क्या और तेज होंगे गेहूं के भाव | गेहूं के आयात पर क्या है अपडेट | जाने रिपोर्ट में
बाजार में 1 जुलाई से गेहूं के आयात शुरू होने की चर्चाएं गर्म हैं। गेहूं के आयात को लेकर सरकार का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार गेहूं पर आयात शुल्क में कटौती को लेकर अनिच्छुक दिखाई दे रही है। गेहूं के व्यापार से जुड़े संस्थान और व्यापारी घरेलू बाजारों में मांग-आपूर्ति संतुलन बनाए रखने के लिए विदेशों से गेहूं के आयात की अनुमति देने का लगातार आग्रह कर रहे हैं। हम मानते हैं कि आयात पर प्रतिबंध नहीं है। लेकिन 44% का आयात शुल्क निजी व्यापारियों को आयात के लिए हतोत्साहित करने के लिए काफी है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे
आयात शुल्क को कम करने को लेकर सरकारी रुख क्या है
कुछ हफ़्ते पहले मिली जानकारी के अनुसार फ़िलहाल सरकार का आयात शुल्क कम करने को लेकर कोई मामला विचार में नहीं है। हालांकि, सोमवार को एक सम्मेलन में खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि घरेलू गेहूं बाजार को स्थिर रखने के लिए केंद्र शुल्क कटौती सहित सभी विकल्प तलाशेगा।
आयात से किस किसको फायदा
उत्तर भारत में स्थित मिल मालिकों का मानना है कि अगर भारत गेहूं का आयात करता है तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि इससे त्योहारी सीजन के दौरान मुख्य अनाज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी । नॉर्थ इंडियन फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष संजय पुरी का कहना है कि यदि सरकार गेहूं के आयात की अनुमति देती है तो ऐसा करने से मिल मालिकों के लिए घरेलू मांग को पूरा करने का एक और रास्ता खुल सकता है । इसके विपरीत यदि कोई आयात नहीं होता है, तो घरेलू मिलों के पास भारतीय खाद्य निगम (FCI) की खुले बाजार की नीलामी (OMSS) या फिर स्टॉकिस्टों, व्यापारियों और किसानों से खरीदारी करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
गेहूं पर लगी हुई है स्टॉक लिमिट
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गत सोमवार को, सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है। इन संस्थाओं को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर हर शुक्रवार को अपने गेहूं के स्टॉक की स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। यह स्टॉक सीमा 31 मार्च तक लागू रहेगी।
आयात करने की पड़ सकती है जरूरत
हालाँकि, एग्रीवॉच के अनाज डेस्क की टीम लीड के नित्यानंद रॉय का मानना है कि सरकार को अभी भी 2 से सवा 2 मिलियन टन गेहूं का आयात करना पड़ सकता है। उनके अनुसार इस साल में गेहूं की खपत ज्यादा रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस साल घरेलू बाजार में लगभग 1.40 मिलियन टन गेहूं की कमी हो सकती है। अगर मार्केट को ठीक से नियन्त्रित नहीं किया गया तो स्टॉकिस्टों द्वारा गेहूं रोके रखने के कारण यह कमी 2.40 मिलियन टन तक भी बढ़ सकती है।
आयात करने का सही समय
गेहूं के बाजार सहभागियों का कहना है कि अगस्त गेहूं के आयात ऑर्डर देने का सही समय होगा। विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमतें कम चल रही है। अमेरिका के शिकागो में सीबीओटी (शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड) पर गेहूं की कीमतें कमजोर हो गई हैं। इसलिए गेहूं आयात करने का यह अच्छा समय है। इसके अलावा अगर सरकार अगस्त में गेहूं के आयात की अनुमति देती है, तो आयातित गेहूं दिवाली से पहले भारत पहुंच जाएगा और यही वह समय होगा जब अनाज की मांग सर्वाधिक होती है। अगस्त के बाद गेहूं आयात करने का कोई बड़ा फायदा नहीं है। इसीलिए व्यापारी सरकार से अगस्त-सितंबर में थोड़े समय के लिए आयात शुल्क कम करने का आग्रह कर रहे हैं। उसके बाद तो फिर नया गेहूँ बाजार में आ जायेगा।
उत्पादन बढ़ने के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद लक्षय से पीछे
गेहूं के उत्पादन के आंकड़े को देखें तो सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत में रबी सीज़न 2023-24 में 112.9 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। जबकि पिछले सीज़न 2022-23 में यह 110.6 मिलियन टन था। हालाँकि, बाजार के जानकारों का मानना है कि 2023-24 में उत्पादन 105-106 मिलियन टन के लगभग होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2023 में भारत में 104 मिलियन टन से अधिक गेहूं की खपत हुई थी। खाद्य सचिव चोपड़ा ने भी सोमवार को इस बात का जिक्र किया था कि भारत में गेहूं की खपत बढ़ रही है। यह बात जगजाहिर है कि सरकार साल दर साल अपने गेहूं खरीद के लक्ष्य से पीछे रहे रही है। जानकारों का मानना है कि शीर्ष उत्पादकों में से एक, मध्य प्रदेश में फसल की क्षति और उच्च निजी खरीद के परिणामस्वरूप इस वर्ष सरकारी एजेंसी द्वारा कम खरीद हुई है।
कल्याणकारी योजनाओं के लिए होगी गेहूं की जरूरत
साथियो ऐसी परिस्थिति जिसमें सरकारी खरीद कम हुई है अब सभी की निगाहें केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं पर टिक गई हैं। गौरतलब है कि सरकार को 810 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न योजना के तहत अनाज वितरित करने के लिए 18.4 मिलियन टन गेहूं की आवश्यकता है। सरकार का गेहूं का स्टॉक पहले से ही 16 साल के न्यूनतम स्तर पर आ चुका है।
क्या आयात से किसानों को होगा नुकसान
जैसा कि हमने उपर बताया कि सरकार ने किसी को गेहूं का आयात करने से रोका नहीं है। लेकिन वर्तमान कंडीशन में अगर गेहूं का निजी आयात करते हैं तो माल भाड़ा और 44 फीसदी ड्यूटी लगाकर गेहूं का भाव 3000 रुपये क्विंटल तक पहुंच जाएगा, जो मुनाफे का सौदा नहीं होगा। क्योंकि इससे सस्ता गेहूं तो अपने ही देश में उपलब्ध है। विदेशी बाजारों में इस समय गेहूं 2000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। यही कारण है कि सरकार से गेहूं पर आयात शुल्क जीरो करने की मांग की जा रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत गेहूं का आयात करता है, तो इससे किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा या घरेलू कीमतों में गिरावट नहीं आएगी। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने कहा, "आयात से कीमतें संतुलित होंगी, कोई गिरावट नहीं आएगी। मात्र 2-3 मिलियन टन गेहूं का आयात करने से किसी भी किसान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका मानना है कि गेहूं का आयात किसानों को प्रभावित किए बिना उपभोक्ताओं को राहत देगा।
2800 तक जा सकते हैं गेहूं के रेट
जहां तक गेहूं के भाव की तेजी मंदी का सवाल है, एग्रीवॉच के अनुसार आयात से घरेलू कीमतें कम होने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा कि भारत में त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ती मांग के कारण अक्टूबर में घरेलू बाजारों में गेहूं के भाव 2,800 रुपये प्रति 100 किलोग्राम तक बढ़ सकते हैं। आयात के साथ भी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे जाने की संभावना ना के बराबर है। दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर आज 29 अक्टूबर को गेहूं के भाव 2685 के आसपास चल रहे हैं। हाजिर मंडियों में गेहूं के भाव 2400-2600 की रेंज में बने हुए हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर के बेंचमार्क बाजार में बुधवार को गेहूं की कीमतें 2,600-2,625 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थीं। जैसा कि आप सबको पहले से पता है कि रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले अक्टूबर में 7% बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।