रुक रुक कर गेहूं में जारी रह सकती है तेजी | गेहूं की तेजी मंदी का पूरा हिसाब किताब जाने रिपोर्ट में
किसान साथियो गेहूं के बाजार में काफी हलचल शुरू हो गई है। एक तरफ सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के भरसक प्रयास कर रही है वही दूसरी तरफ उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी स्टॉकिस्टों की लिवाली के चलते सीजन से लेकर अब तक गेहूं के भाव 250 से 300 रुपए प्रति क्विंटल तक उछल चुके हैं। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में भाव ऊंचे चल रहे हैं। गेहूं में आयी इस तेजी को रोकने के लिए सरकार ने एक अगस्त से गेहूं खुले बाजार में बेचने के प्लान की घोषणा कर दी है। जिसके बाद से गेहूं बाजार 50 से 60 रुपए कमजोर देखने को मिल रहा है जानकारों का मानना है कि फ़िलहाल कुछ दिनों के लिए गेहूं की तेजी पर ब्रेक लग सकता है।
किसानों ने पिछले साल गेहूं के भाव में आई भारी तेजी को देखकर इस साल गेहूं का रकबा बढ़ाया है तथा मौसम भी अनुकूल होने से गेहूं का अनुमानित उत्पादन 1121 लाख मीट्रिक टन बताया जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पिछले साल यह उत्पादन 1090 लाख मीट्रिक टन के करीब ही हो पाया था।
क्या है गेहूं में तेजी की वज़ह
दोस्तों अब सवाल यह उठता है कि उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी गेहूं के भाव में तेजी कैसे बन रही है। साथियो आप की जानकारी के लिए बता दे कि सीज़न की शुरुआती महीनों मार्च अप्रैल में गेहूं की आवक जैसे ही शुरू हुई वैसे ही बड़ी कंपनियों मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं खरीद करने की होड़ लग गई। गेहूं की यह जोशीली खरीद 15 मई तक जोरों सोरो से चली । अंजाम यह हुआ कि केंद्र सरकार अपने केंद्रीय पूल में गेहूं भंडारण हेतु मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद कम कर पाई। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश ने पंजाब के बराबर गेहूं 2 साल पहले केंद्रीय पूल के लिए दिया था। मध्य प्रदेश से 2275 से लेकर ऊपर में 2525 रुपए तक प्राइवेट सेक्टर में बड़ी कंपनियों द्वारा खरीद की गई। इससे गेहूं खरीद में कमी देखने को मिली देश में खरीद करीब 266 से 267 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच पाई।
हर साल गेहूं में आ रहा है 6 प्रतिशत का उछाल
भारतीय बाजार में गेहूं की कीमतों में हर साल लगभग 6% का उछाल आ रहा है। लगातार पांच साल की रिकॉर्ड कटाई के बाद, तापमान में एक दम से वृद्धि ने 2022 और 2023 में गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा दिया था जिससे गेहूं की कीमतें बढ़ गईं और दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देशो में से दूसरे नंबर पर आने वाला भारत देश को निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यहां तक कि इस साल भी उत्पादन सरकारी अनुमान 112 मिलियन मीट्रिक टन से 6.25% से कम है। सरकार के गोदामों में गेहूं का स्टॉक 1 जून को 299 लाख मीट्रिक टन तक रह गया जो की पिछले साल से 15 लाख मीट्रिक टन कम है पिछले साल का स्टॉक 314 लाख मीट्रिक टन था।
रुक रुक कर गेहूं में जारी रह सकती है तेजी
पिछले साल जुलाई के दूसरे हफ्ते में इसी समय गेहूं के भाव 2450/2460 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे थे, जो इस समय 2700/2720 रुपए चल रहा है और यह पिछले साल की तुलना में 250 रुपए तक तेज है। पिछले साल की तरह एक बार फिर से सरकार ने 1 अगस्त से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री 2300/2325 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में कैटिगरी के हिसाब से खुले बाजार में बेचने का ऐलान कर दिया है। इसी कारण से फ़िलहाल गेहूं के भाव 40 से 50 रुपए प्रति क्विंटल गिरकर 2645/2660रुपए के बीच रह गए हैं। जानकारों का मानना है कि गेहूं के भाव को देखते हुए आपूर्ति एक बार फिर घट सकती है, इसलिए मंदी पर तो विराम लग जाएगा, लेकिन बड़ी तेजी भी अब मुश्किल लग रही है, क्योंकि सरकार द्वारा ओएमएसएस द्वारा एक बार फिर माल बेचने की कोशिश हो सकती है। गेहूं में जहा एक तरफ बड़ी तेजी नहीं है वहीँ मंदी के आसार भी नहीं है। ओवर ऑल ट्रेंड रुक रुक कर तेजी आने का ही रहेगा। व्यापार अपने विवेक से करें
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।