फ़रवरी मार्च में सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे या नहीं | जाने सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों साल 2022 में जब सोयाबीन के भाव 7500 प्रति कुंतल चल रहे थे उसे समय सोयाबीन को पीले सोने की संज्ञा दी गई थी । किसानों ने सोयाबीन की खेती करके बढ़िया मुनाफा लिया था । लेकिन ‘पीले सोने’ के नाम से मशहूर सोयाबीन की खेती अब लगातार गिरती कीमतों के कारण किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है। पिछले तीन सालों से सोयाबीन के दामों में हो रही लगातार तेज़ गिरावट के चलते स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि किसानों को इसकी खेती से फायदा होने की बजाय नुकसान उठाना पड़ रहा है। खरीफ सीजन में सोयाबीन का कोई बेहतर और ठोस विकल्प न होने के कारण किसान मजबूरन इसकी खेती कर रहे हैं, लेकिन लाभ के बजाय नुकसान झेलना पड़ रहा है। विदेशों में सोयाबीन की मज़बूत फसल, भारत में आयातित खाद्य तेलों की उपलब्धता और खाद्य तेलों के पर्याप्त भंडार ने घरेलू बाज़ार में सोयाबीन के दामों को बढ़ने से रोक दिया है। रही सही कसर DOC के घटते निर्यात और कमजोर दामों ने पूरी कर दी है। जनवरी के महीने में दाम बढ़ने की जो हल्की-सी उम्मीद थी, वह भी हाल ही में सरकार के कुछ निर्णयों के बाद अब टूटने लगी है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
वायदा कारोबार पर प्रतिबंध का असर
बाजार के कुछ जानकार मान रहे हैं कि सोयाबीन की कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह वायदा कारोबार पर लगा प्रतिबंध है, जिसे पहले सट्टे के रूप में चलाया जा रहा था और इसी आधार पर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। यह प्रतिबंध अब 31 मार्च 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। पिछले तीन साल से वायदा कारोबार नहीं होने की वजह से सोयाबीन के दामों में सुधार की संभावनाएँ लगभग खत्म हो चुकी हैं। जानकारों का मानना है कि अगर वायदा कारोबार दोबारा शुरू हो जाता है, तो सोयाबीन की कीमतों में स्थायित्व या कुछ बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। हालाँकि, प्रतिबंधित माहौल में न तो प्लांट संचालक ऊँचे भाव पर खरीदी करने को तैयार हैं और न ही व्यापारी ज्यादा स्टॉक जुटाना चाहते हैं।
वर्तमान बाज़ार परिदृश्य
सोयाबीन की मौजूदा क़ीमतें लगातार नीचे जा रही हैं, जिससे किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं। ऊँचे दामों पर खरीद कर चुके प्लांट संचालकों को अब सीज़न की तुलना में प्रति क्विंटल 500 रुपये से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार ने सोयाबीन का समर्थन दाम 4892 रुपये प्रति क्विंटल रखा है, लेकिन बड़े पैमाने पर खऱीद ना होने के कारण सभी किसानों के लिए पर्याप्त राहत साबित नहीं हो पा रहा है। बड़े किसान भी दो साल पुराना सोयाबीन अब सीधे प्लांट को बेचने लगे हैं, क्योंकि भविष्य में क़ीमत बढ़ने की उम्मीद बेहद कम हो गई है। पिछले तीन सालों से किसानों को फ़सल रोकने (स्टॉक करने) पर कोई फ़ायदा नहीं मिला; उल्टे उन्हें और भारी नुकसान उठाना पड़ा है। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे |
सोयाबीन के ताजा भाव
कीर्ति प्लांट सोयाबीन रेट में सोलापुर भाव ₹4330 (मंदी 20), लातूर भाव ₹4310 (मंदी 20), नांदेड़ भाव ₹4330 (मंदी 20), हिंगोली भाव ₹4330 (मंदी 20) दर्ज हुए हैं, जोबट मंडी में सोयाबीन भाव ₹3800, छिंदवाड़ा मंडी में सोयाबीन भाव ₹4000/4330, अलीराजपुर मंडी में सोयाबीन भाव ₹3800, आष्टा मंडी में सोयाबीन भाव ₹4000/4250 है जहाँ आवक 3500 बोरी रही, सोयाबीन प्लांट रेट एमपी में संजय सोया धुलिया ₹4340, बैतूल आइल बैतूल ₹4360 और प्रकाश (मनीष) पीथमपुर पर सोयाबीन का रेट ₹4285 प्रति क्विंटल तक रहा। सोयाबीन के औसत भाव मध्य प्रदेश मंडियों में ₹4000/4250 और प्लांट रेट ₹4225/4300, महाराष्ट्र मंडियों में ₹4000/4250 और प्लांट रेट ₹4225/4325, राजस्थान मंडियों में ₹4000/4250 और प्लांट रेट ₹4200/4250 दर्ज किए गए हैं, ऑल इंडिया सोयाबीन आवक 2,75,000 बोरी रही जिसमें मध्य प्रदेश 1,25,000 बोरी, महाराष्ट्र 1,25,000 बोरी, राजस्थान 15,000 बोरी और अन्य 10,000 बोरी शामिल हैं।
भाव में सुधार की कितनी उम्मीद
सरकार द्वारा वायदा कारोबार पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद घरेलू बाजार में सोयाबीन के भाव बढ़ने की संभावनाएँ काफ़ी क्षीण हो गई हैं। जानकारों का कहना है कि फरवरी और मार्च के महीनों में क़ीमतों में कोई बड़ा उछाल नहीं देखा जाएगा। अगर अप्रैल तक भी वायदा कारोबार पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाया गया, तो भविष्य में भी दाम स्थिर होने या बढ़ने की उम्मीद कम ही रहेगी। कई विशेषज्ञों का मानना है कि वायदा कारोबार दोबारा शुरू होने से ही सोयाबीन की गिरती कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकता है, क्योंकि वायदा बाज़ार मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) की प्रक्रिया में सहायक साबित होता है और भावों में संतुलन लाने का काम करता है। विदेशी बाजारों से बड़ी सोयाबीन फसल होने की खबरें तो मिल रही हैं लेकिन फिर भी इंडोनेशिया की B40 और ट्रम्प की ब्लेंडिंग की नीतियां खाद्य तेलों के बाजार को सुधार सकती है।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।