क्या 3500 के पार निकल जाएगा गेहूं का रेट | गेहूं के किसान और व्यापारी ये रिपोर्ट जरूर देख लें
किसान साथियो और व्यापारी भाइयों साल 2025 को शुरू होकर अभी 5 दिन भी नहीं हुए हैं और गेहूं के भाव 200 रुपये तेज हो गए हैं। कल दिल्ली में गेहूं के भाव 3340 के स्तर को पार कर गए। गेहूं के इतने रेट कई सालों से नहीं देखे गए हैं। सरकार ने अपने स्तर पर गेहूं के भाव को नियंत्रित करने का अथक प्रयास किया है लेकिन अभी तक कुछ खास सफलता नहीं मिली है। सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लंबे समय से प्रतिबन्ध लगा रखा है। फिर भी गेहूं के भाव में बन रही तेजी पर ब्रेक नहीं लग पाया है। हाल ही में उम्मीदों के विपरीत सरकार ने नेपाल को 2 लाख टन गेहूं को निर्यात करने का फैसला लिया है। इस फैसले के तुरन्त बाद गेहूं के भाव 90 रुपये उछल गए हैं। मौजूदा परिस्थितियों को देखते व्यापारी और किसानों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या गेहूं के भाव में और तेजी बनेगी या फिर सरकार कुछ ऐसा करने वाली है कि गेहूं में तेजी पर ब्रेक लग जाएगा। आज की रिपोर्ट में हम गेहूं के बाजार के सभी पहलुओं का विश्लेषण करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या गेहूं के भाव 3500 के पार जा सकते हैं या नहीं। अगर आपके पास गेहूं का स्टॉक रखा हुआ है तो आपको यह रिपोर्ट अंत तक पढ़नी चाहिए।
बाजार में क्या है माहौल
दोस्तो 4 जनवरी 2024 यानि कि कल दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर गेहं 90 रुपए/क्विंटल बढ़ कर 3,330/40 पर बंद हुआ। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पहली बार दिल्ली के बाजार में गेहूं में 1 दिन में इतनी बड़ी तेजी देखी गई है। अगर देखा जाए तो OMSS के पहले टेंडर से लेकर अब तक दिल्ली गेहूं 220/230 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ चुका है। पहले टेंडर से अंतिम टेंडर तक यानि कि पांचवे टेंडर तक 5 लाख टन आवंटित किया गया था जिसमें में से लगभग 4.95 लाख टन गेहूं की बिक्री की जा चुकी है। पूरे गेहूं की बिक्री गेहूं की ज़बरदस्त माँग को दर्शाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की कम मात्रा टेंडर में दिए जाने के कारण ऊँचे भावों पर टेंडर पास हुए हैं। मंडी भाव टुडे ने अपनी पिछली रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि अगर सरकार ने आबंटित गेहूं की मात्रा नहीं बढ़ायी तो गेहूं की तेजी नहीं रुकेगी। बाजार में आप यही रूझान देख रहे हैं।
खरीददारों और बिकवालों में क्या है रूझान
गेहूं के बढ़ते भाव को देखते हुए कीमतें बढ़ने के बावजूद स्टॉकिस्ट और किसान बाज़ारों में गेहूं नहीं बेच रहे हैं और आटा मिलों की डिमांड बढ़ती जा रही है। अक्सर बाजारों में यही देखा जाता है कि भाव बढ़ने पर बिकवाल सक्रिय हो जाते हैं और खरीदार पीछे हट जाते हैं। लेकिन ऐसी कोई स्थिति फ़िलहाल नहीं दिख रही है।
क्या आयात बन सकता है विकल्प
दोस्तों हम पहले भी जिक्र कर चुके हैं कि वैश्विक तौर पर देखा जाए तो विदेशी बाजारों में गेहूं क़ीमतें काफी कम हैं। लेकिन समस्या यह है कि मौजूदा भावों पर अगर 40% आयात शुल्क लगाया जाये तो आयात पड़ता मौजूदा दिल्ली के भावों से 100-150 रुपये तक ही कम बैठ रहा है। दूसरी दिक्कत यह भी है कि आयात होने में कम से कम 1 महीने का समय तो लगेगा ही, 100-150 रुपए के लिए कोई आयातक इतना बड़ा रिस्क लेना नहीं चाहेगा। इसलिए आयात से जल्दी ही बड़ा कुछ होगा ऐसा नहीं लगता। अगर गेहूं आयात के गणित को समझें तो भारत की अपेक्षा विदेश में इस समय गेहूं के भाव कम चल रहे हैं। रूस में इस समय गेहूं के भाव $230 प्रति टन के आसपास है जबकि ऑस्ट्रेलियाई गेहूं $260 प्रति टन की के आसपास है समुद्री भाड़ा और बीमा जोड़ने के बाद, आयातित गेहूं की क़ीमत भारतीय रुपये में ₹2,200-2,350 प्रति क्विंटल बैठती है, जो 2025-26 की निर्धारित MSP के करीब है। दक्षिण भारत के आटा मिलों के लिए आयातित गेहूं घरेलू गेहूं की तुलना में सस्ता साबित हो सकता है, यहां तक कि पोर्ट हैंडलिंग (₹270-350 प्रति क्विंटल) और परिवहन लागत (₹160-170 प्रति क्विंटल) को जोड़ने के बाद भी। हाँ लेकिन अगर सरकार शून्य शुल्क पर गेहूं के आयात की अनुमति देती है, तो 30-40 लाख टन गेहूं का आयात घरेलू आपूर्ति को स्थिर कर सकता है। दूसरी तरफ अनाजों के आयात से हमारे किसान नाराज हो जाते हैं इसलिए सरकार चुनाव को देखते हुए ऐसी रिस्क कम ही लेती है। अगर हालिया स्थिति को देखा जाए तो दिल्ली और बिहार को छोडकर नजदीक भविष्य में गेहं उत्पादक राज्यों में कोई बड़ा चुनाव नहीं है इसलिए हो सकता कि सरकार निकट भविष्य में गेहूं आयात का निर्णय ले ले।
क्या और तेज होगा गेहूं
कुल मिलाकर कहने का मतलब यह है कि आने वाले समय में अगर गेहूं के आयात का निर्णय सरकार नहीं लेती है तो गेहूं की तेजी को रोकना मुश्किल होगा । नया गेहूं आने में अभी 3 महीने का समय है। अभी तक लिए गए स्टॉक लिमिट जैसे निर्णय गेहूं की तेजी को रोकने में कारगर साबित नहीं हुए हैं। एक नजर में ऐसा लगता है कि आने वाले समय में दिल्ली में गेहूं के भाव 3500 का स्तर दिखा देंगे। दोस्तो हमे यह भूलना नहीं चाहिए कि गेहूं एक आवश्यक अनाज है और इसकी महंगाई भारत के हर आम आदमी को प्रभावित करती है। चूंकि भाव बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं इसलिए सरकार जल्दी ही इस पर कोई बड़ा फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। मंडी भाव टुडे का मानना है कि सरकार जल्दी ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है। जिन साथियों के पास गेहूं का स्टॉक रखा हुआ है वे अपना माल इन भावों में हल्का कर सकते हैं। जो साथी 3500 के रेट देखना चाहते हैं उन्हें सरकारी गतिविधि पर पैनी नजर रखनी होगी । मंडी भाव टुडे द्वारा गेहूं में जितनी भी रिपोर्ट्स दी हैं, अभी तक सारी सटीक बैठी हैं, जितने भी टारगेट दिए वो पूरे हो चुके हैं। अब इन भावों पर और तेजी में मानकर चलना ज्यादा जोखिम भरा हो सकता है इसलिए स्टॉक हल्का करने में समझदारी है। व्यापार अपने विवेक से करें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।