सरसों को अभी बेचने में फायदा है या नहीं | जानिए इस रिपोर्ट में
किसान साथियों, इस हफ्ते सरसों के बाजार में काफी हलचल देखने को मिली। 24 मई से 30 मई 2025 के बीच सरसों के दामों में 100 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5950 रुपये से ऊपर पहुंच गया। इसकी वजह से सरकारी खरीद केंद्रों पर सरसों की आवक कम हो गई है। साथ ही, सरसों तेल और खली (रेपसीड मील) की मांग भी बढ़ी है, जिससे बाजार में और तेजी आई। हालांकि सरकारी अड़ंगे के कारण अब स्थिति बदल गई है लेकिन पूरी स्थिति का विशलेषण करके आगे की दिशा को समझा जा सकता है। दोस्तों, सबसे पहले तो आपको बता दें कि सरसों का जो बाजार तेज हुआ है, उसमें सबसे बड़ा हाथ सरसों की कमजोर आवक का है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल के मुकाबले सरसों का उत्पादन कमजोर है और सरसों की आवक लगभग 1 लाख बोरी तक प्रतिदिन कम चल रही है। दूसरी बड़ी बात यह है कि सरसों का पुराना स्टॉक अवेलेबल नहीं है, जिसके कारण अगर मंडियों में आवक कम रहती है तो प्लांट को जरूरत के हिसाब से सरसों नहीं मिल पाती, जिसके कारण भाव बढ़ रहे हैं। इसके अलावा अन्य कोई बड़ा कारण नहीं है जो बाजार को तेजी की तरफ धकेल रहा हो। विदेशी बाजारों से लेकर घरेलू बाजार में अन्य तेलों में कोई बड़ी तेजी नजर नहीं आ रही है। मंडी मार्केट मीडिया कल आगाह कर चुका था कि ऊपरी स्तरों पर सरसों की आवक भी बढ़ सकती है और मुनाफा वसूली भी आ सकती है। हमारी रिपोर्ट बिल्कुल सटीक साबित हुई और शाम को सरसों के बाजार में कमजोरी बनी। सरसों की आवक भी 5 लाख बोरी के ऊपर पहुंच गई। हमने यह भी कहा था कि अन्य तेलों में तेजी ना होने के कारण बाजार ठहर सकता है। लेकिन, इसी दौरान सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 11% तक कम कर दिया, जिसका असर बाजार पर पड़ा। साथ ही, हाफेड (HAFED) ने खुले बाजार में सरसों बेचने की घोषणा कर दी, जिससे बाजार में गिरावट का रुख देखने को मिला।
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सरसों की कीमतों में तेजी
दोस्तों, 24 से 30 मई 2025 के सप्ताह में सरसों की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। दिल्ली और जयपुर में 42% कंडीशन वाली सरसों की कीमतें क्रमशः 6575 रूपए और 6700/6765 रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं। अन्य मंडियों में भी कीमतों में 100 से 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। साथियो पिछले साल के मुकाबले इस बार सरसों का उत्पादन कम हुआ है, जिससे मंडियों में आवक प्रतिदिन 1 लाख बोरी तक कम हो रही है। इस दौरान मिलों द्वारा सरसों की खरीदारी अधिक की गई। तेल मिलों और व्यापारियों द्वारा बढ़ी हुई खरीदारी ने मांग को बढ़ाया। पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक भी अब खत्म हो रहा है, जिससे मांग बढ़ी है। सरसों तेल के दाम बढ़ने से किसान और व्यापारी ज्यादा दाम देने को तैयार हैं, जिसका असर सरसों की कीमतों पर दिखाई दिया। इसके अलावा सरकारी खरीद में भी कमी देखी गई, क्योंकि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5950 रूपए प्रति क्विंटल से ऊपर होने के कारण किसान सरकारी खरीद केंद्रों की बजाय खुले बाजार में बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सरसों तेल और खल की बाजार स्थिति
साथियों, सरसों की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ, सरसों तेल और सरसों खल (रेपसीड एक्सट्रैक्शन) की मांग और कीमतों में भी इस सप्ताह वृद्धि देखी गई। जिसके चलते आगरा में कच्ची घानी सरसों तेल की कीमत 1450 रूपए प्रति 10 किलो तक पहुंच गई, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 60 रूपए की वृद्धि है। साथ ही चीन जैसे देशों से बढ़ती मांग के कारण, सरसों खल की कीमतों में भी सुधार देखा गया।
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विभिन्न राज्यों में सरसों की कीमतें
दोस्तों, अगर इस सप्ताह सरसों के भाव की बात करें तो राजस्थान की बीकानेर मंडी में 5700-6290 रूपए प्रति क्विंटल, कोटा में 5900-6370 रूपए प्रति क्विंटल, उत्तर प्रदेश के कोटा में 6650 प्रति क्विंटल (स्थिर), आगरा में 7050-7300 रूपए प्रति क्विंटल के बीच रहे। वहीं मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी पिछले सप्ताह की तुलना में सरसों के दामों में 100 से 300 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई।
आज की मौजूदा स्थिति
साथियों, सरसों का बाजार अपने सीजन के टॉप भाव देख ही रहा था कि एक-एक दो दिनों में दो सरकारी आदेश ऐसे आए कि बाजार की दिशा ही बदल गई। सरसों बाजार में न सिर्फ तेजी पर ब्रेक लगा बल्कि 200 रूपए की गिरावट अचानक से आ गई। एक तरफ तो सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 11% तक घटा दिया, जिसके कारण विदेशी तेलों का आयात सस्ता हो गया। ऊपर से हाफेड ने खुले बाजार में सरसों बिकवाली की घोषणा कर दी। दोनों ही खबरों का नकारात्मक असर होना ही था। इसकी संभावना पिछली रिपोर्ट में हमने दे दी थी।
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आगे कैसा होगा बाजार
दोस्तों इस सप्ताह हमने देखा कि सरसों का बाजार 100 से 300 रूपए प्रति क्विंटल तक तेज रहा। लेकिन पिछले एक-दो दिन से सरकारी एक्शन के चलते बाजार ठहराव की बजाय गिरावट की तरफ चल पड़ा।अब यहां से आगे देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किस मूल्य पर सरसों बेचती है। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि सरसों में बड़ी गिरावट नहीं होगी। कल शाम को भरतपुर में सरसों बाजार 6200 तक घट गया था लेकिन फिर से ₹80 की तेजी बाजार के बंद होने से पहले बन गई। सलोनी प्लांट में भी सरसों के भाव शाम को ₹50 बढ़ाए गए और अंतिम भाव 7250 पर बंद हुआ। साथियों, हमारा मानना है कि धीरे-धीरे आयात शुल्क घटने की खबर को बाजार हजम कर लेगा और उसके बाद बाजार के रुक-रुक कर आगे बढ़ने की उम्मीद है। गर्मी का मौसम जैसे-जैसे खत्म होगा वैसे-वैसे खाद्य तेलों की डिमांड निकलनी शुरू हो जाएगी। अगर हाल-फिलहाल में छोटी-मोटी गिरावट होती है तो उससे डरने की जरूरत नहीं दिखती। लेकिन जिन साथियों को धन की शीघ्र ही आवश्यकता पड़ने वाली है, वे इस समय थोड़ा बहुत माल निकाल सकते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें। मंडी मार्केट मीडिया के लिए लवकेश कौशिक की रिपोर्ट।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।