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गेहूं में 65 से 75 दिन पर कर दें यह स्प्रे | उत्पादन हो जाएगा दोगुना

गेहूं में 65 से 75 दिन पर कर दें यह स्प्रे | उत्पादन हो जाएगा दोगुना
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गेहूं की फसल में बढ़े उत्पादन के लिए 65 से 75 दिन के बीच करें स्प्रे, जानें कैसे।

किसान भाइयों, खेती करने वाले किसानों के लिए गेहूं की फसल एक महत्वपूर्ण फसल होती है। अगर किसान भाइयों द्वारा गेहूं की फसल की सही समय पर और सही तरीके से देखभाल की जाए, तो गेहूं की फसल का उत्पादन बहुत बढ़ सकता है। खासकर जब बात हो गेहूं की फसल में उत्पादन बढ़ाने की, तो यह जरूरी हो जाता है कि हम फसल की विभिन्न अवस्थाओं में उसे उपयुक्त पोषक तत्व और सुरक्षा प्रदान करें। 65 से 75 दिन के बीच गेहूं की फसल एक महत्वपूर्ण अवस्था में होती है, जहां अगर सही स्प्रे की जाए, तो उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि कैसे आप इस दौरान स्प्रे करके अपने गेहूं के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। स्प्रे का उपयोग गेहूं की फसल में यदि सही समय पर किया गया, तो यह स्प्रे आपकी फसल को बीमारियों से बचाएगा और क्लोरोफिल का निर्माण बढ़ाकर फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा। इसके अलावा, इंपैक्ट एक्स्ट्रा जैसी बेहतरीन फंजीसाइड का उपयोग करके आप अपनी फसल को हीट स्ट्रेस से बचा सकते हैं और उसकी मैच्योरिटी पीरियड को बढ़ा सकते हैं। अगर आप गेहूं के किसान हैं, तो यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इस समय की स्प्रे करने से आप 50 किलो प्रति दिन उत्पादन में वृद्धि देख सकते हैं, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है। दोस्तों, हमारा उद्देश्य इस रिपोर्ट के माध्यम से यह जानकारी देना है कि गेहूं की फसल में स्प्रे का महत्व और फसल को बीमारी से बचाने के उपाय क्या हैं। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि इस समय की स्प्रे कैसे फसल को नुकसानदायक परिस्थितियों से बचाती है, जैसे गर्मी की वजह से होने वाला हीट स्ट्रेस और फंगस जनित बीमारियाँ। तो चलिए इन सब बातों के बारे में विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।

65 से 75 दिन के बीच क्यों करें स्प्रे
किसान साथियों, गेहूं की फसल जब 65 से 75 दिन के बीच होती है, तो यह फ्लैग लीफ (मुख्य पत्ता) के विकास के एक महत्वपूर्ण दौर में होती है। यही पत्ता है जो सूरज की रोशनी को अवशोषित करता है और पौधे में फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को सक्रिय करता है। इस स्टेज पर यदि फ्लैग लीफ को किसी भी प्रकार की बीमारी या पोषक तत्वों की कमी हो, तो फसल का उत्पादन घट सकता है। इसी कारण से इस वक्त खास ध्यान देने की जरूरत होती है। आपको इस स्टेज के दौरान गेहूं की फसल में होने वाली बीमारियों, जैसे येलो रस्ट या पाउडरी मिल्ड्यू से बचाव के लिए स्प्रे करनी चाहिए। इसके अलावा, फ्लैग लीफ को हरा-भरा और स्वस्थ रखने से उसकी चौड़ाई और लंबाई बढ़ेगी, जिससे ज्यादा भोजन का निर्माण होगा और बालियों में दाने की संख्या बढ़ेगी। यह सब फसल की उत्पादन क्षमता को सीधे प्रभावित करता है।

स्प्रे से फसल को क्या लाभ होगा
किसान साथियों, जब आप गेहूं की फसल में स्प्रे का उपयोग 65-70 दिन की अवस्था में करते हैं तो इसके आपको अनेकों फायदे देखने को मिलेंगे। जब आप स्प्रे करेंगे, तो स्प्रे करने से फ्लैग लीफ की सुरक्षा होगी, और यह बीमारियों से बचने में मदद करेगा। और इसका फायदा यह होगा कि फ्लैग लीफ जितना ज्यादा स्वस्थ रहेगा, उतना ही अधिक क्लोरोफिल (हरी रंगत) बनेगा, जिससे पौधे को ज्यादा भोजन मिलेगा और उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही स्प्रे के उपयोग से गेहूं की फसल में गर्मी की वजह से हीट स्ट्रेस से बचाव होगा, जिससे फसल ज्यादा दिनों तक स्वस्थ रहेगी। अगर आप अपने गेहूं की फसल में स्प्रे का उपयोग करते हैं, तो फ्लैग लीफ के ऊपर बीमारियाँ होने की संभावना कम हो जाएगी, जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और येलो रस्ट। यदि स्प्रे से आपकी गेहूं की फसल इन रोगों से बची रहेगी, तो आपकी फसल की स्वस्थ अवस्था से, गेहूं की बालियों में दानों की संख्या बढ़ेगी और दानों का आकार भी बेहतर होगा। जिसके कारण आगे चलकर आपकी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी।

कौन सा स्प्रे करें और क्यों
किसान साथियों, आपको गेहूं की फसल में जो स्प्रे करना है, यह स्प्रे इंपैक्ट एक्स्ट्रा नामक एक बेहतरीन फंजीसाइड (फफूंद नाशक) का होना चाहिए। यह सिंजेंटा कंपनी द्वारा निर्मित एक सिस्टमिक फंजीसाइड है, जो गेहूं की फसल में बहुत प्रभावी होता है। इस स्प्रे की खासियत यह है कि यह येलो रस्ट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसी बीमारियों से फसल की रक्षा करता है और पौधों में क्लोरोफिल निर्माण को बढ़ावा देता है। इंपैक्ट एक्स्ट्रा में एजक्स स्ट्रोबिन और साइप कोना जोल जैसे टेक्निकल होते हैं, जो केवल सिंजेंटा कंपनी के पास होते हैं। यह तकनीक पूरी दुनिया में सबसे बेहतर मानी जाती है। इसके अलावा, यह फफूंद को नष्ट करने के साथ-साथ फसल को हीट स्ट्रेस से भी बचाता है, जिससे फसल अधिक दिन तक हरी-भरी रहती है।

स्प्रे की डोज और उपयोग
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में इस स्प्रे का उपयोग करते वक्त आपको ध्यान रखना होगा कि सही मात्रा में ही स्प्रे करें। इसके लिए, 1 एमएल (मिलीलीटर) 1 लीटर पानी में मिलाकर 100 लीटर पानी में इसका उपयोग करें। इससे 100 एकड़ के खेत में अच्छी तरह से इसका छिड़काव किया जा सकता है। जब आप यह स्प्रे करेंगे, तो आपकी गेहूं की फसल को हीट स्ट्रेस से बचने का लाभ मिलेगा, और फसल का मैच्योरिटी पीरियड (पकने का समय) भी लगभग 4-5 दिन बढ़ जाएगा। इसका मतलब यह है कि फसल कम समय में पकने के बजाय ज्यादा समय में पकेगी, और इससे उत्पादन में 50 किलो प्रति दिन का बढ़ोतरी हो सकती है। जो किसानों के लिए अतिरिक्त फायदेमंद हो सकता है।

क्या और भी पोषक तत्व चाहिए
किसान भाइयों, 65 से 75 दिन के बीच गेहूं की फसल में अन्य पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है, जैसे फास्फोरस और पोटाश। यदि आपके खेत में इनकी कमी महसूस हो, तो आप वाटर सॉल्युबल फर्टिलाइज़र का उपयोग कर सकते हैं। इसमें NPK (N: 5%, P: 34%, K: 34%) और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स शामिल हैं। यह पौधों को अच्छे से पोषण प्रदान करेगा और उनकी विकास दर को सुधारने में मदद करेगा।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।