सोयाबीन के बाजार का बदल सकता है गणित | जानिए क्या कहते हैं बाजार के जानकार
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, सोया डीओसी सोयाबीन के बाजार की चाल को तय करने वाला अहम कारक है, लेकिन इस समय इसकी मांग कमजोर बनी हुई है। दूसरी ओर, सोया तेल की खरीदी में भी ग्राहकों की रुचि घट गई है। बाजार में इस वक्त स्टॉक की कोई कमी नहीं है। किसानों और व्यापारियों के पास पर्याप्त माल उपलब्ध है, जिससे आपूर्ति का दबाव बना हुआ है। भारत के बड़े उत्पादक राज्यों में रबी फसलों की कटाई तेजी से हो रही है, और किसान अब सोयाबीन के बजाय गेहूं, चना, सरसों जैसी दूसरी रबी फसलों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। सोयाबीन की मांग घटने और रुचि कम होने के चलते बीते हफ्ते इसकी कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। सोयाबीन की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे |
सोया मील की मांग में आई गिरावट
साथियो, फिलहाल सोया मील की मांग में गिरावट देखी जा रही है, खासकर पोल्ट्री फीड में डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स सॉल्यूबल्स) के बढ़ते उपयोग के कारण। इसकी वजह से स्थानीय बाजार में सोया मील की बिक्री प्रभावित हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने घरेलू खपत के अनुमान में 3 लाख टन की कटौती कर दी है। पहले यह 66 लाख टन थी, जो अब घटकर 63 लाख टन रह गई है। इसके साथ ही, सोपा ने इस विपणन वर्ष के लिए सोयाबीन की कुल पेराई के अनुमान को भी 5 लाख टन घटाकर 110 लाख टन कर दिया है। विदेशी बाजारों में भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों से सोया मील की मांग घटने से भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है। फरवरी 2025 में सोया मील का निर्यात 35% घटकर 1.54 लाख टन रह गया, जबकि जनवरी में यह 2.78 लाख टन था। अगर पूरे सीजन की बात करें तो अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत से कुल 9.50 लाख टन सोया मील का निर्यात हुआ, जो पिछले साल इसी अवधि में 11.71 लाख टन था। यह साफ दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी आई है। इस बीच, मध्य प्रदेश अभी भी देश में सोयाबीन उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है, लेकिन घटती मांग और कमजोर निर्यात से उद्योग को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
वैश्विक सोयाबीन स्टॉक पहुंचा नई ऊंचाई पर
सोयाबीन व्यापार से जुड़े हर व्यापारी को इसकी मौजूदा स्थिति का अंदाजा है। दुनियाभर में सोयाबीन का स्टॉक भरा हुआ है और साल के अंत तक यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि इसकी आपूर्ति पहले की अपेक्षा कम होगी। यू.एस. कृषि विभाग (यूएसडीए) ने 2024-25 के लिए वैश्विक सोयाबीन के अंतिम स्टॉक का अनुमान पिछले महीने के 124.3 मिलियन मीट्रिक टन से घटाकर 121.4 मिलियन मीट्रिक टन कर दिया है। चीन और अर्जेंटीना में
मजबूत मांग के चलते इस महीने आपूर्ति में कटौती हुई है। हालांकि, साल भर के हिसाब से देखा जाए तो सोयाबीन का स्टॉक अभी भी लगभग 8% ज्यादा रहेगा। मंगलवार को शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) पर सबसे ज्यादा कारोबार वाला सोयाबीन कॉन्ट्रैक्ट $10.11-1/4 प्रति बुशल पर बंद हुआ, जो एक साल पहले की तुलना में लगभग 15% कम है। उस समय, यूएसडीए ने 2023-24 के वैश्विक सोयाबीन स्टॉक-टू-यूज अनुपात को 20.57% पर रखा था। अक्टूबर में, यूएसडीए ने 2024-25 के लिए वैश्विक सोयाबीन स्टॉक में 20% साल-दर-साल वृद्धि का अनुमान लगाया था। यह वृद्धि सितंबर में समाप्त होने वाले सत्र के लिए बताई गई थी।
सोपा ने सरकार से की विनती
सोपा (SOPA) ने वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर भारत के जैविक सोयाबीन खली पर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क को लेकर चिंता जताई है। अमेरिका ने इस पर 283.91% प्रतिपूरक शुल्क लगा दिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता अमेरिकी बाजार में काफी कमजोर हो गई है। सोपा ने सरकार से अपील की है कि भारत-अमेरिका के बढ़ते व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ भारतीय सोयाबीन उद्योग के हितों की भी रक्षा की जाए। उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि सोयाबीन उत्पादों पर मौजूदा आयात शुल्क को बरकरार रखा जाए और अमेरिका से रियायती शुल्क पर सोयाबीन के आयात की अनुमति न दी जाए। इसके अलावा, संगठन ने दोनों देशों के बीच सोया प्रोटीन आइसोलेट्स और कंसंट्रेट जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों पर रियायती शुल्क व्यवस्था तलाशने की भी मांग की है ताकि भारतीय उत्पादकों को बेहतर अवसर मिल सकें। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
ब्राजील में सोयाबीन का बंपर उत्पादन का अनुमान
ब्राजील में इस बार सोयाबीन की रिकॉर्ड तोड़ फसल हो रही है, जिससे जबरदस्त उत्पादन की उम्मीद है। दूसरी तरफ, बड़े सट्टेबाजों ने साल की शुरुआत में सोयाबीन में तेजी दिखाई, लेकिन इस महीने फिर से मंदी की ओर मुड़ गए। पिछले महीने यूएसडीए ने एक रिपोर्ट में बताया कि 2025 में कम रोपाई के चलते 2026 तक अमेरिकी सोयाबीन की आपूर्ति घट सकती है।
लेटेस्ट मार्केट अपडेट
इस सप्ताह कीर्ति प्लांट में सोयाबीन का भाव 30 से 70 रूपये डाउन देखने को मिला है इस सप्ताह 10 मार्च को लातूर प्लांट में 4310 का भाव कुल था और कल भाव 4250 पर बंद हुआ है बाकि मंडियों की बात करे तो पिछले एक सप्ताह में हरदा मंडी में सोयाबीन (लूज़) के भाव में 50 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद इसका भाव 3900 से 4100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। वहीं, नीमच लाइन प्लांट में भी सोयाबीन की कीमत घटकर 4175 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई है। मंडी में सोयाबीन की दैनिक आवक 3000 से 4000 बोरी के बीच बनी हुई है।
आगे क्या रह सकता है सोयाबीन का भाव
इस सप्ताह मंडी में सोयाबीन के भाव में 25 से 50 रुपये तक की गिरावट देखने को मिली है और पिछले सप्ताह की बात करें तो पिछले सप्ताह भी भाव में 25 से 50 रुपये तक की गिरावट आई थी। तो कुल मिलाकर 2 सप्ताह में बाजार 75 से 100 रुपये तक डाउन देखने को मिला है। बात करें कि यह गिरावट क्यों आ रही है, तो बाजार में पहले से ही स्टॉक काफी ज्यादा है, लेकिन डिमांड कमजोर बनी हुई है जिससे भाव डाउन होते जा रहे हैं। ऐसे में व्यापारियों का मानना है कि कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। सोयाबीन की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे |हालांकि, चूंकि भाव पहले ही काफी निचले स्तर पर आ चुके हैं, इसलिए इसमें बहुत ज्यादा गिरावट की संभावना कम ही नजर आ रही है। कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन के भाव 4100 के नीचे जाने की सम्भावना बहुत कम है बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।