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गेहूँ को लेकर बदल रहा है माहौल | गेहूं रेट और तेजी मंदी रिपोर्ट | 01 जून 2022

गेहूं का ताजा भाव और गेहूं रेट की तेजी मंदी रिपोर्ट 01 जून 2022 केंद्र सरकार ने 13 मई से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। बंदरगाह पर गेहूं से लदे ट्रक कई दिन से अटके हुए हैं इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश की गुना मंडी से जापान की कंपनी के अधिकारियों ने
गेहूँ को लेकर बदल रहा है माहौल | गेहूं रेट और तेजी मंदी रिपोर्ट | 01 जून 2022

गेहूं का ताजा भाव और गेहूं रेट की तेजी मंदी रिपोर्ट 01 जून 2022

केंद्र सरकार ने 13 मई से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। बंदरगाह पर गेहूं से लदे ट्रक कई दिन से अटके हुए हैं इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश की गुना मंडी से जापान की कंपनी के अधिकारियों ने 2,175 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं की खरीद की खबरें आ रही है। विदेशी कंपनी की खरीद के माहौल को देखते हुए घरेलू मिलों की मांग में भी सुधार देखने को मिला दिल्ली में गेहूं के दाम 10 से 30 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हो गए। उत्तर प्रदेश और राजस्थान लाईन के गेहूं के दाम बढ़कर 2,250 से 2,270 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के गेहूं के दाम तेज होकर 2,230 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गए।

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जानकारों के अनुसार देश के कई जानकारों के अनुसार देश के कई राज्यों की मंडियों में  गेहूं के भाव में सुधार भी आया है हालांकि कुछ जगह पर भाव कम भी हुए हैं।  सूत्रों के अनुसार गेहूं निर्यात में आगामी अनुसार गेहूं निर्यात में आगामी दिनों में कुछ और राहत मिलने की उम्मीद है, कई देशों ने भारत से गेहूं निर्यात करने के लिए अनुरोध किया है। इसीलिए स्टॉकिस्ट दाम घटाकर बिकवाली नहीं कर रहे हैं। मौजूदा कीमतों में आगे हल्का सुधार और भी बन सकता है।

बैन के बावजूद सरकारी खरीद में इजाफा नहीं

उधर केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाए जाने के बावजूद इसकी सरकारी खरीद में तेजी नहीं आई है। सरकार ने 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तथा उस दिन तक 179.89 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी उसके बाद 30 मई तक यह आंकड़ा केवल 190 लाख टन तक भी नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में अब 195 लाख टन खरीद के संशोधित लक्ष्य को भी हासिल कर पाना मुश्किल है।

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पिछले साल रबी सीजन में 434 लाख टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद को देखते हुए चालू रबी सीजन के आरंभ में सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बाद में उसे घटाकर 195 लाख टन कर दिया। हालांकि सरकार ने गेहूं उत्पादन के अनुमान में अभी तक ज्यादा कटौती नहीं की है। पहले 11.13 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान था, जिसे घटाकर 10.6 करोड़ टन किया गया है। 2020-21 में 10.96 करोड़ का उत्पादन हुआ था। हालांकि होली के बाद से अचानक तापमान बढ़ने के कारण गेहूं के उत्पादन में 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट आने की आशंका है।

पंजाब की मंडियों से अब तक 96.10 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। उधर मध्य प्रदेश की मंडियों से 19 मई तक 41.89 लाख टन गेहूं खरीदा गया था, जोकि 30 मई को बढ़कर 44.27 लाख टन तक पहुंचा है। हरियाणा की मंडियों से 19 मई तक 40.64 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी, जो अब 41.34 लाख टन तक पहुंची है। यही हाल उत्तर प्रदेश का है जहां आंकड़ा 2.47 लाख टन से बढ़कर 2.84 लाख टन तक ही पहुंच पाया है। केंद्र सरकार ने 13 मई को निर्यात पर रोक लगाई थी, तब उम्मीद थी कि किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने आयेंगे, लेकिन खरीद के आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि किसान अधिकतर फसल की बिक्री पहले ही कर चुके हैं। 

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विदेशों से भारत को 15 लाख टन से ज्यादा गेहूं की आपूर्ति करने को कहा जा रहा है यानी कि 1.5 मिलियन टन से अधिक की आपूर्ति के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं। व्यापार और सरकारी सूत्रों ने सोमवार को कहा कि कई देशों से जिन्हें रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण से उत्पन्न कमी को दूर करने की आवश्यकता है।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “आधा दर्जन से अधिक देशों ने 15 लाख टन से अधिक गेहूं के लिए भारत से संपर्क किया है और अब यह देखना है कि इन अनुरोधों को कैसे पूरा किया जाएगा । निर्णय लेने में शामिल इस अधिकारी ने बताया कि भारत कमजोर देशों और गेहूं की जरूरत वाले किसी की भी मदद करने के लिए उत्सुक है।

सूत्रों के अनुसार ज्यादातर अनुरोध बांग्लादेश से आए है, जो भारतीय गेहूं का नियमित खरीदार है। भारत, जिसने निजी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, हालांकि अन्य देशों की सरकारों से अनाज के लिए विशिष्ट अनुरोधों के लिए खुला है। बांग्लादेश के लिए, भारतीय गेहूं अन्य देशों से आपूर्ति की तुलना में कम से कम 30% सस्ता है, और भारतीय कार्गो को वहां पहुंचने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। बांग्लादेश ने हाल ही में एक गेहूं आयात निविदा जारी की थी लेकिन ढाका ने उच्च कीमत वाली बोलियों के कारण इसे बाद में रद्द कर दिया था। बांग्लादेश ने वित्तीय वर्ष में मार्च 2022 तक भारत से रिकॉर्ड 4 मिलियन टन गेहूं का आयात किया है।

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खबरों के अनुसार बांग्लादेश के अलावा, दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातक मिस्र ने भी राजनयिक चैनलों के माध्यम से 500,000 टन अनाज की आपूर्ति का अनुरोध किया है। जमैका और कुछ एशियाई देश भारत से गेहूं की तलाश करने वाले अन्य खरीदारों में शामिल हैं।
एक ग्लोबल व्यापारिक फर्म के एक अन्य डीलर ने कहा कि बांग्लादेश को बहुत अधिक गेहूं की जरूरत है और भारत पूरी आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकता है। भारत को युगांडा और इथियोपिया जैसे देशों के लिए भी अनाज की आपूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (world food program) से गेहूं के लिए अनुरोध भी प्राप्त हुए हैं

उपरोक्त जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय गेहूं की विदेशों में अभी भी अच्छी खासी डिमांड है। आगे चलकर अगर निर्यात के नियमों में ढील दी जाती है तो गेहूं के भाव बढ़ने की पूरी पूरी संभावना है

गेहूं के ताजा भाव (gehu  rate)

फतेहाबाद मंडी गेहूं भाव 2016
कालावाली गेहूं भाव 2020
सिरसा मंडी गेहूं भाव 2030
नारनौंद गेहूं भाव 2040
भट्टू कला गेहूं भाव 2016
उकलाना मंडी गेहूं रेट 2040
हांसी मंडी गेहूं रेट 2040
ऐलनाबाद मंडी गेहूं रेट 2020
बरवाला मंडी गेहूं रेट 2080
हिसार मंडी गेहूं रेट 2043
उचाना मंडी गेहूं रेट 2016
झज्जर गेहूं रेट 2020
रतिया मंडी गेहूं रेट 2080
रेवाड़ी गेहूं का भाव 2070

अनूपगढ़ मंडी गेहूं रेट 2151
अलवर गेहूं टोप भाव ₹ 2110
बारां गेहूं रेट 1983 से 2251
बेगू गेहूं टोप भाव ₹ 2180
भरतपुर गेहूं भाव ₹ 2081 से 2271
बूँदी गेहूं रेट 1770 से 2221
चाकसू भाव ₹ 1960
गजसिंहपुर भाव ₹1965
गंगापुर सिटी भाव 1950 से 2111
गोलूवाला भाव 1850 से 2065
हनुमानगढ़ गेहूं टॉप भाव 1995 रुपए
जयपुर भाव 2050 से ₹2250
जोधपुर भाव ₹ 2155
उदयपुर गेहूं रेट 2030 से 2160

बासमती धान और चावल के भाव यहाँ देखें

डिबाई मंडी गेहूं रेट 2040
जहांगीराबाद गेहूं रेट 2071
खैर मंडी गेहूं रेट 2045

उज्जैन गेहूं भाव ₹ 1950 से 2288
नीमच गेहूं भाव ₹ 2025 से 2351
इंदौर गेहूं भाव ₹ 1830 से 2460
मंदसौर मंडी गेहूं भाव ₹ 1995 से 2340

डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका) का कहना है कि ऐसा पहली बार है कि भारत मिस्र और तुर्की को गेहूं का निर्यात कर रहा है। कोई शक नहीं कि गेहूं का निरंकुश निर्यात देश की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। ऐसे में नियंत्रित गेहूं निर्यात नीति से न केवल किसानों को लाभ का रास्ता साफ होगा बल्कि टिकाऊ कृषि निर्यात पॉलिसी के जरिए कई नए देशों में हमारे कृषि उत्पाद निर्यात की संभावनाएं तलाशने का एक अच्छा अवसर है।

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हमारा किसान भाइयों और व्यापारी भाइयों से निवेदन है कि फसल बेचने और खरीदने से पहले, अपने पास की मंडी मे भाव का पता कर ले। और सौदे अपने विवेक से करें।  भावों की जानकारी सार्वजानिक स्रोतों से प्राप्त की गयी है इस डाटा का उपयोग से होने वाली हानि के लिए मंडी भाव टुडे किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है

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