क्या इस साल गेहूं को स्टॉक करना मुनाफे का सौदा होगा | क्या गेहूं का भाव इस साल फिर से 3300 तक पहुंच सकता है
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में नई फसल की कटाई और मंडियों में आपूर्ति शुरू हो चुकी है, और सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी कंपनियां और आटा मिलें भी इसकी खरीद कर रही हैं। अलग अलग आवक का रूझान रहने के कारण गेहूं के भाव में भी तेजी मंदी का रूझान अलग अलग चल रहा है। कुछ मंडियों में गेहूं तेज हुआ है तो कुछ मंडियों में मंदा हुआ है। दिल्ली में, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गेहूं का भाव 15 रुपये गिरकर 2615/2620 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया, जबकि इंदौर में स्थानीय गेहूं की कीमत में 415 रुपये की बड़ी गिरावट दर्ज हुई और यह 2400/2610 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। यह ध्यान देने योग्य है कि मध्य प्रदेश में किसानों से 2600 रुपये प्रति क्विंटल और राजस्थान में 2575 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की सरकारी खरीद की जा रही है, क्योंकि वहां 2425 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ऊपर क्रमशः 175 रुपये और 150 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस घोषित किया गया है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।
गेहूं की सरकारी खरीद और स्टॉक पर क्या अपडेट
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1154 लाख टन के सर्वकालीन उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है, जबकि उद्योग और व्यापार क्षेत्र के उत्पादन अनुमान इससे काफी कम हैं। खाद्य मंत्रालय ने इस वर्ष 313 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की कुल वास्तविक खरीद 266 लाख टन से 47 लाख टन अधिक है, और मंत्रालय को यह लक्ष्य आसानी से प्राप्त होने की उम्मीद है। चूंकि केंद्रीय पूल में पहले से ही 100 लाख टन से अधिक गेहूं का स्टॉक मौजूद है, इसलिए यदि इस सीजन में 300 लाख टन से अधिक की खरीद होती है, तो इसकी उपलब्धता और बढ़ जाएगी। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। रबी सीजन 2025-26 के लिए अब तक 23.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है। मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद अच्छी गति से चल रही है और राजस्थान में भी खरीद में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। पंजाब में 14 अप्रैल के बाद आवक में तेजी आने की संभावना है। हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश पर सभी का ध्यान केंद्रित है, क्योंकि वहां कोई अतिरिक्त बोनस नहीं दिया जा रहा है। यहां की सरकारी खरीद का रूझान तय करेगा कि सरकारी खऱीद का लक्ष्य पूरा होगा या नहीं।
ओएमएसएस स्कीम पर क्या है अपडेट
मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण किसानों को मिल रहा ₹2600 प्रति क्विंटल का आकर्षक मूल्य है। इसी प्रकार, राजस्थान में भी किसानों से ₹2575 प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जा रहा है। अगर सरकारी खऱीद का लक्ष्य पूरा होता है तो इससे सरकार को आगे चलकर बाजार में संभावित मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) को अपेक्षाकृत जल्द शुरू करने में भी सहायता प्राप्त होगी। इस योजना के तहत बिक्री के लिए गेहूं की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है। पंजाब और हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद में पिछले वर्ष की तुलना में मामूली वृद्धि की उम्मीद है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने इस वर्ष 313 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है और मंत्रालय को इस लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। गेहूं की घरेलू पैदावार और खरीद की संभावित स्थिति को देखते हुए, विदेशों से इसके आयात की संभावना अब लगभग समाप्त हो गई है। इसके विपरीत, देश से गेहूं के निर्यात की अनुमति देने की मांग जोर पकड़ सकती है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस संबंध में कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेना चाहेगी। आई ग्रेन इंडिया का मानना है कि केंद्रीय पूल में गेहूं के स्टॉक को आरामदायक स्तर तक पहुंचाने के लिए कम से कम दो लगातार फसल सत्रों में देश में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का उत्कृष्ट उत्पादन होना आवश्यक है। वर्तमान में, गेहूं के आयात पर लगे 40 प्रतिशत सीमा शुल्क को हटाने या देश से गेहूं के व्यापारिक निर्यात की अनुमति देने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
गेहूं की कैसी है डिमांड और सप्लई
देश के लगभग सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र में रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की कटाई की तैयारी शुरू हो गई है, और अप्रैल-मई के महीनों में इसकी गति तेज हो जाएगी। नए फसल की आवक शुरू होने से थोक मंडियों और सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की आपूर्ति बढ़ रही है, जिसके कारण कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। भारत विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। 2024-25 के रबी सीजन में गेहूं के बुवाई क्षेत्र में लगभग 5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, और मौसम भी फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल रहा है। इसके परिणामस्वरूप, सरकार को गेहूं के घरेलू उत्पादन में भारी वृद्धि की उम्मीद है। पिछले तीन सीजन से गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित लक्ष्य से काफी कम रही है, जिससे सरकार को बाजार भाव में आने वाली तेजी को नियंत्रित करने में काफी कठिनाई हुई। इस बार परिदृश्य कुछ अलग हो सकता है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 2023-24 के वित्त वर्ष में सरकारी स्टॉक से लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचा गया था, जबकि 2024-25 में केवल 30 लाख टन की बिक्री हुई। इसके परिणामस्वरूप, इस बार केंद्रीय पूल में गेहूं का पिछला बकाया स्टॉक भी अपेक्षाकृत अधिक है।
क्या रह सकता है आगे गेहूं के बाजार में
गेहूं की घरेलू पैदावार और खरीद की संभावित स्थिति को देखते हुए, विदेशों से इसके आयात की संभावना कम हो गई है। दूसरी ओर, देश से गेहूं के निर्यात की अनुमति देने की मांग बढ़ सकती है, लेकिन सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय लेती हुई नहीं दिखती। केंद्रीय पूल में गेहूं के स्टॉक को आरामदायक स्तर तक पहुंचाने के लिए, देश में कम से कम दो लगातार सीजन तक इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का अच्छा उत्पादन होना आवश्यक है। वर्तमान में, गेहूं के आयात पर लगे 40 प्रतिशत सीमा शुल्क को हटाने या देश से गेहूं के व्यापारिक निर्यात की अनुमति देने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। अब यह सवाल उठता है कि क्या गेहूं का भाव ₹3000 तक पहुंच पाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस वर्ष गेहूं की उपलब्धता सुधरने वाली है, जिससे आपूर्ति बनी रहेगी, इसलिए पिछले वर्ष जैसी तेजी बननी मुश्किल है। हालांकि, एमएसपी में ₹150 तक की वृद्धि हुई है, जो थोड़ा समर्थन प्रदान करेगी। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि वर्ष 2025-26 में भले ही ₹3350 जैसे भाव न मिलें, लेकिन ₹3000 के भाव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।