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गोभी की खेती से लाखों कमाने हैं तो यहां जाने गोभी की उन्नत खेती का तरीका

गोभी की खेती से लाखों कमाने हैं तो यहां जाने गोभी की उन्नत खेती का तरीका
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किसान भाइयों, फूलगोभी (Cauliflower) भारत में सर्दियों के मौसम की एक प्रमुख सब्जी है, जो अपनी पोषणीय और व्यावसायिक विशेषताओं के कारण किसानों के लिए बेहद लाभदायक मानी जाती है। यह सब्जी न केवल स्वाद और गुणवत्ता में उत्कृष्ट है, बल्कि इसका उत्पादन और बाजार मांग भी पूरे वर्ष स्थिर बनी रहती है। सही तकनीकों और प्रबंधन के माध्यम से फूलगोभी की खेती से किसान कम लागत में उच्च पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने में सहायक है। फूलगोभी मुख्य रूप से ठंडे मौसम में उगाई जाती है, क्योंकि यह वातावरण इसके विकास और गुणवत्ता के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इसमें पोषण तत्व जैसे विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसके अलावा, किसानों के लिए यह फसल लागत और लाभ के संतुलन के कारण एक उत्कृष्ट विकल्प है। इस रिपोर्ट में, हम फूलगोभी की खेती के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन चर्चा करेंगे। इसमें नर्सरी तैयार करने, पौधारोपण, खाद प्रबंधन, रोग और कीट नियंत्रण, उत्पादन, और बाजार में इसकी मांग से संबंधित सभी बिंदुओं को विस्तार से समझाया गया है। यदि आप भी ठंड के मौसम में फूलगोभी की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है। फूलगोभी की खेती के बारे में विस्तार से जानने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

नर्सरी तैयार करने का सही समय

किसान भाइयों, फूलगोभी की खेती में सफलता की शुरुआत नर्सरी तैयार करने से होती है। ठंड के मौसम में इसकी नर्सरी तैयार करने का सबसे उचित समय सितंबर से दिसंबर तक होता है। इस दौरान तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो बीज अंकुरण और पौधों की शुरुआती वृद्धि के लिए आदर्श है। हल्की, भुरभुरी और जल निकासी युक्त मिट्टी नर्सरी के लिए सर्वोत्तम होती है। नर्सरी तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले कुछ किस्म के बीजों का चुनाव करना होता है। इसके लिए आप कुछ फूलगोभी की उन्नत किस्में जैसे क्लॉस माधुरी, साका ट्विस्टर, या सेमिनस गिरिजा का चयन कर सकते हैं। नर्सरी में प्रो ट्रे का उपयोग करें, क्योंकि यह पौधों की गुणवत्ता और उत्पादन को बेहतर बनाता है। बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई करें और नर्सरी को धूप और ठंड से बचाने के लिए शेड नेट का उपयोग करें। स्वस्थ और विकसित पौधों के लिए नियमित रूप से सिंचाई करें और कीट और बीमारियों से बचाव के लिए जैविक फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। मिट्टी में संतुलित खाद मिलाकर पौधों को पोषण दें।

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

किसान भाइयों, फूलगोभी की खेती के लिए सभी प्रकार की अच्छे जल निकास वाली भूमि उपयुक्त होती है। परंतु हल्की एवं दोमट मिट्टी, जिसका जल निकास अच्छा हो, इसके अतिरिक्त भूमि भी अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए, जिसमें जलभराव की समस्या न हो। साथ ही, उत्तम जीवाश्म वाली मिट्टी हो, जिसका पीएच मान 5.5 से 6.8 के मध्य होना चाहिए।

पौधारोपण

किसान भाइयों, फूलगोभी की खेती के लिए नर्सरी से खेत में पौधे लगाने का सही समय बीज अंकुरण के 25-30 दिनों बाद होता है। इसके लिए आप खेत को अच्छी तरह से तीन-चार बार जुताई करें। ट्रांसप्लांटिंग करते समय पौधों की जड़ों को क्षति से बचाना चाहिए। पौधारोपण करते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। आप रोपाई करते वक्त पौधों के बीच 1.25 फीट और पंक्तियों के बीच 1.5 फीट की दूरी रखें। पौधे रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

किसान साथियों, फूलगोभी की फसल में खाद और उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना जरूरी है। सही पोषण से पौधे स्वस्थ रहते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है। ट्रांसप्लांटिंग से पहले खेत में 2-3 ट्राली जैविक खाद डालें। उसके बाद आप ट्रांसप्लांटिंग के 15-20 दिन बाद 50 किलोग्राम डीएपी, 25 किलोग्राम यूरिया, और 15 किलो पोटाश प्रति एकड़ डालें।
पौधों के पोषण के लिए जिंक और सल्फर जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का भी उपयोग करें। जिंक की कमी को दूर करने के लिए, प्रति एकड़ में 6 किलो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) का छिड़काव किया जा सकता है। या फिर जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) की मात्रा का 10 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया के साथ मिलाकर पहली सिंचाई के दौरान भी डाला जा सकता है। जिंक की कमी से पौधों की वृद्धि कम होती है और तने और पत्तियों का विकास रुक जाता है।

कीट और रोग नियंत्रण
किसान भाइयों, फूलगोभी में मुख्य रूप से लाही, गोभी मक्खी, हीरक पृष्ठ कीट, तंबाकू की सूड़ी आदि कीड़ों का प्रकोप होता है। लाही कोमल पत्तियों का रस चूसती है। खासकर जाड़े के समय कुहासा या बदली लगी रहे तो इसका आक्रमण अधिक होता है। गोभी मक्खी पत्तियों में छेद कर अधिक मात्रा में खा जाती है। हीरक पृष्ठ कीट की सूड़ी पत्तियों की निचली सतह पर खाते हैं और छोटे-छोटे छिद्र बना लेते हैं।
जब इसका प्रकोप अधिक मात्रा में होता है तो छोटे पौधों की पत्तियां बिल्कुल समाप्त हो जाती हैं, जिससे पौधे मर जाते हैं। तंबाकू की सूड़ी के व्यस्क मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर झुंड में अंडे देती हैं। 4-5 दिनों के बाद अंडों से सूड़ी निकलती है और पत्तियों को खा जाती है।उपरोक्त सभी कीड़ों का जैसे ही आक्रमण शुरू हो तो इंडोसल्फान, नुवाक्रान, रोगर, थायोडान किसी भी कीटनाशी दवा का 1.5 मिली. पानी की दर से घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करना चाहिए। फूल गोभी की फसल में अक्सर कीट और रोगों का प्रकोप होता है, जो उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। फूलगोभी में मुख्य रूप से गलन रोग, काला विगलन, पर्णचित्ती, अंगमारी, पत्ती का धब्बा रोग तथा मृदु रोमिल आसिता रोग लगते हैं। इससे बचाव के लिए रोपाई के समय बिचड़े को स्ट्रेप्टोमाइसीन या प्लैंटोमाइसीन के घोल से उपचारित कर ही खेत में लगाना चाहिए।बाकी सभी रोगों से बचाव के लिए फफूंदीनाशक दवा इंडोफिल एम.-45 का 2 ग्राम या ब्लाइटाक्स का 3 ग्राम 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, डाउनी मिल्ड्यू रोग से बचने के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन और क्लोरोथालोनिल का छिड़काव करें। पत्ता झुलस रोग से बचाव के लिए प्रभावित पौधों को हटाएं और फफूंदनाशकों का उपयोग करें। इल्ली कट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट का छिड़काव करें। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशकों (नीम ऑयल) का उपयोग करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।