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समस्या नहीं अब मुनाफा देगी धान की पराली | इस मशीन से एक घण्टे में 10 एकड़ की पराली करें इकट्ठा

समस्या नहीं अब मुनाफा देगी धान की पराली | इस मशीन से एक घण्टे में 10 एकड़ की पराली करें इकट्ठा
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किसान साथियो कृषि यंत्र विशेषज्ञ अवतार सिंह के अनुसार, रैकर एक ऐसा कृषि उपकरण है जो फसल कटाई के बाद खेतों में बची हुई पराली को इकट्ठा करने में किसानों की काफी मदद करता है। इस यंत्र में लगे विशेष दांतों या टाइन की सहायता से पराली को जमीन से उठाकर एक लाइन में व्यवस्थित किया जाता है। इस तरह एकत्रित पराली को फिर बेलर मशीन से बांधकर आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। रैकर का उपयोग करके किसान न केवल पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करते हैं बल्कि इस पराली का उपयोग खाद, बिजली उत्पादन या अन्य उपयोगी कार्यों के लिए भी कर सकते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

आ गया है पराली इकठी करने का कृषि यंत्र 
कृषि यंत्र विशेषज्ञ अवतार सिंह के अनुसार, रैकर कई प्रकार के होते हैं जिनमें रोटरी रैकर और रेक रैकर प्रमुख हैं। प्रत्येक प्रकार के रैकर की अपनी अलग विशेषताएं होती हैं। रैकर का उपयोग फसल कटाई के बाद खेत में बची हुई पराली को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। यह मशीन पराली को आसानी से एकत्रित करके खेत को साफ-सुथरा रखने में मदद करती है। पराली जलाने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। रैकर के उपयोग से किसान पराली को जलाने के बजाय इसका बेहतर उपयोग कर सकते हैं। पराली को खाद बनाने या बायोगैस उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है। खेत में ही पराली को छोड़ देने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और इससे फसल की पैदावार में भी सुधार होता है। इस प्रकार, रैकर न केवल खेत को साफ रखने में मदद करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पराली इकठी करने ले लिए कोनसा कृषि यंत्र है और कैसे काम करता है 
पराली प्रबंधन के लिए रैकर और बेलर जैसी मशीनों का उपयोग किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। रैकर का उपयोग पराली को एक जगह इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। यदि खेत समतल है तो रैकर आसानी से अपना काम कर लेता है, लेकिन उबड़-खाबड़ खेत में इसे चलाने में थोड़ी मुश्किल होती है। आमतौर पर, एक रैकर एक घंटे में 8 से 10 एकड़ तक के क्षेत्रफल की पराली इकट्ठा कर सकता है। इसे चलाने के लिए कम से कम 25-30 हॉर्स पावर का ट्रैक्टर आवश्यक होता है। बेलर का काम पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसे गठ्ठों में बांधना होता है। यह कटी हुई पराली को एक चैम्बर में एकत्र करता है और फिर एक निश्चित मात्रा में पराली एकत्र करने के बाद उसे रस्सी या तार से बांधकर एक गठ्ठा बना देता है। बेलर को चलाने से पहले रैकर का उपयोग किया जाता है ताकि पराली को एक जगह इकट्ठा किया जा सके। अवतार सिंह के अनुसार, सरकार किसानों को इन मशीनों को खरीदने पर 50% से 80% तक की सब्सिडी देती है। बेलर की कीमत लगभग 17 लाख रुपये और रैकर की कीमत लगभग 4 लाख रुपये होती है। हालांकि, ये कीमतें कंपनी और मशीन की क्षमता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती हैं। रैकर और बेलर का उपयोग करने से किसान पराली को आसानी से संभाल सकते हैं और उसे जलाने से होने वाले प्रदूषण को भी कम कर सकते हैं। साथ ही, इन मशीनों से बने पराली के गठ्ठों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में या जैविक खाद बनाने के लिए किया जा सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।