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खाद्य तेल बाजार आउटलुक | 27 मई की रिपोर्ट में जाने

 खाद्य तेल बाजार आउटलुक | 27 मई की रिपोर्ट में जाने
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दोस्तों, पिछले कुछ दिनों से इंटरनेशनल ऑयल मार्केट में मलेशियाई पाम तेल को लेकर जो हलचल बनी हुई थी, उसका असर अब वायदा बाजार पर भी दिखाई देने लगा है। खासतौर पर बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर जिस तरह से पाम तेल की कीमतों ने थोड़ी तेजी दिखाई है, उससे संकेत मिला है कि बाजार अब धीरे-धीरे नई दिशा पकड़ सकता है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि यह सुधार फिलहाल मामूली है। यानी इसमें कोई ज़बरदस्त उछाल नहीं आया, बल्कि एक सीमित दायरे में ही कीमतें ऊपर गईं। इसका मुख्य कारण यह है कि भले ही वायदा कीमतों में सुधार दिखा हो, लेकिन पृष्ठभूमि में प्रोडक्शन (उत्पादन) में संभावित बढ़ोतरी की जो उम्मीद है, उसने बाजार को पूरी तरह से तेज़ नहीं होने दिया। आज की इस रिपोर्ट में हम उन्हीं बिंदुओं को विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे, जो वर्तमान में मलेशियाई पाम तेल बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए आप इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ें, ताकि आपको बाजार की असली तस्वीर समझ में आ सके।

बुर्सा मलेशिया में 0.18% की हल्की बढ़त

बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर अगस्त डिलीवरी वाले बेंचमार्क पाम तेल वायदा में 7 रिंगिट यानी लगभग 0.18% की बढ़त दर्ज की गई, जिसके बाद इसका भाव 3827 रिंगिट प्रति टन (करीब 905.16 डॉलर) पर बंद हुआ। ये आंकड़े सुनने में भले ही छोटे लगें, लेकिन इसका बाजार के मूड पर असर काफी व्यापक होता है। साप्ताहिक आधार पर भी यही 0.18% की बढ़त देखने को मिली, लेकिन यह सुधार कुछ ही घंटों का था। दिन की शुरुआत में जो तेजी दिखाई दी थी, वो दिन के अंत तक आकर लगभग निष्प्रभावी (ineffective) हो गई। इसकी वजह थी मलेशियन पाम ऑयल एसोसिएशन (MPOA) द्वारा जारी किए गए आंकड़े, जिसमें बताया गया कि मई महीने में प्रोडक्शन में 3.51% की वृद्धि हुई है। यह खबर आते ही ट्रेडर्स ने बाजार की दिशा को दोबारा से सोचने पर मजबूर कर दिया। क्योंकि जब किसी कमोडिटी की सप्लाई बढ़ने की उम्मीद होती है, तो यह संकेत देता है कि बाजार में उस चीज़ की उपलब्धता ज्यादा होगी। और जब कोई चीज ज्यादा मिलती है, तो उसके दाम टिकते नहीं हैं। यही कारण है कि निवेशक और ट्रेडर्स, जो सुबह तक तेजी में थे, वे दोपहर तक आते-आते सावधानी की मुद्रा में आ गए और बाजार ने अपनी चाल थोड़ी धीमी कर ली।

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शिकागो के तेल वायदा की प्रक्रिया

जब हम किसी एक खाद्य तेल का रुख समझते हैं, तो हमें साथ ही यह भी देखना होता है कि प्रतिद्वंद्वी तेलों (competing oils) का प्रदर्शन कैसा रहा। मलेशियाई पाम तेल की चाल काफी हद तक चीन और अमेरिका के बाजारों में हो रहे बदलावों पर भी निर्भर करती है। इस हफ्ते डालियान कमोडिटी एक्सचेंज पर सोया तेल वायदा में 0.18% की तेजी दर्ज की गई, लेकिन उसी प्लेटफॉर्म पर पाम तेल वायदा में 0.32% की गिरावट देखी गई। अब बात करें शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) की, तो वहां सोया तेल वायदा ने काफी अच्छी तेजी पकड़ी और इसमें 1.16% की वृद्धि दर्ज की गई। इस तेजी का असर मलेशियाई बाजार पर भी आंशिक रूप से पड़ा, क्योंकि जब प्रतिस्पर्धी तेलों में बढ़त होती है तो पाम तेल भी उसी दिशा में थोड़ा बहुत झुकाव दिखाता है। हालांकि यह झुकाव हमेशा एक जैसा नहीं होता, क्योंकि इन तेलों की उत्पत्ति (origin), मांग (demand) और उपयोग (usage) में काफी फर्क होता है। लेकिन फिर भी, इंटरनेशनल मार्केट में इनकी तुलना हमेशा की जाती है और कई बार एक की चाल दूसरे को प्रभावित कर देती है। यही कारण है कि मलेशियाई पाम तेल की हर हलचल को देखने के लिए निवेशक शिकागो और डालियान की चाल को भी गौर से देखते हैं।

क्रूड ऑयल की कमजोरी का असर

क्रूड ऑयल मार्केट का पाम तेल पर जो इनडायरेक्ट असर (indirect impact) होता है, उसे भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ख़ासकर जब बात आती है बायोडीजल की, जहां पाम तेल का उपयोग एक प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है। अगर कच्चे तेल के दाम नीचे आते हैं, तो बायोडीजल बनाना महंगा हो जाता है, और उस स्थिति में पाम तेल की मांग भी घट जाती है। इस हफ़्ते, क्रूड ऑयल में तीन हफ़्तों के बाद पहली बार गिरावट दर्ज की गई। इसकी बड़ी वजह थी जुलाई महीने में OPEC+ द्वारा संभावित उत्पादन बढ़ोतरी की अटकलें। यह ख़बर जैसे ही फैली, क्रूड की क़ीमतों में एकदम से दबाव बन गया और नतीज़न, पाम तेल वायदा पर भी इसका प्रभाव पड़ा। इसका असर इतना सीधा था कि कई बायोडीजल निर्माता अब यह सोचने लगे कि क्या उन्हें पाम तेल के बजाय किसी सस्ते विकल्प की ओर रुख़ करना चाहिए। और यही बात ट्रेडर्स को भी सतर्क करती है, क्योंकि जब मांग कमज़ोर होती है, तो क़ीमतें टिक नहीं पातीं। यही कारण है कि मलेशियाई बाज़ार में आई शुरुआती तेजी ज़्यादा देर टिक नहीं पाई।

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रिंगिट में मज़बूती ने बढ़ाई क़ीमतें

अब बात करते हैं मुद्रा विनिमय दर (currency exchange rate) की, जिसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पड़ता है। इस हफ़्ते मलेशियन रिंगिट ने अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 0.98% की मज़बूती दर्ज की। पहली नज़र में यह एक अच्छी ख़बर लग सकती है, लेकिन जब बात आती है एक्सपोर्ट मार्केट (निर्यात बाज़ार) की, तो मज़बूत रिंगिट दरअसल एक चुनौती बन जाती है। क्योंकि जब स्थानीय मुद्रा मज़बूत होती है, तो विदेशी खरीदारों के लिए वही माल महंगा पड़ने लगता है। उदाहरण के लिए, जो व्यापारी यूरोप या मिडल ईस्ट में बैठकर पाम तेल ख़रीदने की योजना बना रहे थे, उन्हें अब उसी माल के लिए ज़्यादा डॉलर ख़र्च करने पड़ रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि विदेशी डिमांड में सुस्ती आने लगी, जिससे क़ीमतों को और मज़बूती नहीं मिल सकी। यही कारण है कि इस हफ़्ते के दौरान भले ही वायदा में थोड़ी बहुत तेजी दिखाई दी, लेकिन बाज़ार की समग्र तस्वीर अभी भी सावधानी से भरी है। जब तक प्रोडक्शन का दबाव बना रहेगा और क्रूड तथा मुद्रा स्तर पर यह असंतुलन रहेगा, तब तक पाम तेल बाज़ार में बड़ी तेजी की उम्मीद करना थोड़ा जल्दबाज़ी हो सकता है।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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