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गल फ़ूड मेले से क्या है उम्मीद | क्या यह बढ़ा सकता है बासमती का रेट | जाने रिपोर्ट में

गल फ़ूड मेले से क्या है उम्मीद | क्या यह बढ़ा सकता है बासमती का रेट | जाने रिपोर्ट में
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किसान साथियो भारत देश से हर साल लगभग 45 लाख  टन बासमती चावल का निर्यात होता है, हालांकि कोरोना काल के दौरान इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन उसके बाद साल 2022 और 2023 के दौरान बढ़े निर्यात ने फिर से निर्यातकों के हौंसले बुलंद किए हैं। जैसा कि आप सबको पता है कि पिछले कुछ दिनों से चल रहे लाल सागर रूट के संघर्ष ने इस साल बासमती के बाजार को काफी नुकसान पहुंचाया है। एक तरफ जहां बासमती के जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ रहा है वहीँ दूसरी तरफ समय भी ज्यादा लग रहा है। जहाजों के किराये महंगे हो गए हैं। जहाजों का बीमा महंगा हो गया है और पेट्रोलियम के दाम भी बढ़ गए हैं। इन असर यह देखने को मिल रहा है कि निर्यातकों ने कुछ दिन के लिए माल को होल्ड कर लिया है। यही कारण है कि बासमती धान का भाव 500 रुपये प्रति क्विंटल तक टूट चुका है।

गल फ़ूड मेले से क्या है उम्मीद
किसान साथियो इस निराशा के दौर में बासमती के बाजार के लिए अच्छी खबर यह है कि 19 से 23 फ़रवरी के बीच दुबई में हर साल की तरह इस बार भी गल फ़ूड मेले का आयोजन किया जा रहा है। आमतौर पर इस मेले में भारतीय बासमती के निर्यातकों को अच्छे ऑर्डर मिलते हैं। चूंकि अभी तक लाल सागर रूट के विवाद के कारण निर्यात बाधित चल रहा है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस साल बाकी सालों के मुकाबले ज्यादा ऑर्डर मिल सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो बासमती का बाजार एक बार फिर से गति पकड़ सकता है।


पिछली बार कितने मिले थे ऑर्डर
किसान साथियो अगर साल 2023 के मेले की बात करें तो अकेले हरियाणा की सरकारी एजेन्सी हाफैड को 85000 टन बासमती निर्यात का ऑर्डर मिला था। बात 2022 के मेले की करें तो इसमें भी 1 लाख टन से ज्यादा के निर्यात ऑर्डर प्राप्त हुए थे। इस भी बार दुबई के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में लगने वाले गल्फ फूड मेले से भारत के चावल निर्यातकों को बड़ी उम्मीद जगी है। 19 से 23 फरवरी तक चलने इस मेले में इस बार एक लाख टन से अधिक के सौदे होने की संभावना हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय चावल विशेषकर बासमती को गल्फ देशों में काफी पसंद किया जाता है। पिछले सालों की स्थिति देखें तो देश से कुल चावल का निर्यात करीब 4.5 मिलियन टन रहा है। इसमें हर साल लगने वाले गल्फ फूड मेले की भी खास भूमिका होती है। यही कारण है कि इस बार गल्फ मेले में भारत के करीब 150 चावल निर्यातकों ने न सिर्फ भाग लेते हैं , बल्कि निर्यातक अपनी स्टाल भी लगाते हैं । आमतौर पर हरियाणा के करनाल जिले के तरावड़ी के चावल निर्यातकों की संख्या अच्छी खासी रहती है। निर्यातकों के द्वारा स्टालों पर बासमती बिरयानी का स्वाद विदेशी मेहमानों को चखाया जाता है।  विदेशों में तरावड़ी वाली बासमती की विशेष मांग रहती है। मेेले में ईरान, ईराक, सऊदिया, यमन, कतर, बहरीन, साउथ अफ्रीका आदि करीब 50 देशों के खरीदार हिस्सा लेते हैं।

कीटनाशकों के प्रयोग से चावल निर्यात हो सकता है प्रभावित
किसान साथियो बासमती चावल का निर्यात यूरोपीय देशों में भी करीब 3-4 लाख टन होता है। लेकिन वहां के लोग कीटनाशकों के प्रयोग को लेकर काफी सेंसिटिव हैं। जिसके चलते व्यापार कई बार प्रभावित हो जाता है। चावल निर्यातकों ने बताया कि इस निर्यात को दोबारा पटरी पर लाने और यूरोपीय देशों में भारतीय चावल की साख को दोबारा स्थापित करने के लिए किसानों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है। उनसे जहरीले कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों का प्रयोग कम करने को कहा जा रहा है। चावल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पादित करने की जरूरत है ।

लाल सागर रूट पर क्या है अपडेट

इस समय तक इजराइल और हमास के बीच युद्ध विराम को लेकर बातें तो चल रही हैं लेकिन अभी तक बात बन नहीं पायी है। साथियो हूती विद्रोहियों के हमले विश्र्व व्यापार के लिए खतरा बने हुए हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं है। ज्यादातर बड़ी जहाज़ी कंपनियों ने लाल सागर के रूट को स्थगित कर रखा है।  नवंबर महीने से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। लाल सागर में हो रहे विद्रोहियों के हमलों के कारण समुद्री मार्ग से माल ढुलाई की दरें 6 गुना तक महंगाई बढ़ गई हैं, जिससे विश्व व्यापार को खतरा बना हुआ है। हालांकि अलग अलग स्तरों पर इसे रोकने के लिए मीटिंग चल रही हैं। उम्मीद लगायी जा रही है कि जल्दी ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।

बासमती के किसान रोके या बेचे
किसान साथियों गल फूड मेले में भारतीय बासमती के निर्यातकों को निर्यात ऑर्डर मिले या ना मिले लेकिन जब तक यह मेला संपन्न नहीं होता तब तक ऑर्डर मिलने की उम्मीद बनी रहेगी। कहने का मतलब यह है कि जब तक ऑर्डर मिलने की उम्मीद बनी हुई है तब तक बासमती के बाजार मजबूत रह सकते हैं बशर्ते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा बदलाव ना हो। ऐसे में बासमती के किसान चाहें तो माल को निकालने की पोजीशन में रख सकते हैं। जब तक बाजार उपर की तरफ जा रहा है तक तक रुके रहें और मंदी दिखते ही माल निकालने के बारे में सोच सकते हैं। इस समय 1121 धान के भाव 4650 तक फिर से आ चुके हैं और ये भाव खराब भाव नहीं है। जिन साथियो को माल निकालना है वे 4700-4800 के बीच निकाल सकते हैं। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।