल 10 गाड़ियां मंडी में पहुंचीं। हिंगोली में भी सोयाबीन का भाव ₹4320 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया और यहां भी 10 गाड़ियां आईं।पिपरिया मंडी में सोयाबीन का भाव ₹3800 से ₹3900 प्रति क्विंटल रहा और यहां 50 बोरी की आवक दर्ज की गई। देवास मंडी में सोयाबीन की कीमत ₹3800 से ₹4200 प्रति क्विंटल रही, और यहां भारी मात्रा में 10,000 बोरी की आवक हुई। आष्टा मंडी में सोयाबीन का भाव ₹4000 से ₹4250 प्रति क्विंटल रहा और यहां 5500 बोरी की आवक देखी गई।
धूलिया दीसान मंडी में सोयाबीन की कीमत ₹4300 से ₹4340 प्रति क्विंटल रही, लेकिन यहां कोई खास तेजी नहीं देखी गई। अलिराजपुर मंडी में सोयाबीन का भाव ₹3900 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। छिंदवाड़ा मंडी में सोयाबीन की कीमत ₹4000 से ₹4350 प्रति क्विंटल रही।
इंदौर मंडी में अलग-अलग स्थानों पर सोयाबीन के भाव स्थिर रहे। लक्ष्मीनगर में सोयाबीन का भाव ₹3800 से ₹4150 प्रति क्विंटल रहा और यहां 2000 बोरी की आवक हुई। छावनी मंडी में भी यही भाव रहा, लेकिन यहां 1000 बोरी की आवक दर्ज की गई। कुल मिलाकर, कुछ मंडियों में भाव स्थिर रहे, जबकि कुछ स्थानों पर हल्की तेजी देखी गई।
अंत मे , दोस्तों फिलहाल सोयामील की कमजोर मांग और सोया तेल के बढ़ते आयात के चलते सोयाबीन की कीमतों में लगातार तेजी दिखना मुश्किल लग रहा है। बाजार में बड़ी तेजी अब नई फसल के आने से पहले ही देखने को मिलेगी। इसलिए जो किसान या व्यापारी स्टॉक रख रहे हैं, वे सोच-समझकर अपने जोखिम पर फैसला लें। व्यापार में सावधानी और बाजार की लगातार निगरानी जरूरी रखे।👉 चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।